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________________ ४६० दिशा की अधिष्ठात्री देवी । पोक्खि पुं | दीपक [प्रोक्षिन् ] एक प्रकार का वानप्रस्थ | दीपक भाअ पुं [भाग ] दिग्भाग । मत्त न [°मात्र] अत्यल्प, संक्षिप्त । ° मोह पुं. दिशा का भ्रम | 'यत्ता स्त्री [यात्रा] देशाटन, मुसाफिरी । 'यत्तिय वि [ यात्रिक] दिशाओं में फिरने वाला । 'लोय पुं [ 'आलोक] दिशा का प्रकाश | वह पुं [पथ ] दिशारूप मार्ग । वाल पुं [पाल ] दिक्पाल, दिशा का अधिपति । 'वेरमण न [ "विर - मण] जैन गृहस्थ को पालने का एक नियमदिशा में जाने-आने का परिमाण करना । 'व्वय न ['व्रत] देखो 'वेरमण | 'सोत्थिय पुं [ 'स्वस्तिक ] स्वस्तिक - विशेष | 'सोवत्थिय पुं ['सौवस्तिक ] स्वस्तिकविशेष, दक्षिणावर्त्त स्वस्तिक । न. एक देवविमान । रुचक पर्वत का एक शिखर । हथि पुं ['हस्तिन् ] दिग्गज, दिशाओं में स्थित ऐरवत आदि आठ हस्ती । हत्यिकूड पुंन [' हस्तिकूट] दिशा में स्थित हस्ती के आकारवाला शिखर- विशेष, वे आठ हैंपद्मोत्तर, नीलवन्त, सुहस्ती, अञ्जनगिरि, कुमुद, पलाश, अवतंस और रोचनगिरि । दिसाइ देखो दिसा - दि । दिसेभ पुं [दगिभ ] दिग्गज । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दिस्स वि [दृश्य ] देखने योग्य, प्रत्यक्ष ज्ञान का विषय । दिस्सा देखो दक्ख = दृश् । दिहा अ [द्विधा ] दो प्रकार । न्यून | शोकातुर । दोणार पुं [दीनार ] सोने का एक सिक्का । Jain Education International दिसाइ-दीविआ (अप) पुंन [ दीपक] छन्द-विशेष | दीव देखो दिव = दिव् | दीव सक [ दीपय् ] दीपाना, शोभाना । जलाना । तेज करना । प्रकट करना । निवेदन करना । दीव पुं [ दो ] प्रदीप, आलोक | कल्पवृक्ष की एक जाति, प्रदीप का कार्य करनेवाला कल्पवृक्ष | 'चंपय न [ चम्पक] दिया का ढकना, दीप - पिधान ।ली स्त्री, दीप-पंक्ति । दीवाली, पर्व - विशेष, कार्तिक वदी अमावस | दिहि स्त्री [धृति] धैर्य । म वि [ मत्] दीवायण पुं [द्वीपायन, द्वैपायन] एक प्राचीन धीर । ऋषि दीअ देखों दीव = दीप | दीअअ देखो दीवय । वली स्त्री. पूर्वोक्त ही अर्थ । दीव पुं [द्वीप ] जिसके चारों ओर जल भरा हो ऐसा भूमि भाग | भवनपति देवों की एक जाति, द्वीपकुमार देव । व्याघ्र | कुमार पुं. एक देव-जाति । 'ज्ञ ] द्वीप के मार्ग का जानकार । ' सागरपन्नत्ति स्त्री ['सागरप्रज्ञप्ति ] जैन ग्रन्थ-विशेष, जिसमें द्वीपों और समुद्रों का वर्णन है । दीव पुं [ द्वीप ] सौराष्ट्र का एक नगर । दीवअ पुं [दे] कृकलास, गिरगिट । दीवअ पुं [ दीपक ] प्रदीप | आलोक | वि. प्रकाशक, शोभा - कारक । न, छन्द - विशेष | दीवंग पुं [दीपाङ्ग ] प्रदीप का काम देनेवाले कल्पवृक्ष की एक जाति । दीवग देखो दोवअ = दीपक । दीवड पुं [दे] जलजन्तु - विशेष | दीवणिज्ज वि [ दीपनीय] जठराग्नि को बढ़ानेवाला । शोभायमान देदीप्यमान | दीवि दीविअ दीण वि [दीन] गरीब । दुःखित । हीन, दीविअंग पुं [दीपिकाङ्ग] कल्प वृक्ष की एक जाति जो अन्धकार को दूर करता है। दीविआ स्त्री [दे] उपदेहिका, क्षुद्र कोट [द्वीप ] व्याघ्र की एक जाति, चीता । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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