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________________ दिप्प-दिसी संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दिप्प (अप) पुं [दीप] दीपक । छन्द-विशेष । । के लिए किया जाता अग्नि-प्रवेश आदि । दिपंत पुं [दे] अनर्थ । प्राचीन काल में अपुत्रक राजा की मृत्यु हो दिप्पिर देखो दिप्प = दीप्त । जाने पर जिस चमत्कार-जनक घटना से राजदियाव सक [दा] देना । गद्दी के लिए किसी मनुष्य का निर्वाचन होता दिरय पुं [द्विरद हस्ती। था वह हस्ति-गर्जन, अश्व-हेषा आदि अलौदिलंदिलिअ [दे] देखो दिल्लिदिलिअ । किक प्रमाण । 'माणुस न [°मानुष] देव दिलिदिल अक [दिलदिलाय] 'दिल दिल्' और मनुष्य सम्बन्धी हकीकतों का जिसमें आवाज करना। वर्णन हो ऐसी कथा-वस्तु । दिलिवेढय पुं [दिलिवेष्टक] एक प्रकार का | दिव्व न [दिव्य] तेला, तीन दिन का लगातार ग्राह, जल-जन्तु की एक जाति । उपवास । वि. देव-सम्बन्धी । दिल्लिदिलिअ पुं [दे] बालक, लड़का। । दिव्व देखो दइव। दिव उभ [दिव्] क्रीड़ा करना। जीतने की | दिव्व देखो देव । इच्छा करना । लेन-देन करना। चाहना, दिव्वाग पुं [दिव्याक] सर्प की एक जाति । वांछना । आज्ञा करना । दिव्वासा स्त्री [दे] चामुण्डा देवी। दिव न [दिव] स्वर्ग । दिस सक [दिश्] कहना । प्रतिपादन करना। दिवड्ढ वि [यपार्ध] डेढ़ । दिस पुं [दिश] एक देव-विमान । दिवस । देखो दिअस । °पुहुत्त न ["पृथक- दिस वि [दिश्य] दिशा में उत्पन्न । दिवह ' त्व] दो से लेकर नव दिन तक का | दिसआ स्त्री [दृषद्] पत्थर । समय । दिसा । स्त्री [दिश्] दिशा, पूर्व आदि दस दिवा देखो दिआ। इत्ति पुं [°कीत्ति] | दिसि दिशाए । प्रौढ़ा स्त्री। °अक्क चाण्डाल, भंगी। °कर पुं. सूर्य । 'किति पुं दिसी , न [° चक्र] दिशाओं का समूह । [कीत्ति] हजाम । °गर देखो "कर। "मुह कुमरी स्त्री ["कुमारी] देवी-विशेष । न [°मुख] प्रभात । °यर देखो कर । °कुमार पुं. भवनपति देवों की एक जाति । "यरत्थ न [करास्त्र] प्रकाश-कारक अस्त्र- 'कुमारी देखो "कुमरी। °गअ पुं [गज] विशेष । दिग्-हस्ती । °गइंद पुं [गजेन्द्र] दिग्दिवायर पुं [दिवाकर]सिद्धसेन नामक विख्यात हस्ती । चक्क देखो °अक्क । °चक्कवाल न जैन कवि और तार्किक । पूर्वधर मुनि । [°चक्रवाल]दिशाओं का शमूह । तप-विशेष । दिवि देखो देव। 'चर पुं. देशाटन करनेवाला भक्त । °जत्ता दिविज पुं [द्विविद] वानर-विशेष । देखो यत्ता। जत्तिय देखो यत्तिय । दिविज वि [दिविज] स्वर्ग में उत्पन्न । पुं. °डाह पुं [ दाह दिशाओं में होनेवाला एक देवता । तरह का प्रकाश जिसमें नीचे अन्धकार और दिविट्ठ देखो दुविट्ठ। ऊपर प्रकाश दीखता है यह भावी उपद्रवों दिवे (अप) देखो दिवा। का सूचक है । °णुवाय पुं [°अनुपात] दिशा दिव्व वि [दिव्य] स्वर्ग-सम्बन्धी, स्वर्गीय । का अनुसरण । 'दंति पुं [°दन्तिन्] दिग्उत्तम, सुन्दर, मनोहर । मुख्य । देव- हस्ती। दाह देखो °डाह। 'दि पुं सम्बन्धी । न. शपथ-विशेष, आरोप की शुद्धि [ आदि] मेरु-पर्वत । 'देवया स्त्री [°देवता] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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