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________________ दप्पण-दरिद्दीहूय धृष्टता । अरुचि से काम का आसेवन । दप्पण पुं [दर्पण] कांच | वि. दर्पजनक | दप्पणिज्जवि [दर्पणीय] बल-जनक, पुष्टि - चाहना | देना । दय न [दे. दक] जल । 'सीम पुं [ 'सीमन् ] लवण समुद्र में स्थित एक आवास पर्वत । दय न [] अफसोस । दय देखो दव = दव | 'दय वि. देनेवाला । दया स्त्री. करुणा, दयालु । दब्भ पुं [दर्भ] तृण-विशेष । पुप्फ पं [° पुष्प ] दयाइअ वि [दे] रक्षित | साँप की एक जाति । दयालु वि. दयावाला, करुण । दयावण वि [दे] दीन | दयावन्न कारक । दप्प वि [दर्पिक] दर्प-जनित | for a [ दर्पित] अभिमानी, गर्वित । for a [ दर्पिष्ठ] अत्यन्त अहंकारी । दप्पुल्ल वि [दर्पवत् ] अहंकारवाला | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दब्भायण दब्भियायण भय न [ दार्भिक ] गोत्र - विशेष । दमक [दमय् ] दमन करना, रोकना । दम पुं. दमन । इन्द्रिय-निग्रह, बाह्य वृत्ति का निरोध । 'घोस पुं [घोष] चेदि देश के एक राजा का नाम | °दंत [°दन्त] हस्तिशीर्षक नगर का एक राजा । एक जैन मुनि । धर पुं. एक जैन मुनि । न [दार्भायन, दार्भ्यायन] चित्रा नक्षत्र का गोत्र । दमग देखो दमय । दमग वि [दमक ] दमन करनेवाला | दमण देखो दमणक । दमण न [ दमन ] निग्रह, दान्ति । वश में करना । उपताप, पीड़ा । पशुओं को दी जाती शिक्षा | दमणक दमणग } पुंन [ दमनक] दौना, सुगन्धित पत्रवाली वनस्पति- विशेष । छन्दविशेष | गन्ध- द्रव्य - विशेष । Jain Education International ४५१ दरस (शौ) देखो दरिस । दरि न [द] कन्दरा | दमणय दरि देखो दरी ।' अर पुं [°चर] किनर । दरअवि [दृप्त ] गर्विष्ठ । दमदमा अक [दमदमाय् ] आडम्बर करना । दमय व [दे. द्रमक ] गरीब | दरिअवि [दीर्ण] भीत । विदारित । दमयंती स्त्री [दमयन्ती ] राजा नल की पत्नी । दरिअ (अप) पुं [ दरिद्र ] छन्द - विशेष । मिवि [दमिन्] जितेन्द्रिय । दरिआ स्त्री [दरिका ] कन्दरा | दमिल पुं [द्रविड] एक भारतीय देश । पुंस्त्री. दरिद्द वि [दरिद्र] निःस्व, धन-रहित । द्राविड़ | दरिद्दिय वि [ दरिद्रित ] दुःस्थित, जो धन रहित हुआ हो । कृपा । वरवि [पर] दरसक [दृ] आदर करना । दर पुंन. डर । गुफा । गर्त, गड्ढा, दरार । अ. अल्प । दर न [दे] आधा | दरंदर पुं [दे] उल्लास । दरमत्ता स्त्री [दे] जबरदस्ती । दरमल सक [मर्दय् ] चूर्ण करना, विदारना । आघात करना । दरवलिअ वि [दें] उपभुक्त । दरवल्ल पुं [दे] गाँव का मुखिया । णिहेल्लण न] [] खाली घर | वल्लह पुं ['वल्लभ ] प्रिय । डरपोक | °विंदर वि [ दे] दीर्घ विरल | दम्म पुं [द्रम्म] सोने का सिक्का । दय सक [दय्] रक्षण करना । कृपा करना । दरिद्दीहूय वि[ दरिद्रीभूत] जो निर्धन हुआ हो । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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