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________________ २८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अट्ठाय वि [अस्थानिक ] अपात्र अनाश्रय । अट्ठि स्त्रीन हुआ । अट्ठायमाण a [ अतिष्ठत् ] नहीं बैठता अट्ठार त्रि. ब. [ अष्टादशन् ] अठारह । अठ्ठारस विह वि [विध ] अठारह प्रकार } का । अट्ठारसग न [ अष्टादशक ] अठारह का समूह | वि. जिसका मूल्य अठारह मुद्रा हो वह । अट्ठारसम वि [अष्टादश] अठारहवाँ । लगातार आठ दिनों का उपवास । न. अट्ठारह | देखो अट्ठार | } अट्ठाराह अट्ठावण्ण स्त्रीन [ अष्टापञ्चाशत् ] अठावन । अट्ठावय पुं [अष्टापद ] स्वनाम -ख्यात पर्वतविशेष, कैलास । न एक जाति का जुआ । द्यूत - फलक, जिस पर जुआ खेला जाता है वह । सुवर्ण । सेल [शैल] मेरु पर्वत | स्वनाम -ख्यात पर्वत- विशेष, जहाँ भगवान् ऋषभदेव निर्वाण पाये थे । | अट्ठावय न [ अर्थपद ] गृहस्थ | अर्थ-शास्त्र, संपत्ति-शास्त्र | अट्ठावीस स्त्री [अष्टाविंशति ] अठाईस । अट्ठावीस स्त्री [अष्टाविंशति] अठाईस । विह वि [विध] अठाईस प्रकार का । अट्ठावीस म वि [अष्टाविंश ] अठाईसवाँ । न. तेरह दिनों के लगातार उपवास । अट्ठासट्ठि स्त्री [अष्टषष्टि ] अठराठ । अट्टासि स्त्री [अष्टाशीति ] अठासी । अट्ठासीइ अट्ठासीय वि [ अष्टाशीत ] अठासी । अट्ठाहन [ अह ] आठ दिन । अट्ठाहिया स्त्री [अष्टाहिका ] आठ दिनों का एक उत्सव | उत्सव । अट्ठ वि [अर्थिन्] प्रार्थी, गरजनाला लाषी । अ [अस्थि ] हड्डी । फल की गुट्ठी । Jain Education International अभि अट्ठाणिय- अ -अडड [ अस्थि ] हाड़ । जिसमें बीज उत्पन्न न हुए हों ऐसा अपरिपक्व फल | पु. कापालिक । मिजा स्त्री [ मिला | हड्डी के भीतर का रस । सरक्ख पु [°सरजस्क] कापालिक । सेण न [°षेण ] वत्सगोत्र की शाखारूप एक गोत्र । पुं. इस गोत्र का प्रवर्तक पुरुष और उसकी सन्तान । अट्ठयवि [अर्थिक ] गरजू, याचक | अर्थ का कारण, अर्थ सम्बन्धी । मोक्ष का हेतु । अयि वि [ आर्थिक ] अर्थ का कारण, अर्थसम्बन्धी । मोक्ष का कारण । afga [f] अभिलषित, प्रार्थित । अट्ठियवि [ अस्थित] यमित । चंचल | अद्विय वि [ आस्थिक ] हड्डो-सम्बन्धी । अट्ठ [आस्थित] स्थित रहा हुआ । अट्टिय पुं [ अस्थिक] वृक्ष-विशेष । अस्थिक वृक्ष का फल 1 अल्लिय पुं [अस्थि ] फल की गुट्ठी । For Private & Personal Use Only अव्यवस्थित, अनि न. अट्ठत्तर वि [अष्टोत्तर] आठ से अधिक । सयन [° शत] एक सौ और आठ वि [ शततम] एक सौ आठवाँ । सय अठ } देखो अट्ठ = अष्टन् । अड अड सक [अट् ] भ्रमण करना । अड पुं [अवट ] कूप, इनारा । कूप के पास पशुओं के पानी पीने के लिए जो गर्त किया जाता है वह । 'अड देखो तड = तट | अss ) स्त्री [अटवि, वी] भयानक जंगल, अडई वन । अssज्झिय न [ दे] विपरीत मैथुन । अडखम्म सक [दे] संभालना, रक्षण करना । अडड न [ अटट] 'अटटांग' को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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