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________________ तिगिच्छायण-तित्थ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ४३१ शास्त्र। तितय देखो तिअय। तिगिच्छायण न [तिगिच्छायन] गोत्र-विशेष । तितिक्ख देखो तिइक्ख । तिगिच्छि देखो तिगिछि। तित्त वि [तृप्त] सन्तुष्ट, खुश । तिगिच्छिय पुं [चैकित्सिक] वैद्य । ! तित्त वि [तिक्त] कडुआ। पुं. तीता रस । तिग्ग वि [तिग्म] तीक्ष्ण, तेज । तित्ति देखो तत्ति = दे । तिग्घ वि [त्रिघ्न] तीन-गुना । तित्ति स्त्री [तृप्ति] सन्तोष । तिचूड पुं [त्रिचूड] विद्याधर वंश का एक तित्ति [दे] तात्पर्य, सार । राजा। तित्तिअ वि [तावत्] उतना । तिजड पुं [त्रिजट] विद्याधर वंश का एक तित्तिअ पुं [तित्तिक] म्लेच्छ देश-विशेष । उस राजा । राक्षस वंश का एक राजा। देश में रहनेवाली म्लेच्छ जाति । देखो तिजामा। स्त्री [त्रियामा] रात्रि । तिण्णिअ । तिजामी । तित्तिर । पुं [तित्तिरि] तीतर या तिज्ज वि [तार्य] तैरने-योग्य । तित्तिरि । तित्तिर। तिड्ड पुंस्त्री [दे] अन्न-नाश करनेवाला कीट । तित्तिरिअ वि [दे] स्नान से आई । तिड्डव सक [ताडय] ताड़न करना। तित्तिल वि [तावत्] उतना । तिण न [तृण] घास । °सूय न [°शूक] तृण तित्तिल्ल पुं [दे] प्रतीहार । का अग्र भाग । हत्थय पु[हस्तक] घास तित्तुअ वि [दे] भारी । का पूला। तित्तुल (अप) देखो तित्तिल । तिणिस पुं [तिनिश] वृक्ष-विशेष, बेंत । तित्थ पुं [त्रिस्थ] साधु, साध्वी, श्रावक और तिणिस न [दे] मधपुड़ा। श्राविका का समुदाय, जनसंघ । तिणिस वि [तैनिश] तिनिश-वृक्ष-सम्बन्धी, तित्थ पुं [त्र्यर्थ] ऊपर देखो। बेंत का। तिणीकय वि [तृणीकृत] तृण-तुल्य माना तित्थ न [तीर्थ प्रथम गणधर । दर्शन, मत । यात्रा-स्थान, पवित्र जगह । प्रवचन, शासन, जिन-देव प्रणीत द्वादशाङ्गी। पुंन. अवतार, तिण्ण । अक [तिम्] आर्द्र होना । सक. घाट, नदी वगैरह में उतरने का रास्ता । तिण्णाइअ ) आर्द्र करना। °कर, °गर देखो °यर। °जत्ता स्त्री तिण्ण वि [तीर्ण] पार पहुँचा हुआ। समर्थ ।। [ यात्रा] तीर्थ-गमन । °णाह पुं[°नाथ] तिण्ण न [स्तैन्य] चोरी। जिन-देव । 'यर वि [°कर] तीर्थ का प्रवतिण्ण° देखो ति = त्रि । °भंग वि [भङ्ग] तक । पुं. जिन-देव, जिन भगवान् । यरणाम त्रि-खण्ड, तीन खण्डवाला। °विह वि न [°करनामन्] कर्म-विशेष जिसके उदय से [°विध] तीन प्रकार का । जीव तीर्थकर होता है। °राय पुं [ राज] तिण्णिअ पुं [तिन्निक] देखो तित्तिअ = जिन-देव । सिद्ध पुं. तीर्थ-प्रवृत्ति होने पर जो तित्तिक । मुक्ति प्राप्त करे वह जीव । °ाहिनायग पुं तिण्ह देखो तिक्ख । [धिनायक] जिनदेव । पहिव पुं [°ाधिप] तिण्हा देखो तोहा। संघनायक, जिन-देव । हिवइ [धिपति] तितउ पुं. चालनी या चलनी। जिनदेव, जिन भगवान् । हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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