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________________ ४१० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णिस्सार-णिहाय णिस्सार सक [निर्+सारय्] बाहर निका- णिहट्ठ वि [निघृष्ट] घिसा हुआ । लना । भ्रष्ट करना। णिहण सक[नि+ हन्] निहत करना, मारना । णिस्सार । वि [निःसार] सार-हीन, फेंकना । णिस्सारग , निरर्थक । जीर्ण-पुराना। णिहण सक [नि+ खन्] गाड़ना । णिस्सारय वि [निःसारक] निकालनेवाला । णिहण न [दे] किनारा। णिस्सारिय वि [निःसारित] निकाला हुआ। णिहण न [निधन] मरण, विनाश । पुं. रावण च्यावित, भ्रष्ट किया हुआ। का एक सुभट । णिस्सास निःश्वास]निःश्वास, नीचा श्वास । णिहत्त सक [निधत्तय ] कर्म को निबिड़ रूप काल-मान-विशेष । प्राण-वायु, प्रश्वास । से बाँधना। णिस्साहार वि [निःस्वाधार निराधार । | णिहत्त देखो णिधत्त । पिस्सिग वि [निःशृङ्ग] शृङ्ग-रहित । णिहत्ति देखो णित्ति। पिस्सिघिय न [निःशिवित] अव्यक्त शब्द- णिहम्म सक [नि + हम्म्] जाना, गमन विशेष । करना। पिस्सिच अक [निर् + सिच्] प्रक्षेप करना, णिहय वि [निहत] मारा हुआ। डालना, फेंकना। णिहय वि [निखात] गाड़ा हुआ। णिस्सिणेह वि [निःस्नेह] स्नेह-रहित ।। णिहर अक [नि+ह] पाखाना जाना । णिस्सिय वि [निश्रित] आश्रित, अवलम्बित । णिहर अक [आ + क्रन्द्] चिल्लाना । अनुरक्त, तल्लीन । आसक्ति । वि. निश्चय णिहर अक [निर् + स] बाहर निकलना । से बद्ध । पक्षपाती । रागी। णिहरण देखो णीहरण। पिस्सिय वि [निःसृत] निर्गत । णिहव देखो णिहुव । णिस्सील वि [निःशील] सदाचार-रहित, णिहव वि [दे] सुप्त, सोया हुआ । दुःशील। णिहव पुं [निवह] समूह । णिस्तूंग वि [निःशूक] निष्करुण । णिहस सक [नि + घृष्] घिसना। णिस्सेज्जा देखो णिस्सेजा। णिहस पुं [निकष] कसौटी का पत्थर । णिस्सेणि स्त्री [निःश्रेणि] सीढ़ी । कसौटी पर की जाती रेखा। णिस्सेयस न [निःश्रेयस] कल्याण, मङ्गल । णिहस पुं [निघर्ष] घर्षण, रगड़ । मुक्ति, निर्वाण । अभ्युदय, उन्नति । णिहस पुं [दे] सर्प आदि का बिल । णिस्सेयसिय न [नैःश्रेयसिक] मुमुक्षु । णिहा स्त्री [निहा] माया, कपट । णिस्सेस वि [निःशेष] सब, सकल । | णिहा सक [नि +धा] स्थापना करना । णिह वि [निभ] सदृश । न. बहाना । णिहा सक [नि + हा] त्याग करना । णिह वि [निह] मायावी, कपटी। पीड़ित । न. णिहा । सक [दृश्] देखना। आघात स्थान । णिह वि [स्निह] रागो, रागयुक्त । णिहाण न [निधान] वह स्थान जहाँ पर धन णिहंस पुंनिघर्ष घर्षण । | आदि गाड़ा गया हो, खजाना, भण्डार । णिहंसण न [निघर्षण] घर्षण, रगड़ । | णिहाय [दे] स्वेद । समूह, जत्था । णिहटु अ. पृथक् करके । स्थापन कर। णिहाय पुं [निघात] आघात, आस्फालन । णिहाआ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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