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________________ णिव्वय-णिब्विइगिच्छ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ४०५ णिव्वय अक [निर् + वृ] शान्त होना, में होनेवाले एक जिन-देव का नाम । उपशान्त होना। णिव्वाण न [दे] दुःख-कथन । णिव्वय वि [निर्वृत] उपशान्त, शम-प्राप्त । णिव्वाणि पुं [निर्वाणिन्] भारतवर्ष में अतीत परिणत, परिणामप्राप्त । उत्सर्पिणी-काल में संजात एक जिनदेव । णिव्वय वि [निर्वत] व्रत-रहित, नियम-रहित । णिव्वाणी स्त्री [निर्वाणी भगवान् श्री शान्तिणिव्वयण न [निर्वचन] निरुक्ति, शब्दार्थ- | नाथ की शासन-देवी । कथन । उत्तर । वि. निरुक्ति करनेवाला, णिव्वाय वि [निर्वाण] व्यतीत । निर्वाचक । णिव्वाय वि [विश्रान्त] जिसने विश्राम किया णिव्वर सक [कथय] दुःख कहना । हो वह । सुखित, निवृत । णिव्वर सक [छिद्] छेदन करना, काटना । णिव्वाय वि [निर्वात] वायु-रहित । णिव्वल सक [मुच् ] दुःख को छोड़ना। णिव्वालिय वि [भावित] पृथक् किया हुआ । णिव्वल अक [निर् + पद्] निष्पन्न होना, णिव्वाव देखो णिव्वव। सिद्ध होना, बनना। | णिव्वाव पुं [निर्वाप] घी, शाक आदि का णिव्वल देखो णिच्चल =क्षर् । परिमाण । °कहा स्त्री [[कथा] एक तरह णिव्वल देखो णिव्वड = भू । की भोजन-कथा। णिव्वलिअ वि [दे] जल-धौत । प्रविगणित । णिव्वावइत्तअ(शौ) वि [निर्वापयितृक] ठण्ढा विघटित । वियुक्त । करनेवाला। णिव्वव सक [ निर् + वापय् ] ठण्ढा करना, णिव्वावय वि [निर्वापक] आग बुझानेवाला । णिव्वासण न [निर्वासन] देश निकाला । बुझाना । शान्त करना। णिव्वह अक [निर + वह ] निभना, निर्वाह णिव्वाह ' [निर्वाह] निभाना, पार-प्राप्ति । करना, पार पड़ना । आजीविका चलाना। आजीविका, जीवन-सामग्री। णिवह सक [ उद+वह ] धारण करना। णिव्वाहग वि [निर्वाहक] निर्वाह करनेवाला । ऊपर उठाना। णिव्वाहण न [निर्वाहण] निर्वाह, निभाना । णिव्वहण न [निर्वहण] निर्वाह, अन्त, नाटक निस्सार करना। की एक सन्धि । णिव्वाहिअ वि [निर्वाहित] अतिवाहित, णिव्वहण न [दे] विवाह, शादी। बिताया हुआ, गुजारा हुआ। णिव्वा अक [वि+श्रम्] विश्राम करना। णिव्वाहिअ वि [निर्व्याधिक] व्याधि-रहित, णिव्वाघाइम वि [निर्व्याघातिम] व्याघात- | नीरोग। रहित, स्खलना-रहित । णिव्विअप्प देखो णिव्विगप्प। णिव्वाघाय वि [ निर्व्याघात ] व्याघात- णिव्विआर वि निर्विकार] विकार-रहित । वजित । न. व्याघात का अभाव । णिव्विइअ वि [निर्विकृतिक] घृत आदि णिव्वाघाया स्त्री [निर्व्याघाता] एक विद्या- विकृति-जनक पदार्थों से रहित । न. प्रत्यादेवी। ख्यान-विशेष जिसमें घृत आदि विकृतियों का णिव्वाण न [निर्वाण] मुक्ति, निर्वृति । सुख, त्याग किया जाता है। चैन, तृप्ति, शान्ति, दुःख-निवृत्ति । बुझाना, | णिव्विइगिच्छ वि [निर्विचिकित्स] फलप्राप्ति विध्यापन । वि. बुझा हुआ । पुं. ऐरवत वर्ष | मे शंका-रहित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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