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________________ णिविन्न- णिव्वमिअ ही दरवाजेवाले अनेक गृह । घर । णिव्व न [नीव्र ] छदि, पटल- प्रान्त । छप्पर के ऊपर का खपरैल । विसिर व [निवेष्टृ ] बैटनेवाला । विज्झमाण वि [ न्युह्यमान ] जो ले जाया जाता हो वह । णिव्व न [ दे] ककुद, चिह्न । बहाना | व्विक्कर वि [] परिहास - रहित, सत्य । णिव्वक्कल वि [निर्वल्कल ] वल्कल-रहित । णिव्वट्ट देखो णिव्वत्त = निर् + वर्त्तय् । froaट्ट (अप) देखो णिच्चट्ट | flag वि [निवृष्ट ] बरसा हुआ । णिवुड्ढ सक [नि + वर्धय् ] त्याग करना, णिव्वट्टग वि [निवर्तक] बनानेवाला, कर्ता । णिव्वट्टिम देखो विट्टिम । छोड़ना । हानि करना । ४०४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उद्भट | निर्दय | णिविन वि [निर्विज्ञ] विशिष्ट ज्ञान से रहित । णिविस अक [नि + विश्] बैठना । णिविस (अप) देखो णिमिस । णिवुड्ढि स्त्री [निवृद्धि] वृद्धि का अभाव । | णिव्वट्टिय वि [निर्वर्तित] निष्पादित, बनाया दिन की छोटाई । far देखो | णिवृत्त देखो णिवट्ट = निवृत्त । fraदि स्त्री [ निवृति ] परिवेष्टन | णिवूढ देखो णिव्वूढ | णिवेअ सक [नि + वेदय् ] अर्ज करना । ज्ञापन करना, मालूम करना । णिवेअग वि [निवेदक ] सम्मान पूर्वक ज्ञापन सम्मान पूर्वक अर्पण करना । करनेवाला, प्रार्थी । णिवेअण न [ निवेदन ] सम्मान - पूर्वक णिवेअD } ज्ञापन, विनय । नैवेद्य देवता को अर्पित अन्न आदि । णिवेअणा स्त्री [निवेदना ] ऊपर देखो । 'पिंड पुं [पिण्ड ] देवता को अर्पित अत्र आदि, नैवेद्य । णिवेअय देखो णिवेअग । Jain Education International हुआ । णिव्वड सक [मुच् ] दुःख को छोड़ना । णिव्वड अक [भू] पृथक् होना । स्पष्ट होना । णिव्वड देखो णिव्वल = निर् + पद् । णिव्वडिअ वि [ भूत ] पृथग्-भूत । स्पष्टीभूत, जो व्यक्त हुआ हो । णिव्वडिअ वि [निष्पन्न ] सिद्ध, कृत, निर्वृत्त । णिव्वढ वि [ दे] नंगा | णिव्वण वि [निर्व्रण] व्रण-रहित । णिव्वण्ण सक [निर् + वर्णय् ] प्रशंसा करना । देखना | णिव्वत्त सक [निर् + वर्त्तय् ] बनाना, करना, सिद्ध करना । णिव्वत्त सक [निर् + वृत्तय् ] वर्तुल करना । णिव्वत्त वि [निर्वृत्त] निष्पन्न, रचित, निर्मित | णिव्वत्त व [निर्वर्त्य ] बनाने- योग्य, साध्य | णिवेदइत्तअ वि [निवेदयितृ] निवेदन करने- णिव्वत्तण न [ निर्वर्त्तन] निष्पत्ति, रचना, बनावट | धिकरणिया, हिगरणिया स्त्री [धिकरणकी ] शस्त्र बनाने की क्रिया । णिव्वत्तय वि [निर्वर्त्तक] निष्पन्न करनेवाला, बनानेवाला । वाला । णिवेस सक [नि + वेशय् ] स्थापना करना, बैठाना | णिवेस पुं [निवेश] स्थापन, आधान । प्रवेश । आवास स्थान, डेरा | णिवेस पुं [ नृपेश ] चक्रवर्ती राजा । णिवेसण न [ निवेशन] स्थान, बैठना । एक णिव्वमिअ वि [दे] परिभुक्त | व्वित्ति स्त्री [निर्वृत्ति ] निष्पत्ति, विनिर्माण । देखो णिव्विति । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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