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________________ अग्गिअ - अग्घविय पूर्वीय अठारहवें ब्राह्मणजन्म का नाम । 'माण' अग्निकुमार देवों का उत्तर- दिशा का इन्द्र | माली स्त्री एक इन्द्राणी । 'वेस पुं [वेश] इस नाम का एक प्रसिद्ध ऋषि । न. एक गोत्र | °वेस पुं ं [वेश्मन् ] चतुर्दशी तिथि । दिवस का बाईसवाँ मुहूर्त | 'वेसायण पुं [वैश्यायन] अग्निवेश ऋषि का पौत्र । अग्निवेश गोत्र में उत्पन्न । गोशालक का एक दिक्चर । दिन का बाईसवाँ मुहूर्त | 'सक्कार पुं [संस्कार ] विधि पूर्वक दाह देना । सभा स्त्री ['सप्रभा] भगवान् वासुपूज्य की दीक्षा समय की पालकी का नाम । सम्म संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष | [ शर्मन्] एक प्रसिद्ध तपस्वी ब्राह्मण । सिंह पुं [शिख] सातवें वासुदेव का पिता । अग्निकुमार देवों का दक्षिण दिशा का इन्द्र सिंह [सिंह ] एक जैन मुनि | सिहाचारण [शिखाचारण] अग्निशिखा में निर्बाधतया गमन करने की शक्ति वाला साधु | सीह पु[° सिंह] सातवें वासुदेव के पिता का नाम । " सेण पु' [°षेण] ऐरवत क्षेत्र के तीसरे और बाईसवें तीर्थंकर । 'होत्त न] [होत्र] अग्न्याधान, होम | पुरं ब्राह्मण । 'होत्तवाइ वि [ 'होत्रवादिन् ] होम से स्वर्ग की प्राप्ति माननेवाला । 'होत्तिय वि [ होत्रिक ] होम करनेवाला । ही अग्गिअ पुं [अग्रिक ] यमदग्नि नामक एक तापस । भस्मक रोग । अग्गअ ' [ दे] इन्द्रगोप, एक जाति का क्षुद्र कीट | वि. मन्द पु अगिआय पुं [दे] इन्द्र गोप | for a [ आग्नेय ] अग्नि-सम्बन्धी । पुं लोकान्तिक देवों की एक जाति । न. गोतम गोत्र की शाखा । अग्गिञ्चाभ न [ आग्नेयाभ ] देव- विमान विशेष | अग्गज्झ वि [ अग्राह्य ] लेने के अयोग्य | Jain Education International । अग्गिम वि [अग्रिम ] प्रथम । श्रेष्ठ, प्रधान । अग्गियय पु [ आग्नेयक ] इस नाम का एक राजपुत्र । अग्गिल देखो अग्गिल्ल अग्निल | अग्गिलिय देखो अग्गिम | अग्गिल्ल पुं [ अग्निल ] एक महाग्रह । अगिल्ल वि [ अग्रिम ] अग्रवर्ती । अग्गीय देखो अगीय । अग्गीवय न [ दे ] घर का एक भाग । अगुच्छ वि [ दे ] प्रमित, निश्चित । अग्गे अ [ अग्रे ] आगे, पहले । [ तन ] आगे का, पहले का । नायक । अग्गेई स्त्री [ आग्नेयी ] अग्निकोण | अग्गेणिय न [ अग्रायणीय ] दूसरा पूर्व, बारहव जैनागम का दूसरा महान् भाग । अग्गेणी देखो अग्गेई | अग्गेणीय देखो अग्गेणिय । वि सर वि अग्गेय वि [ आग्नेय ] अग्नि (कोण) सम्बन्धी | अग्नि सम्बन्धी । न शस्त्र - विशेष । वत्स गोत्र की शाखा | अग्नि कोण, दक्षिण-पूर्व दिशा । अग्गोदय न [ अग्रोदक ] समुद्रीय वेला की वृद्धि और हानि । अग्घ अक [ राज् ] शोभना, चमकना । अग्घ सक आघ्रा ] सूंघना | अग्घ शक [ अर्ह ] योग्य होना । अग्ध सक [ अर्घ ] अच्छी कीमत से बेचना । आदर करना । अग्घ [ अर्ध ] एक देव- विमान । पूजा मछली की एक जाति । पूजा सामग्री । पूजा में लादिना । मूल्य । वत्तन [ पात्र ] पूजा का पात्र । अग्घवि [ अर्ध्य ] पूजा में दिया जाता जलादि द्रव्य | कीमती । अव सक [ पूर् ] पूर्ति करना । विवि [ अधित ] पूजित, सत्कृत | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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