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________________ ३५६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जुट्ठ-जूझ जुटु वि [जुष्ट] सेवित । जुवइ स्त्रो [युवति] जवान स्त्री। जुट्ठन [दे] असत्य । जुवंगव पुं [युवगव] तरुण बैल । जुडिअ वि [दे] आपस में जुटा हुआ, लड़ने के | जुवरज्ज न [यौवराज्य] युवराजपन । राजा लिए एक दुसरे से भीड़ा हुआ। के मरने पर जब तक युवराज का जुण्ण वि [दे] निपुण, दक्ष । राज्याभिषेक न हुआ हो तबतक का राज्य । जुण्ण वि [जीर्ण] पुराना। राजा के मरने पर और युवराज के राज्याजुण्णदुग्ग न [जीर्णदुर्ग] नगर-विशेष, भिषेक हो जाने पर भी जबतक दूसरे युवराज जूनागढ़। की नियुक्ति न हुई हो तबतक का राज्य । जुण्ह देखो जोण्ह = ज्योत्स्न । जुवल देखो जुगल। गुण्हा स्त्री [ज्योत्स्ना] चाँदनी । जुवलिय देखो जुगलिय। जुत्त सक [युक्तय] जोतना। जुवाण देखो जुव। जुत्त वि [युक्त] संगत, योग्य । जोड़ा हुआ, जुवाणी देखो जुवई। मिला हुआ, सम्बद्ध । उद्युक्त । सहित, जुव्वण । देखो जोव्वण । समन्वित । सिंखिज्ज न [Tसंख्येय] संख्या जुव्वणत विशेष । जुसिअ वि [जुष्ट] सेवित । जुत्ताणतय पुंन [युक्तानन्तक] गणना-विशेष । | जुाहट्ठिर । जुत्तासंखेजय देखो जुत्तासंखिज्ज । जुहिट्ठिल / देखो जहिट्ठिल । जत्ति स्त्री [युक्ति] योग, योजन, जोड़. | जुम्हाल्ल' संयोग । उपपत्ति । साधन । °ण्ण विज्ञा जुहु सक हि] अर्पण करना । होम करना। युक्ति का जानकार । °सार वि. युक्त, न्याय- | जूअ न [द्यूत] जुआ। °कर वि. जुआरी । संगत, प्रमाण-युक्त । °सुवण्ण न [°सुवर्ण] | कार वि. वही पूर्वोक्त अर्थ । केलि स्त्री. बनावटी सोना । °सेण पुं [षेण] ऐरवत द्यूत-क्रीड़ा। °खलय न [°खलक] जुआ वर्ष के अष्टम जिन-देव। खेलने का स्थान । केलि देखो °केलि । जुत्तिय वि [यौक्तिक] गाड़ी वगैरह में जो | जूअ पु [यूप] धुर, गाड़ी का अवयव-विशेष जो जोता जाय। बैलों के कन्धों पर डाला जाता है, जुअड़ । जुद्ध देखो जुज्झ = युद्ध । स्तम्भ-विशेष । यज्ञ-स्तम्भ । एक महापातालजुप्प देखो जुंज । कलश। जुम्म न [युग्म] युगल, उभय । पुं. सम राशि। | जूअअ पु [दे] चातक पक्षी । °पएसिय वि [°प्रादेशिक सम-संख्य प्रदेशों जूअग पु [यूपक] सन्ध्या को प्रभा और चन्द्र से निष्पन्न । की प्रभा का मिश्रण। . जुम्म न [युग्म] परस्पर सापेक्ष दो पद्य ।। जूआ स्त्री [यूका] जं, चीलड़, खटमल, क्षुद्र जुम्ह° स [युष्मत्] द्वितीय पुरुष का वाचक | कीट-विशेष । आठ लिक्षा का 'एक नाप । सर्वनाम। °सेज्जायर वि [°शय्यातर] यूकाओं को जुरुमिल्ल वि [दे] गहन, निबिड़ । स्थान देनेवाला। जुव पुं [युवन्] तरुण । °राअ पुं [°राज] | जूआर वि [द्यूतकार] जुए का खेलाड़ी। गद्दी का वारिस । राजकुमार । जूझ देखो जुज्झ = युध् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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