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________________ जसंसि - जहा त्याग | विनय । भगवान् अनन्तनाथ का प्रथम शिष्य । भगवान् पार्श्वनाथ का आठवाँ प्रधान शिष्य । कित्ति स्त्री [कीर्त्ति ] सुप्रसिद्धि । 'भद्द पु[°भद्र ] एक जैन आचार्य । 'म, मंत वि [ 'वत् ] यशस्वी, इज्जतदार | पु. एक कुलकर पुरुष । 'वई स्त्री [ती] द्वितीय चक्रवर्त्तीसगरराज की माता । तृतीया, अष्टमी और त्रयोदशी की रात्रि । वम्म पुं [ 'वर्मन् ] नृप-विशेष | 'वाय ' ['वाद] साधुवाद, प्रशंसा | विजय पुं. विक्रम की अठारहवीं शताब्दी के न्यायाचार्य श्रीमान् यशोविजय उपाध्याय । हर पुं. ['धर ] भारतवर्ष का भूतकालिक अठारहवाँ जिनदेव । भारतवर्ष के एक भावी जिन देव । एक राजकुमार । पक्ष का पाँचवाँ दिन । वि. यशस्वी | देखो जसो' । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जसंसि पुं [ यशस्विन् ] भगवान् महावीर के पिता का नाम । जसद पुं. धातु- विशेष, जस्ता । जसदेव पुं [ यशोदेव] एक प्रसिद्ध जैनाचार्य | भद्द पुं. [ यशोभद्र] पक्ष का चतुर्थ दिवस । एक राजर्षि । न. उड्डुवाटिक गण का एक कुल । दौहित्री का नाम । जसस्सि वि [ यशस्विन् ] कीर्तिमान् । जसहर पुन [ यशोधर] एक देव-विमान | जसा स्त्री [यशा ] कपिलमुनि की माता । जसो देखो जस । आ स्त्री ['दा] नन्द नामक गोप की पत्नी । भगवान् महावीर की पत्नी । कामिवि [कामिन्] यश चाहनेवाला । कित्तिनाम न ['कीर्त्तिनामन् ] कर्म- विशेष, जिसके प्रभाव से सुयश फैलता है । 'धर पुं. धरणेन्द्र के अश्व- सैन्य का अधिपति देव | ग्रैवेयक देवलोक का प्रस्तर । 'हरा ['धरा ] दक्षिण रुचक पर्वत पर रहनेवाली Jain Education International ३४७ एक दिशाकुमारी देवी | जम्बू-वृक्ष - विशेष, सुदर्शना । पक्ष की चौथी रात्रि | जसोधर देखो जस-हर । जसोधरा देखो जसो-हरा | जसोया स्त्री [ यशोदा] भगवान् महावीर की पत्नी का नाम । जह सक [हा] छोड़ देना । जह अ [ यत्र ] जहाँ, जिसमें । जहणू सव जसवई स्त्री [यशोमती ] भगवान् महावीर की जहणूसुअ जह अ [ यथा] जिस तरह से । 'कमन [क्रम] क्रम के अनुसार । ' क्खाय देखो अह-खाय । द्वियवि [स्थित ] वास्तुfar | स्थवि [] वास्तविक । 'त्थनाम वि [°र्थनामन्] नाम के अनुसार गुणवाला । वाइवि [र्थवादिन् ] सत्य वक्ता । प [ याथात्म्य] वास्तविकता | 'रिह न [] उचितता के अनुसार | ° वट्टिय वि [ " वृत्त] यथार्थ | विहि पुंस्त्री [विधि ] विधि के अनुसार । संख न [° संख्य] संख्या के क्रम से । देखो जहा = यथा । जहण न [जघन] कमर के नीचे का भाग । जहणरोह पुं [दे] जाँघ । जहणा स्त्री [हान ] परित्याग | न [दे] अर्धोरुक, जघनांशुक, स्त्री को पहनने का वस्त्र - विशेष । जण व [जघन्य ] निकृष्ट, नीच । जहा = देखो जह = हा | जहा देखो जह = यथा । जुत्त वि [ ° युक्त ] यथोचित, योग्य । ° जेटु न ['ज्येष्ठ] ज्येष्ठता क्रम से । णामयवि [' नामक ] जिसका नाम न कहा गया हो, कोई । तच्च न [तथ्य] वास्तविक । तह न [' तथ] वास्तविक | 'तह न [ याथातथ्य] वास्तविकता । 'सूत्रकृताङ्ग' सूत्र का एक अध्ययन । पट्टकरण न [प्रवृत्तकरण ] आत्मा का परिणाम- विशेष । भूय वि [भूत ] वास्त विक । 'राइणिया स्त्री [रानिकता ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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