SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जण्णसेणी-जमय जण्णसेणी स्त्री [याज्ञसेनी] द्रौपदो। जन्तु देखो जाणु । जण्णहर ' [द] नर-राक्षस, दुष्ट-मनुष्य ।। जन्नोवइय देखो जण्णोवईय । जण्णिय पुं [याज्ञिक] यज्ञ करानेवाला । जप देखो जव = जप् । जण्णोवईय । न [यज्ञोपवीत] जनेऊ । - जप्प देखो जंप। जण्णोववीय जप्प [जल्प] उक्ति। छल का उपालम्भ जण्णोहण पुं [दे] राक्षस, पिशाच । रूप भाषण । जण्ह नादे]छोटी स्थाली । वि. काले रंग का। जप्प वि [याप्य] गमन करने योग्य । जाण जण्हई स्त्री [जाह्नवी] गंगा नदी। न [प्यान] शिविका । जण्हली स्त्री [दे] नीवी, इजारबन्द। जप्पभिइ । अ [यत्प्रभृति] जब से, जहाँ जण्हवी स्त्री [जाह्नवी] सगर चक्रवर्ती की जप्पभिई से लेकर । एक पत्नी, भगीरथ की जननी । गङ्गा-नदी। जम सक [ यमय् ] नियन्त्रण करना । जमाना, जण्हु पुं [जह्न] भरत-वंशीय एक राजा। स्थिर करना। जम पुं [यम] अहिंसादि पाँच महाव्रत, साधु सुआ स्त्री [°सुता] भागीरथी। का व्रत । दक्षिण दिशा का एक लोकपाल, जण्हुआ स्त्री [दे] घुटना। देव-विशेष, जमराज । भरणी नक्षत्र का अधिजण्हुकन्ना स्त्री [जह्नकन्या ] गंगा-नदी। पति देव । किष्किन्धा नगरी का एक राजा । जत्त देखो जय = यत् । तापस-विशेष । मृत्यु । संयमन । °काइय पुं जत्त पुं [यत्न] उद्योग, उद्यम, चेष्टा । [°कायिक] असुर-विशेष, परमाधार्मिक देव, जत्ता स्त्री [यात्रा] देशान्तर-गमन । गमन ।। जो नारकी के जीवों को दुःख देते हैं । °घोस देव-पूजा के निमित्त किया जाता उत्सव- पुं [°घोष] ऐरवत वर्ष के एक भावी जिनविशेष, अष्टाहिका, रथ-यात्रा आदि । तीर्थ देव । "पुरी स्त्री. जम की नगरो। 'पभ पुं गमन । शुभ-प्रवृत्ति। [प्रभ] यमदेव का उत्पात-पर्वत । °भड पुं जत्ता स्त्री [यात्रा संयम-निर्वाह । [°भट] यमराज का सुभट । °मंदिर न जत्ति स्त्री [दे] चिन्ता । सेवा, शुश्रूषा । [°मन्दिर] यमराज का घर, मृत्यु-स्थान । जत्तिअ देखो यत्ति। लय न. पूर्वोक्त ही अर्थ । जत्तिय वि [यावत्] जितना । | जमग पुं [यमक] पक्षि-विशेष । देव-विशेष । जत्तो देखो जओ। पर्वत-विशेष । द्रह-विशेष । देखो जमय । जत्थ अ [यत्र] जहाँ, जिसमें । जमगं । अ [दे] एक साथ, एक ही जदि देखो जइ = यदि । जमगसमगं) समय में । जदिच्छा देखो जइच्छा। जमणिया स्त्री [जमनिका] जैन साधु का जदु देखो जउ = यदु । उपकरण-विशेष । जद्दर पुन [दे] वस्त्र-विशेष । | जमदग्गि पुं [जमदग्नि] तापस-विशेष, परशुजधा देखो जहा। राम का पिता। जन्न वि [जन्य] लोक-हितकर । उत्पन्न होने जमदग्गिजडा स्त्री [यमदग्निजटा] गन्धयोग्य । द्रव्य-विशेष, सुगन्धबाला। जन्नत्ता 1 स्त्री [दे] बारात । जमय देखो जमग । न. अलंकार-शास्त्र में जन्ना | प्रसिद्ध अनुप्रास-विशेष । छन्द-विशेष । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy