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________________ ३३८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जंतु-जक्ख जंतु पुं [जन्तु] जीव, प्राणी।। [°द्वीप ] भूखण्ड-विशेष, सब द्वीप और जंतुग न [जन्तुक] जलाशय में होनेवाला समुद्रों के बीच का द्वीप । दीवग वि तृण-विशेष । [°द्वीपक] जम्बूद्वीप-सम्बन्धी, जम्बूद्वीप में जंतुय वि [जान्तुक] जन्तुक नामक तृण । उत्पन्न । °दीवपण्णत्ति स्त्री [°द्वीपप्रज्ञप्ति] जंप सक [जल्प] बोलना, कहना। जैन आगम-ग्रन्थ-विशेष । °पीढ, 'पेढ जंपण न [जल्पन] उक्ति, कथन । न [°पीठ]सुदर्शना-जम्बू का अधिष्ठान-प्रदेश । जंपण न [दे] अपयश । मुख । °पुर न. नगर-विशेष । मालि पुं[°मालिन्] जंपय वि [जल्पक] बोलनेवाला । रावण का एक पुत्र, रावण का एक सुभट । जंपाण न [जम्पान] वाहन-विशेष, सुखा- °मेघपुर न. विद्याधर-नगर-विशेष । °संड पुं सन, शिविका-विशेष । शव-यान । [°षण्ड] ग्राम-विशेष । °सामि पुं [स्वाजंपिच्छय वि [दे] जिसको देखे उसी को मिन्] सुप्रसिद्ध जैन मुनि-विशेष । चाहनेवाला। जंबूअ पुं [जम्बूक] सियार । जंपेक्खिरमग्गिर : वि [दे] जिसको देखे । जंबूणय न [जाम्बूनद] सुवर्ण । पुं. स्वनामजंपेच्छिरमग्गिर । उसी की याचना करने- प्रसिद्ध एक राजा । वाला। जंबूलय पुंन [जम्बूलक] उदक-भाजन-विशेष । जंबवई स्त्री [जाम्बवती] श्रीकृष्ण की एक जंभ पुंदे] तुष, भूसा। पत्नी । | जंभग वि [जम्भक] जंभाई लेनेवाला। पुं. जंबवंत पुं [जाम्बवत्] एक विद्याधर राजा । व्यन्तर-देवों की एक जाति । जंबाल न [दे] सैवाल, जलमल | जंभणंभण जंबाल पुंन. [जम्बाल] कर्दम । जरायु, गर्भ- जंभणभण विदे] स्वच्छन्द-भाषी। वेष्टन चर्म । जंभणय ) जंबीरिय (अप) न [जम्बीर] फल-विशेष । जंभणी स्त्री [जम्भणी] तन्त्र प्रसिद्ध विद्याजंबु पुं. सियार। सुधर्म-स्वामी के शिष्य, विशेष । अन्तिम केवली । पुन. जम्बू वृक्ष का फल, | जंभय देखो जंभग । जामुन । जंभल पुं [दे] जड़, सुस्त, मन्द । जंबु° देखो जंबू । जंभा स्त्री [जृम्भा] जंभाई । एक देवी का जंबुअ पुंदे] वेतस वृक्ष, बेंत । पश्चिम दिक्- नाम । पाल । जंभा । अक [जम्भ] जंभाई लेना। जंबुल पुं [दे] वानीर वृक्ष, बेंत । न. मद्य- | जंभाअ ) भाजन । | जंभाइअ न [जृम्भित] जृम्भा । जंबुल्ल वि [दे] जल्पाक, बकवादी। जंभिय न [जम्भित] जंभाई। पुं. ग्राम-विशेष, जंबुवई देखो जंबवई। जहाँ भगवान् महावीर को केवलज्ञान उत्पन्न जंबू स्त्री.जामुन का पेड़ । जम्बू वक्ष के आकार | हुआ था। का एक रत्नमय शाश्वत पदार्थ, सुदर्शना, जक्ख पुं [यक्ष] व्यन्तर देवों की एक जाति । जिसके कारण यह द्वीप जम्बूद्वीप कहलाता है। कुबेर, यक्षाधिपति । एक विद्याधर-राजा, पुं. सुधर्म-स्वामी का मुख्य शिष्य । दीव पुं जो रावण का मौसेरा भाई था । द्वीप-विशेष । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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