SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 356
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ना । जइ-जंत संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ३३७ जइ पं [यति]जितेन्द्रिय, संन्यासी । छन्द-शास्त्र | जंगम वि. जो एक स्थान से दूसरे स्थान में जा में प्रसिद्ध विश्राम-स्थान । वि. जितना । सकता हो वह छन्द-विशेष । जइ अ [यदा] जिस समय । जंगल पुं [जङ्गल] सपादलक्ष देश । निर्जल जइ अ [यदि] यदि, जो । वि अ [°अपि] जो प्रदेश । न. माँस । भी। जंगा स्त्री [दे] गोचर-भूमि । जइ अ [यत्र] जहाँ । जंगिअ वि [जाङ्गमिक] जंगम-सम्बन्धी। न. जइ वि [जयिन्] विजयी । जंगम जीवों के रोम का बना हुआ कपड़ा। जइआ अ [यदा] जिस समय । जंगुलि स्त्री [जाङ्गलि] विष उतारने का जइच्छा स्त्री [यदृच्छा] स्वतन्त्रता । स्वेच्छा मन्त्र । चार । जंगुलिय पु [जाङ्गुलिक] गारुड़िक । जइण वि [जैन] जिनधर्मी। जिन देव से | जंगोल स्त्रीन [जाङ्गल] विष-विघातक तन्त्र, सम्बन्ध रखनेवाला। आयुर्वेद का एक विभाग जिसमें विष की जइण वि [जयिन्] जीतनेवाला । चिकित्सा का प्रतिपादन है। जइण वि [जविन्] वेग-युक्त, त्वरा-युक्त। जंघा स्त्री [जना] जाँघ । °चर वि. पैर से जइत्त वि [जैत्र] विजयी । पुं. नृप विशेष । चलनेवाला । °चारण पुं. एक प्रकार के जैन जइय वि [जयिक] विजयी । मुनि, जो अपने तपोबल से आकाश में गमन जइय वि [यष्ट] याग करनेवाला । कर सकते है। °सन्तारिम वि [°संतार्य] जइवा अ [यदि वा] अथवा। जाँघ तक पानीवाला जलाशय । जइस (अप) वि यादृश] जैसा । जंघाच्छेअ पुं [दे] चौक । जउ न [जतु] लाक्षा। जंघामय । वि [दे] द्रुत-गामी । जउ पुं [यदु] स्वनाम-ख्यात एक राजा । जंघालुअS सुप्रसिद्ध क्षत्रिय वंश । °णंदण पु [°नन्दन] जंघाल वि [जङ्घाल] द्रुत-गामी । यदुवंशीय । श्रीकृष्ण । जंत सक [ यन्त्र् ] वश करना। जकड़ना, जउ पुं [यजुष्] यजुर्वेद । बाँधना। जउण पुं [यमुन] स्वनाम-प्रसिद्ध एक राजा । जंत न [यन्त्र] कल, युक्ति-पूर्वक शिल्प आदि जउण कर्म करने के लिए पदार्थ-विशेष, तिल-यन्त्र जउण । स्त्री [यमना] जमुना नदी । आदि । वशीकरण, रक्षा वगैरह के लिए किया जाता लेख प्रयोग । संयमन, नियन्त्रण । जउणा "पत्थर पुं [प्रस्तर] गोफण का पत्थर । जओ अ [यतः] क्योंकि, कारण कि । जिससे, °पिल्लणकम्म न [°पीडनकर्मन्] यन्त्र जहाँ से। द्वारा तिल, ईख आदि पीलने या पेरने का जं अ [यत्] क्योंकि । वाक्यान्तर का सम्बन्ध- धंधा । पुरिस [°पुरुष] यन्त्र-निर्मित पुरुष, सूचक अव्यय । किचि अ [°किञ्चित्] जो यन्त्र से पुरुष की चेष्टा करनेवाला पुतला । कुछ, जो कोई । असम्बद्ध, अयुक्त, तुच्छ । । °वाडचुल्ली स्त्री [°पाटचुल्ली] इक्षु-रस जंकयसुकय वि [दे] थोड़े उपकार से अधीन | पकाने का चूल्हा । °हर न [°गृह] पानी का होनेवाला। फवारावाला स्थान । अँउणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy