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________________ ३३० विशेष | छड सक [ आ + रुह् ] आरूढ़ होना, चढ़ना । छडक्खर पुं [दे] कार्त्तिकेय । छडछडा स्त्री [छटच्छटा ] सूर्प (सूप) वगैरह से अन्न को झाड़ते समय होती एक प्रकार को अव्यक्त आवाज । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष छडा स्त्री [] विद्युत् | छडा स्त्री [छटा ] समूह, परम्परा । छींटा, पानी की बूंद । छडाल वि[छटावत् ] छटावाला । छडिय वि [छटित ] सूप आदि से छँटा या फटका हुआ । छड्डु सक [छर्दय्, मुच् ] वमन करना । छोड़ना, त्याग करना । डालना, गिराना । छड्डय वि [छर्दक] छोड़नेवाला । पुं. एक सेठ छत्तंतिया स्त्री [छत्रान्तिका ] परिषद् - विशेष, का नाम । सभा - विशेष । छडुवण न [छर्दन, मोचन ] छुड़वाना, मुक्त करवाना । वमन कराना । वि. वमन करानेवाला | छुड़ानेवाला । छडुव वि[छर्दक, मोचक ] त्याग करानेवाला । छड्डावण देखो छडुवण । छड्डाविय वि [छर्दित, मोचित ] वमन कराया हुआ । छुड़वाया हुआ । छड्डि स्त्री [छदि] दमन का रोग । छडि स्त्री [छर्दिस्] छिद्र, दूपण । | छण सक [ क्षण् ] हिंसा करना, छेदन करना । छण पुं [क्षण] उत्सव | हिंसा | चंद पुं [°चन्द्र] शरद् ऋतु की पूर्णिमा का चन्द्रमा । | 'ससि पुं [ " शशिन् ] वही पूर्वोक्त अर्थ । छणिदु पुं [क्षणेन्दु ] शरद् ऋतु की पूर्णिमा का चन्द्र । छवि [छन्न] गुप्त, छिपाया हुआ । आच्छा दित । न माया, कपट । निर्जन, रहस् । छण्णालय न [ दे. षण्णालक] त्रिकाष्ठिक, तिपाई, संन्यासियों का एक उपकरण । छत्त न [ छत्र] छाता, आतपात्र । लगातार Jain Education International छड - छप्पंती तैंतीस दिनों का उपवास । पुंन. एक देवविमान । पुं. ज्योतिष प्रसिद्ध एक योग जिसमें चन्द्र आदि ग्रह छत्र के आकार से रहते हैं । 'इल व [वत् ] छातावाला । ° कार वि. छाता बनानेवाला शिल्पी । ग पुंन [क] वनस्पति- विशेष | धार पुं. छाता धारण करनेवाला नौकर | 'पडागा स्त्री ['पताका ] छत्रयुक्त ध्वज । छत्र के ऊपर की पताका । पलासयन [° पलाशक] कृतमंगला नगरी का एक चैत्य | भंग पुं' [ "भङ्ग ] राजनाश, नृपमरण । हार देखो धार | इच्छत्त न [तिच्छत्र ] छत्र के ऊपर का छाता । पुं. ज्योतिष शास्त्र - प्रसिद्ध योग - विशेष । छत्त पुं [ छात्र ] विद्यार्थी, अभ्यासी । छत्तच्छय (अप) पुं [ सप्तच्छद ] सतौना का पक्ष । छत्तधन न [ दे] घास । छत्तवण्ण देखो छत्तिवण्ण । छत्ता स्त्री [छत्रा ] नगरी - विशेष । छत्तार पुं [ छत्रकार ] छाता बनानेवाला कारीगर । छत्ताह पुं [छत्राभ] वृक्ष-विशेष | छत्तिवण्ण पुं [सप्तपर्णं ] छतिवन । छत्तोय पुं [छत्रौक] वनस्पति- विशेष, विशेष | छत्तोव पुं [छत्रोप] वृक्ष- विशेष । छत्तोह पुं [छत्रौघ] वृक्ष - विशेष । छदमत्थ देखो छउमत्थ | छद्दवण देखो छड्डवण । छसम वि [ षड्दश] छः या दश । छद्दी स्त्री [दे] बिछौना । छन्न वि [क्षण] हिंसा प्रधान, हिंसा - जनक | छप्पइगिल्ल वि [षट्पदिकावत् ] यूका-युक्त । छप्पइया स्त्री [ षट्पदिका ] जूँ । छप्पती स्त्री [दे] नियम- विशेष, जिसमें पद्य For Private & Personal Use Only वृक्ष www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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