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________________ चाइय-चाडु संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ३१७ चाइय वि [त्याजित] छोड़वाया हुआ। । चाउम्मासी स्त्री [चातुर्मासी] देखो चाउम्माचाइय वि [शकित] जो समर्थ हुआ हो। | सिअ। चाउअंगी स्त्री [चार्वङ्गी] सुन्दर अंगवाली | चाउरंग देखो चउरंग। स्त्री। चाउरंगिज्ज वि [चतुरङ्गीय] चार अंगों से चाउंड पु [चामुण्ड] राक्षस-वंश का एक सम्बन्ध रखनेवाला । न. 'उत्तराध्ययन' सूत्र राजा, एक लङ्का-पति । का एक अध्ययन । चाउकाल न [चतुष्काल] चार समय । चाउरंत देखो चउरंत। चाउकोण वि [चतुष्कोण] चार कोनावाला, चाउरंत पुं [चातुरन्त] चक्रवर्ती राजा, चतुरस्र । सम्राट् । न. लग्न-मण्डप, चौरी । चाउग्घंट ) वि [चतुर्घण्ट] चार घंटा | चाउरंत न [चातुरन्त] भारतवर्ष । चाउघंट , वाला, चार घण्टाओं से युक्त । चाउरंत न [चतुरन्त] चक्र, पहिया । चाउजाम न [चातुर्याम] चार महाव्रत, चाउरक्क वि [चातुरक्य] चार बार परिणत । साधु-धर्म-अहिंसा, सत्य, अस्तेय और अपरि- गोखीर न [°गोक्षीर] चार बार परिणत ग्रह ये चार साधु-व्रत । किया हुआ गो-दुग्ध, जैसे कतिपय गौओं का चाउज्जाय न [चातुर्जात] दालचीनी, तमा- | दूध दूसरी गौओं को पिलाया जाय, फिर लपत्र, इलायची और नागकेसर।। उनका अन्य गौओं को, इस तरह चार बार चाउत्थिग । पुं [चातुर्थिक] रोग-विशेष, | परिणत किया हुआ गो-दुग्ध । चाउत्थिय । चौथे-चौथे दिन पर होनेवाला चाउल वि [दे] चावल का । पुं. तण्डुल । ज्वर । चाउल्लग न [दे] पुरुष का पुतला-कृत्रिम चाउद्दसिया स्त्री [चतुर्दशिका] चौदस । पुरुष । चाउद्दसी स्त्री [चतुर्दशी] ऊपर देखो। | चाउवण्ण । वि [चातुर्वर्ण्य] चार वर्णवाला, चाउद्दाह (अप) त्रि. ब. [चतुर्दशन्] चौदह । चाउव्वण्ण ) चार प्रकार वाला। पुं. साधु, चाउद्दिसिं देखो चउ-दिसि । साध्वी, श्रावक और श्राविका का समुदाय । चाउप्पाय न [चतुष्पाद] चतुर्विध । न. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ये चार चाउमास , पुंन [चातुर्मास] चौमासा । मनुष्य-जाति । चाउम्मास ' आषाढ़, कार्तिक और चाउग्विज्ज । न [चातुर्वद्य] चार प्रकार फाल्गुन मास की शुक्ल चतुर्दशी। चाउव्वेज ) को विद्या-न्याय, व्याचाउम्मासिअ वि [चातुर्मासिक] चार मास करण, साहित्य और धर्म-शास्त्र । पुं. चौबे, सम्बन्धी, जैसे आषाढ़ से लेकर कार्तिक तक | ब्राह्मणों का एक अल्ल-उपगोत्र या वर्ग। के चार महीने से सम्बन्ध रखनेवाला । न. चाउस्साला स्त्री [चतुश्शाला] चारों तरफ आषाढ़, कार्तिक और फाल्गुन मास की शुक्ल के कमरों से युक्त घर । चतुर्दशी तिथि, पर्व-विशेष । चाँउंडा स्त्री [चामुण्डा] स्वनाम-ख्यात देवी । चाउम्मासी स्त्री [चातुर्मासी] चार मास, काउअ पुं [ कामुक] महादेव । चौमासा, आषाढ़ से कार्तिक, कार्तिक से | चाग देखो चाय = त्याग । फाल्गुन और फाल्गुन से आषाढ़ तक के चार | चाड वि [दे] मायावी, कपटी । महीने । । चाडु पुन [चाटु] प्रियवाक्य । खुशामद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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