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________________ गोत्तिअ - गोर गोत्तिअ वि [ गोत्रिक ] स्वजन, भाई-बंद | गोथुभ देखो गोथुभ । गोभा देखो गोभा । गोथुभ पुं [गोस्तूप ] ग्यारहवें जिनदेव का गोभ प्रथम- शिष्य । वेलन्धर नागराज का एक आवास पर्वत । न मानुषोत्तर पर्वत का एक शिखर | कौस्तुभरत्न । गोथूभा स्त्री [गोस्तूपा ] वापी - विशेष, अंजन पर्वत पर को एक वापी । शक्रेन्द्र की एक अग्रमहिषी को राजधानी । गोदा स्त्री [दे. गोदा] गोदावरी नदी । गोध पुं. म्लेच्छ देश । गोध देश का निवासी । गोधा स्त्री. गोह, हाथ से चलनेवाली एक साँप की जाति । गोपुर देखो गोउर । गोप्पहेलिया स्त्री [गोप्रहेलिका ] गौओं को चरने की जगह 1 गोफणा स्त्री [दे] गोफन | गोमद्दा स्त्री [दे] रथ्या, मुहल्ला । गोमा पुं [गोमायु] सियार, गीदड़ । } गोमाउ गोमासिया स्त्री [गोमानसिका ] शय्याकार स्थान- विशेष । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष गोमाणसी स्त्री [गोमानसी ] ऊपर देखो । गोमि वि [गोमिन्] जिसके पास अनेक गोमिअ गौ हों वह । गोमिअ देखो गोम्मिअ । गोमिआ [दे] देखो गोमी । गोमिक (मा) [गौरवित ] सम्मानित । गोमी स्त्री [] कनखजूरा, त्रीन्द्रिय जन्तु - विशेष 1 गोमुह पुं [ गोमुख ] भगवान् ऋषभदेव का शासन-यक्ष । एक अन्तद्वीप । गोमुख द्वीप का निवासी । न उपलेपन । गोही स्त्री [गोमुखी] वाद्य-विशेष | गोमेअ गोमेज ३८ } पुं [गोमेद ] रत्न की एक जाति, राहुरत्न । Jain Education International २९७ गोमेह पुं [गोमेध ] यक्ष-विशेष, भगवान् नेमिनाथ का शासन - देव । यज्ञ-विशेष, जिसमें गौ का वध किया जाता है । गोम्मिअ पुं [गौल्मिक ] कोतवाल । गोम्ही देखो गोमी । गोय देखो गोत्त । वाइ वि ['वादिन् ] अपने कुल को उत्तम माननेवाला, वंशाभिमानी । गोय न [ दे] उदुम्बर – गूलर वगैरह का फल | गोय न [गोत्र ] मौन, वाक्-संयम । 'वाय पुं ['वाद] गोत्र सूचक वचन । गोयम पुं [ गोतम] ऋषि - विशेष | बैल | न. गोत्र - विशेष | छोटा गोयम वि [ गौतम] गोतम गोत्रीय । पुं. भगवान् महावीर का प्रधान-शिष्य । राजा अन्धकवृष्णि का एक पुत्र । एक मनुष्य जाति, जो बैल द्वारा भिक्षा माँग कर अपना निर्वाह चलाती है । एक ब्राह्मण । द्वीप विशेष । 'केसिज्जन [° केशीय] 'उत्तराध्ययन' सूत्र का एक अध्ययन । सगुत्त वि[° सगोत्र ] गोतम गोत्रीय | सामि पुं ['स्वामिन् ] भगवान् महावीर के सर्व-प्रधान शिष्य का नाम । गोयमज्जिया) स्त्री [गौतमार्यिका ] जैनमुनि| गोयमेज्जिया । गण की एक शाखा । गोयर पुं [गोचर] गौओं को चरने की जगह | विषय । इन्द्रिय का विषय, प्रत्यक्ष । भिक्षाटन | माधुकरी | वि. भूमि में विचरनेवाला | 'चरिआ स्त्री ['चर्या] भिक्षा के लिए भ्रमण | भूमि स्त्री. पशुओं को चरने की जगह । भिक्षा - भ्रमण की जगह । वत्ति वि [वर्तिन् ] भिक्षा के लिए भ्रमण करनेवाला । गोयरी स्त्री [गौचरी] भिक्षा | गोर पुं [गौर] शुक्ल वर्ण । वि. गौर वर्णवाला | निर्मल । खरपुं गर्दभ की एक जाति । गिरि पु. हिमाचल | मिग पुं [ मृग ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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