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________________ अंदेउर -- अंबड अंदेउर (शौ) देखो अंतेउर । अंदोल अक [ अन्दोल् ] झूलना । कंपना, हिलना | संदिग्ध होना । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वाली एक विद्या । अंधार पु] [अंधकार ] अंधेरा | अंधार सक [अन्धकारय् ] अन्धकार-युक्त करना । अंधाव सक [ अन्ध | अंधा करना । अंधिआ स्त्री [अन्धिका ] द्यूत- विशेष | अधिआ स्त्री [अन्धिका ] चतुरिन्द्रिय जंतु की एक जाति । अंदोलय देखो अंदोलग | अंदोलि वि [आन्दोलिन् ] हिलानेवाला, कंपा- अंधीकिद (शौ) वि [ अन्धीकृत ] अंध किया नेवाला । अंदोल सक [अन्दोलय् ] कंपाना, हिलाना । अंदोलग पुं [आन्दोलक ] हिंडोला । अंदोलण न [आन्दोलन] हिचकना, झूलना। हिंडोला । मार्ग - विशेष । अंदोलिर वि [आन्दोलितृ] झुलनेवाला । अंदोलण देखो अंदोलण । अंध वि [अन्ध] अन्धा । अज्ञान, ज्ञानरहित । इज्जन [ कण्टकीय] अंध पुरुष के कंटक पर चलने के माफिक अविचारित गमन करना । 'तम न [° तमस ] निबिड अन्धकार | पुर न नगर विशेष | अंध पुं [अन्ध] पांचवाँ नरक का चौथा नरकेन्द्रक, एक नरक- स्थान । अंध पु. ब. [ अन्ध्र ] इस नाम का एक देश । अंध वि [आन्ध्र] आन्ध्र देश का रहनेवाला । अंधंधु पुं [दे] कुँआ । अंधकार देखो अंधयार । वि [ अन्ध] अन्धा | अंधरअ अंधल अंधरिल्ली स्त्री [अन्धयित्री] अंध बनाने Jain Education International हुआ । अंधु [ अन्धु ] कूप | 'अंप पु [ कम्प] कंपन । ११ अंधग पुं [दे] वृक्ष | 'वहि पु ['वह्नि] अंब न [ अम्ल ] तक्र, मट्ठा | खट्टा रस । खट्टी । स्थूल अग्नि । अंधग देखो अंध | 'वहि पुं [व] सूक्ष्म अग्नि । वहि पुं [वृष्णि] यदुवंश का एक राजा, जो समुद्र विजयादि का पिता था । चीज | वि. निष्ठुर वचन बोलनेवाला । अंब वि [ आम्ल ] खट्टी वस्तु । मट्ठे से संस्कृत चीज । अंब वि [ ताम्र ] लाल, रक्तवर्णवाला । अंबग देखो अंब = आम्र °ट्टिया स्त्री [Tस्थि] गुठली । अंधय पुं [अन्धक] अंधा । वानरवंश का एक राजकुमार । आम अंधयार पुन [ अन्धकार ] अंधेरा । पक्ख [ पक्ष ] कृष्णपक्ष । अंब [अम्बष्ठ] देश-विशेष | जिसका पिता ब्राह्मण और माता वैश्य हो वह । अंबड पुं [ अम्बड ] एक परिव्राजक, जो महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष जायगा । भगवान् महावीर का एक श्रावक, जो आगामी चौबीसी मे २२ वा तीर्थकर होगा । अंब पुं [अम्ब] एक जात के परमाधार्मिक देव, जो नरक के जीवों को दुःख देते हैं । पुं [आ] आम का पेड़ । न. आम्र फल 1 'गट्टिया स्त्री [दे] आम की आँठी, गुठली । 'चोयग न [ दे] आम का रुंछा । आम की छाल | डगल न [] आम का टुकड़ा | 'डालग न [ दे] आम का छोटा टुकड़ा | 'पेसिया स्त्री [शिका] आम का लम्बा टुकड़ा । भित्तन [] आम का टुकड़ा । सलग न [ दे] आम की छाल । 'सालवण न [ शालवन] चैत्य- विशेष | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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