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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अंच-अंडय अंच सक [अञ्च] जाना। अंजणई स्त्री [दे] वल्ली-विशेष । अंचल पु [अञ्चल] कपड़े का शेष भाग । अंजणईस न [दे] देखो अंजणइसिआ। अंचि पु [अञ्चि ] गमन, गति । अंजणा स्त्री [अंजना] हनूमान् की माता । अंचि पु[आञ्चि ] आगमन । स्वनाम-ख्यात चौथी नरक-पृथिवी। एक अंचिय वि [अञ्चित] युक्त । पूजित । प्रशस्त । पुष्करिणी । तणय पुं [°तनय ] हनून. एक प्रकार का नृत्य । एक बार का मान् । °सुन्दरी स्त्री हनूमान् की माता । गमन । °यंचि पु [°ाञ्चि] गमनागमन । | | अंजणाभा [अञ्जनाभा] चौथी नरक पृथिवी । ऊँचा-नीचा होना। अंजणिआ स्त्री [दे] देखो अंजणइसिआ। अंचियरिभिय न [अञ्चितरिभित] एक अंजणी स्त्री [अञ्जनी] कज्जल का आधारतरह का नाट्य । पात्र । अंचिया स्त्री [अञ्चिका] आकर्षण । अंजलि, °ली स्त्री [ अञ्जलि ] हाथ का अंछ सक [कृष्] खींचना । अक. लम्बा होना । संपुट । एक या दोनों संकुचित हाथों को अंछिय वि [दे] आकृष्ट । खींचा हुआ। ललाट पर रखना। कर-संपुट, नमस्कार अंज सक [अञ्ज] आंजना। रूप विनय, प्रणाम °उड पुं [पुट] हाथ का अंजण पु [अञ्जन] कृष्ण पुद्गल-विशेष । संपुट । °करण न विनय-विशेष, नमन । देव-विशेष । पर्वत-विशेष । एक लोकपाल °पग्गह पु[प्रग्ग्रह] नमन, हाथ जोड़ना । देव । पर्वत-विशेष का एक शिखर, जो संभोग-विशेष । दिग्हस्ती कहा जाता है। वृक्ष-विशेष । अंजस वि (दे) ऋजु । न. एक जाति का रत्ल । देवविमान-विशेष । अंजु वि [ऋजु] सरल, अकुटिल, संयम में काजल । जिसका सुरमा बनता है ऐसा तत्पर, संयमी । स्पष्ट व्यक्त । एक पार्थिव द्रव्य । आंख को आंजना । तैल अंजुआ स्त्री [अञ्जका] भगवान् अनन्तनाथ आदि से शरीर की मालिश करना । ___ की प्रथम शिष्या। रत्नप्रभा पृथिवी के खरकाण्ड का दशवाँ | अंजू स्त्री [अ] एक सार्थवाह की कन्या । अंश-विशेष । केसिया स्त्री [केशिका] | 'विपाकश्रुत' का एक अध्ययन । एक इन्द्राणी वनस्पति-विशेष। °जोग ५ [ °योग ] | । 'ज्ञाताधर्मकथा' सूत्र का एक अध्ययन । कला-विशेष। दीव पुं [ द्वीप] द्वीप- अंठि पुन [अस्थि] हड्डी, हाड़ । विशेष । 'पुलय पुं[ °पुलक ] एक जाति / अंड न [अण्ड] अंडा। अंडकोश । का रत्न । पर्वत-विशेष का एक शिखर । अंडअ ! 'ज्ञाताधर्मकथा' सूत्र का तृतीय पहा स्त्री [प्रभा] चौश्री नरकपृथिवी ।। अंडग अध्ययन । °कड वि [कृत] जो °रिठ्ठ पं ["रिष्ट] इन्द्र-विशेष । °सलागा अण्डे से बनाया गया हो। °बंधु स्त्री [°शलाका ] जैन-मूर्ति की प्रतिष्ठा । पु [°बन्ध] मन्दिर के शिखर पर अंजन लगाने की सलाई। °सिद्ध वि आंख रखा जाता अण्डाकार गोला । में अंजन-विशेष लगाकर अदृश्य होने की वाणियय पु [°वाणिजक] शक्तिवाला । सुन्दरी स्त्री एक सती स्त्री, अण्डों का व्यापारी। हनूमान् की माता। | अंडग । वि [अण्डज] अण्डे से पैदा होने अंजणइसिआ स्त्री [दे] श्याम तमाल का पेड़।। अंडय , वाले जंतु, पक्षी, साँप, मछली Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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