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________________ अंगइया- अंच अंगइया स्त्री [अङ्गदिका ] एक नगरी, तीर्थ - विशेष । अंगंगीभाव पुं [अङ्गाङ्गीभाव ] अभेद भाव । अभिन्नता । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अंगण न [ अङ्गण] आंगन | अंगणा स्त्री [अङ्गना ] औरत । अंगदिआ देखो अङ्गइया | अंगवड्ढण न [दे] बीमारी | अंग लिज्ज न [ दे] शरीर को मोड़ना । अंगार पुं [अङ्गार] जलता हुआ कोयला । जैन साधुओं के लिए भिक्षा का एक दोष । मग पुं [मर्दक] एक अभव्य जैनआचार्य | वई स्त्री ['वती ] सुंसुमार नगर के राजा धुन्धुमार की एक कन्या का नाम । अंगारग पुं [अङ्गारक] ऊपर देखो । अंगारय । मंगल ग्रह | पहला महाग्रह | करना । अंगुलिअ अंगुलिज्जक अंगुलिज्जग अंगालग देखो अंगारग । अंगुली स्त्री [ ] प्रियंगु, वृक्ष - विशेष । अंगुली स्त्री [अङ्गुली] देखो अंगुलि | अंगुलीय पुंन [ अङ्गुलीयक] अंगुठी । अंगुलेज्जक | अंगुले अंगालिय न [ दे] ईख का टुकड़ा । अंगालिय देखो अंगारिय । अंगि पुं [अङ्गिन् ] प्राणी, जीव । वि अंगुलेयग देखो अंगुलेयय । शरीरवाला | अंग-ग्रन्थों का ज्ञाता । अंगुरंग न [अङ्गोपाङ्ग] शरीर के अंगिरस न [ अङ्गिरस ] एक गोत्र, जो अंगोवंग अवयव । नख वगैरह शरीर गोतम - गोत्र की शाखा है । के छोटे-छोटे अवयव | 'णाम न [' नामन् ] शरीर के अवयवों के निर्माण में कारण-भूत कर्म-विशेष | अंगिरस वि [ आङ्गिरस ] अंगिरस - गोत्र में राक्षस वंश का एक राजा । अंगारिय वि [अङ्गारित ] कोयले की तरह जला हुआ, विवर्ण । अंगाल देखो अंगार । उत्पन्न । पुं. एक तापस । अंगीकड ) वि [अङ्गीकृत] स्वीकृत । अंगीय अंगीकर सक [अङ्गी + कृ] अंगण करना । स्वीकार अंगुअ पुं [इङ्गुद] वृक्ष - विशेष । न. इंगुद वृक्ष का फल | Jain Education International अंगुट्ट पुं [ अङ्गुष्ठ | अंगूठा । 'पणि पुं [प्रश्न ] एक विद्या । 'प्रश्नव्याकरण' सूत्र का एक लुप्त अध्ययन । [] घूंघट | अंगुत्थल न [] अंगुठी, अंगुलीय । अंगुब्भव वि [अङ्गोद्भव ] संतान | अंगु सक [ ] पूर्ति करना । अंगुर, स्त्री [अङ्गुलि, ली] उंगली | अंगु न [अंगुल ] यव के आठ मध्यभाग के बराबर का एक नाप, मान - विशेष | 'पोहत्तिय वि [° पृथक्त्वक] दो से लेकर नव अंगुल तक का परिमाण वाला । अंगुलि स्त्री [अङ्गुलि] उंगली । कोस पुं [कोश ] अंगुलित्राण, दास्ताना | फोडण न [स्फोटन ] उंगली फोड़ना, कड़ाका [ अङ्गुलीयक] अंगुठी | अंगोहलि स्त्री [दे] शिर को छोड़कर बाकी शरीर का स्नान अंघो अ [अङ्ग ] भय-सूचक अव्यय । अंच सक [कृष्] खींचना। जोतना, चास करना । रेखा करना । उठाना । अंच सक [ अञ्च् ] पूजा करना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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