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________________ २२२ मटका । नाई हो वह । पुं. वृक्ष - विशेष, कनेर का गाछ । तमिस्रा नामक गुफा का अधिष्ठायक देव | लक्खण वि [लक्षण] जिसने अपने शरीर-चिन्ह को सफल किया हो वह । "ववि [[वत् ] जिसने किया हो वह । "वणमालपिय पुं [ वनमालप्रिय ) इस नाम का एक यक्ष । वम्म पुं. ['वर्मन् ] नृप-विशेष, भगवान् विमलनाथ का पिता । ' वीरिव पुं [वीर्य ] कार्तवीर्य के पिता का नाम । कयलि, °ली स्त्री [कदलि, "ली] केला का गाछ । समागम पुं. इस नाम का एक गाँव । 'हर न [गृह] कदली-स्तम्भ से बनाया हुआ घर । कयल्लय देखो कय = कृत । कयं अ [कृतम्] अलम्, बस । कयवर पुं [दे] कूड़ा, मैला, विष्ठा । कयंगला स्त्री [कृतङ्गला ] श्रावस्ती नगरी के कयवरुज्झिया स्त्री [दे. कचवरोज्झिका ] समीप की एक नगरी । कूड़ा साफ करनेवाली दासी । कयवाउ पुं [कृकवाकु] कुकड़ा, मुर्गा । कयवाय पुं [कृकवाक] कुक्कुट | कयसण न [कदशन] खराब भोजन । कयसेहर पुं [दे] मुर्गा | कया अ [कदा] कब, किस समय ? काइ अ [ कदापि ] कभी भी, किसी समय भी । कयाइं अ [कदाचित् ] किसी समय, कभी । वितर्क द्योतक अव्यय । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष कयंत पुं [कृतान्त ] यम, मृत्यु | शास्त्र, सिद्धान्त । रावण का इस नाम का एक सुभट । 'मुह पुं [°मुख] रामचन्द्र के एक सेनापति का नाम । "वयण पुं [ "वदन] राम का एक सेनापति । कसंध देखो कमंध । कब देखो कलंब | कयंब [कदम्ब] समूह | कबिय वि[कदम्बित ] अलंकृत । कयंबुअ देखो कलंबुअ । कवि [कृत ] प्रयत्न - जन्य | कयग वि [क्रायक] खरीदनेवाला । कयग पुं [कतक] वृक्ष- विशेष निर्मली । न. कतक - फल, निर्मली - फल, पायपसारी । यज्जवि [कदर्य ] कंजूस । ड्ड पुं [पदन्] इस नाम का एक यश्न देवता । कयण न [कदन] हिंसा, मार डालना | कत्थ सक [कदर्थय् ] हैरान करना, पीड़ा करना । कयन्न वि [ कदन्न ] खराब अन्न । कवि [कतम ] बहुत में से कौन ? Jain Education International न. करीर का फल । कयल पुं [कदल ] केला का गाछ । न. केला । कयल न [दे] अलिञ्जर, बड़ा गगरा, झंझर, कयं - करअरी क्याइ कयाई कयाण न [क्रयाणक] बेचने योग्य वस्तु, करियाना । कयार पुं [दे] कूड़ा | कवि देखो कयाइ = कदापि । योग पुं. बहुरूपिया । कर सक [कृ] करना, बनाना । करअडी कर वि [तर] दो में से कौन ? कयर पुं [क्रकर] वृक्ष-विशेष, करीर, करील । करअरी कर पुं. एक महाग्रह | हाथ | महसूल । किरण | हाथी की सूंड । करका, शिला-वृष्टि, ओला । ह पुं [ग्रह ] हाथ से ग्रहण करना । शादी | य पुं [ज] नख । रुह पुंन [" कररुह्] नख । पुं. नृप - विशेष । लाघव न कला-विशेष, हस्तलाघव । वंदण न [वन्दन] वन्दन का एक दोष । स्त्री [दे ] मोटा कपड़ा । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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