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________________ कम्म-कये संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २२१ जीव कारीगर । कारीगरी का कोई कम्मार वि [कर्मकार] नौकर । कारीगर, भी काम बतलाकर भिक्षादि प्राप्त करने- शिल्पी । वाला साधु । °ादाण न [Tदान] जिससे कम्मारिया स्त्री [कर्मकारिका] स्त्री-नौकर, भारी पाप हो ऐसा व्यापार । °ायरिय पुं दासी । [[य] निर्दोष व्यापार करनेवाला । °वाइ कम्मि वि [कमिन्] कर्म करनेवाला, देखो वाइ। अभ्यासी, पाप कर्म करनेवाला। कम्म वि [कार्मण] कर्म-सम्बन्धी, कर्मजन्य, कम्मिया स्त्री [कमिका, कामिका] अभ्यास कर्म-निर्मित, कर्म-मय । न. कर्म-पुद्गलों का से उत्पन्न होनेवाली बुद्धि । अवशिष्ट कर्म । ही बना हुआ एक अत्यन्त सूक्ष्म शरीर, जो कम्हल न [कश्मल] पाप । भवान्तर में भी आत्मा के साथ ही रहता; कम्हा अ [कस्मात क्यों, किस कारण से । है। कर्म-विशेष, कार्मण-शरीर का हेतु-भूत । कम्हार देखो कभार । °ज न. केसर, कुंकुम । कर्म । कर्मण-शरीर का एक व्यापार । कम्हिअ पुं [दे] माली । कम्मइय न [कर्मचित, कार्मण] ऊपर देखो। कम्हीर देखो कंभार । कम्मत पुं [दे. कर्मान्त] कर्म-बन्धन का कय पुकच] केश। कारण । कर्मस्थान, कारखाना । कय पुं [क्रय] खरीदना। कम्भंत वि [कुर्वत्] हजामत करता हुआ । कय देखो कड = कृत । °उण्ण वि [ पुण्य] नापित । °साला स्त्री [शाला] जहाँ पर पुण्यशाली, भाग्यशाली । °क देखो °ग । उत्तरा-बाल बनाने का छुरा आदि सजाया °कज्ज वि [°काय] कृतार्थ, सफल-मनोरथ । जाता हो वह स्थान । करण वि. अभ्यासी, कृताभ्यास । °किच्च कम्मक्कर देखो कम्म-कर।। वि [कृत्य] सफल-मनोरथ । °ग वि [क] कम्मग न [कर्मक, कार्मक, कार्मण] देखो अपनी उत्पत्ति में दूसरे की अपेक्षा करने कम्म = कार्मण । वाला, प्रयत्न-जन्य । पुं. दास-विशेष, कम्मण न [कामण] कर्म-मय शरीर । औषध, गुलाम । न. सुवर्ण । ग्घ वि [°न] मन्त्र आदि के द्वारा मोहन, वशीकरण, कृतघ्न । °जाणुअ वि [°ज्ञायक] कृतज्ञ । उच्चाटन आदि कर्म । °गारि वि [°कारिन्] °ण, °ण्णु वि ["ज्ञ] किये हुये उपकार की कार्मण करनेवाला । जोय पुं [°योग] कदर करनेवाला । °ण्णुया स्त्री [ज्ञता] कार्मण-प्रयोग। एहसानमन्दी । 'त्थ वि [°ार्थ] कृतकृत्य । कम्मण न [भोजन] भोजन । 'नासि वि [नाशिन्] कृतघ्न । कम्मय देखो कम्मग। पंजलि वि [प्राञ्जलि] नमस्कार के लिए कम्मव सक [उप + भुज्] उपभोग करना। जिसने हाथ ऊँचा किया हो वह । पडिकइ कम्मवण न [उपभोग] उपभोग, काम में । स्त्री [ प्रतिकृति] प्रत्युपकार, विनय-विशेष । लाना। °पडिकइया स्त्री [प्रतिकृतिता] प्रत्युपकार । कम्मस वि [कल्मष] मलिन । न. पाप। विनय का एक भेद । °बलिकम्म वि [°बलि. कम्मा स्त्री [कर्मन्] क्रिया, व्यापार । कर्मन्] जिसने देवता की पूजा की है वह । कम्मार पुं [कर्मार] लोहार, लोहकार। मंगला स्त्री [ मङ्गला] इस नाम की एक ग्राम-विशेष । नगरी । °माल वि [°माल] जिसने माला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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