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________________ १९४ ओद्धस-ओमीस ओस क [ अव + ध्वंस्] गिराना । हटाना । हराना । अधावक [अव + धाव् ] पीछे दौड़ना । ओण देखो अवण | और मलिन वस्त्र धारण करनेवाला । रत्त पुं [ रात्र] ज्योतिष की गिनती के अनुसार जिस तिथि का क्षय होता है वह । अहोरात्र । ओमइल्ल वि [ अवमलिन] मलिन । ओमंथ [] देखो ओमत्थ । ओअ वि [ अवधूत ] कम्पित । वाला, हलका पीला रंगवाला । ओधूसरिअ वि [ अवधूसरित ] धूसर रंग ओमंथिय वि [ अवमस्तिक ] शीर्षासन से स्थित । ओमंस वि[] अपसृत, अपगत । ओमज्जण न [ अवमज्जन ] स्नान- क्रिया । ओमज्जायण पुं [ अवमज्जायन ] ऋषि- विशेष । ओम ज्जअ वि [ अवमार्जित] स्पर्शित । ओम [ अवमृष्ट] स्पृष्ट । ओप्पा स्त्री [दे] शाण आदि पर मणि वगैरह ओमत्थ वि [ दे] नत, अधोमुख । ओप्प वि [] सृष्ट, ओप दिया हुआ । ओप्प a [ अर्पय् ] अर्पण करना । ओमल्ल न [ निर्माल्य ] निर्माल्य, देवोच्छिष्ट का घर्षण करना । ओप्पाइय वि [ औत्पातिक ] उत्पात -सम्बन्धी । ओपि वि [दे] शाण पर घिसा हुआ । ओन डिवि [अवनटित ] अवगणित तिरस्कृत । ओपल्ल व [दे] अपदीर्ण, कुण्ठित । ओपील पुं [दे] समूह | ओप्पुंसिअ ओप्पुसिअ } देखो उप्पुस । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष द्रव्य | ओमल्ल वि [दे] घनीभूत । कठिन, जमा हुआ । ओमाण पुं [अपमान] अपमान, तिरस्कार । ओमाण न [ अवमान ] जिससे क्षेत्र वगैरह का माप किया जाता है वह, हस्त, दण्ड वगैरह मान | जिसका माप किया जाता है वह क्षेत्रादि । ओमाय वि [ अवमित] परिमित, मापा हुआ । ओमाल देखो ओमल्ल = निर्माल्य । ओमाल अक [ उप + माल् ] शोभना । सक. सेवा करना । पूजा करना । ओमालिअ देखो ओमल्ल = निर्माल्य । | ओमालिआ स्त्री [अवमालिका ] चिमड़ी या मुरझाई हुई माला | ओबद्ध वि [ अवबद्ध ] बँधा हुआ । अवसन्न । ओबुझ सक [अ + बुध् ] जानना । ओब्भालण देखो उब्भालण । ओभग्ग वि [अवभग्न] भग्न, नष्ट । ओभावणा स्त्री [अपभ्राजना ] लोक- निन्दा | ओभास अक [ अव + भास्] प्रकाशना । ओभास सक [अव + भाष्] याचना करना । अभास पुं [ अवभास] प्रकाश । महाग्रह विशेष | ओभासण न [ अवभासन] प्रकाशन, उद्यो- ओमास पुं [ अवमर्श ] स्पर्श । तन । आविर्भाव । प्राप्ति । ओमिण सक [ अव + मा] मापना। मान करना । ओभुग्गवि [अवभुग्न ] वक्र । ओभेडिय वि [अवमुक्त ] छुड़ाया हुआ । रहित ओमिणण न [ दे] प्रोंखनक । वर के लिए किया हुआ । सासू की ओर से किया हुआ न्योछावर । ओमिव [ अमित ] परिच्छिन्न, परिमित । ओमील अक [ अव + मील् ] मुद्रित होना, बन्द होना । ओम वि [अवम] असार । ओमीस वि [ अवमिश्र ] मिश्रित । समीपस्थ । Jain Education International ओम व [अवम] कम । लघु । न दुर्भिक्ष 1 वि[कोष्ठ ] जिसने कम खाया हो वह । 'चेलग, 'चेलय वि ['चेलक] जीर्ण | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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