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________________ उवइय-उवक्खडिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष १६९ उवइय वि [उपचित] मांसल । उन्नत । | उवकस सक [उप-+ कष्] प्राप्त होना । उवइय पुंस्त्री [दे] त्रीन्द्रिय जीव-विशेष, देखो उवकसिअ वि [दे] सन्निहित । परिसेवित । ओवइय। सर्जित, उत्पादित । उवइस सक [उप+ दिश] उपदेश देना, उवकार देखो उवगार। सिखाना । प्रतिपादन करना उकारिया देखो उवगारिया । उवउंज सक [उप + युज्] उपयोग करना । उवकिइ । स्त्री [उपकृति] उपकार । उवउज्ज पुं [दे] उपकार । वि. उपकारक । उवकिदि । उवउत्त वि [उपयुक्त] न्याय्य । अप्रमत्त । उवकुल न [उपकुल] नक्षत्र-विशेष, श्रवण उवऊढ वि [उपगूढ] आलिङ्गित । आदि बारह । उवऊह सक [उप+ गृह ] आलिङ्गन करना। उवकुल पुन [उपकुल] कुल नक्षत्र के पास का उवएइआ स्त्री [दे] शराब परोसने का पात्र । नक्षत्र। उवएस पुं [उपदेश] बोध । कथन, प्रतिपा- उवकोसा स्त्री [उपकोशा] एक गणिका, कोशा दन । शास्त्र, सिद्धान्त । उपदेश्य ।। वेश्या की छोटी बहन । उवएसग वि [उपदेशक] उपदेश देने वाला। उवक्कंत वि [उपक्रान्त] समीप में आनीत । उवओग पुं उपयोग] ज्ञान, चैतन्य । ध्यान, प्रारब्ध, प्रस्तावित । सावधानी । प्रयोजन, आवश्यकता । उवक्कम सक [उप + क्रम्] शुरू करना । उवओगि वि [उपयोगिन्] उपयुक्त, योग्य, प्राप्त करना । जानना। समीप में लाना। संस्कार करना । अनुसरण करना । प्रयोजनीय । उवक्कम पुं [उपक्रम] आरम्भ । प्राप्ति का उवंग पुन [उपाङ्ग] छोटा अवयव, क्षुद्र भाग। प्रयत्न । कर्मों के फल का अनुभव । कर्मों की मल-ग्रन्थ के अंश-विशेष को लेकर उसका परिणति का कारण-भूत जीव का प्रयत्नविस्तार से वर्णन करनेवाला ग्रन्थ, टीका । विशेष । मरण, विनाश । दूरस्थित को समीप 'औपपातिक' सूत्र वगैरह बारह जैन ग्रन्थ । में लाना। आयुष्य-विघातक वस्तु । शस्त्र । उर्वजण न [उपाञ्जन] मालिश । उपचार । ज्ञान, निश्चय । अनुवर्तन, अनुकूलउवकंठ देखो उवअंठ। प्रवृत्ति । संस्कार, परिकर्म । उवकंठ न [उपकण्ठ] समीप । उवक्कम पुं [उपक्रम] अनुदित कर्मों को उदय उवकदुअ (शौ) अ [उपकृत्य] उपकार ।। __ में लाना। करके। उवक्कमिय वि [औपक्रमिक] उपक्रम से सम्बन्ध उवकप्प सक [उप + क्ल] उपस्थित करना। रखनेवाला। करना। उवक्काम सक [उप + क्रम्] दीर्घकाल में भोगने उवकप्प पुं [उपकल्प] साधु को दी जाने वाली योग्य कर्मों को अल्प समय में ही भोगना । भिक्षा, अन्नपान वगैरह। उवक्कामण न [उपक्रमण] उपक्रम कराना। उवकय वि [उपकृत] अनुगृहीत । उवक्केस पुं[उपक्लेश] बाधा । शोक । उवकय वि [दे सज्जित, प्रगुण, तैयार । उवक्खड सक [उप + स्कृ] पकाना, रसोई उवकर देखो उवयर = उप + कृ । करना । पाक को मसाले से संस्कारित करना। उवकर सक [अव+क] व्याप्त करना। उवक्खड । वि [उपस्कृत] पकाया हुआ। उवकरण देखो उवगरण । । उवक्खडिय , मसाला वगैरह से संस्कार-युक्त २२ www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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