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________________ उदवाह-उदंडग संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष १५७ उदवाह वि. जल-वाहक। पुं. छोटा प्रवाह । उदिय वि [उदित] उद्गत । उन्नत । उक्त। उदसी [दे. उदश्चित् ?] तक। | उदीण वि [उदीचीन] उत्तर दिशा से सम्बन्ध उदहि पुं [उदधि] समुद्र । भवनपति देवों की | रखनेवाला, उत्तर दिशा में उत्पन्न । °पाईणा एक जाति, उदधिकुमार । 'कुमारपुं. देवों स्त्री [°प्राचीना] ईशान कोण । की एक जाति । देखो उअहि। उदोणा स्त्री [उदीचीना] उत्तर-दिशा । उदाइ पुं [उदायिन्] एक जैन राजा, महा- उदीर सक [उद् + ईरय] प्रेरणा करना । राजा कोणिक का पुत्र, जिसको एक दृष्ट ने कहना, प्रतिपादन करना । जो कर्म उदयजैन साधु बनकर धर्मच्छल से मारा था और प्राप्त न हो उसको प्रयत्न-विशेष से फलोन्मुख जो भविष्य में तीसरा जिनदेव होगा। पुं. करना । राजा कूणिक का पट्टहस्ती। | उदीरग देखो उदी रय। उदाइण देखो उदायण । उदीरय न [उदीरण] कथन, प्रतिपादन । उदात्त देखो उदत्त । प्रेरणा । काल-प्राप्त न होने पर भी प्रयत्नउदायण पुं [उदायन] सिन्धु-देश का एक | विशेष से किया जाता कर्म-फल का अनुभव । राजा, जिसने भगवान महावीर के पास दीक्षा | | उदीरय वि [उदीरक] कथक, प्रतिपादक । ली थी। प्रेरक, प्रवर्तक । उदीरणा करनेवाला, कालउदार देखो उराल। प्राप्त न होने पर भी प्रयत्न-विशेष से कर्मफल उदासि वि [उदासिन्] उदास, उदासीन । का अनुभव करनेवाला। °व न [°त्व] औदासीन्य ।। उदीरिद । वि [उदीरित] प्रेरित, कथित, उदासीण वि [उदासीन] मध्यस्थ । उपेक्षा उदीरिय ) प्रतिपादित । जनित, कृत । करनेवाला। समय-प्राप्त न होने पर भी प्रयत्न-विशेष से उदाहड वि [उदाहृत] कथित, दृष्टान्तित ।। खींच कर जिसके फल का अनुभव किया जाय उदाहर सक [उदा+ह] कहना। प्रतिपादन वह । करना। उदु देखो उउ। उदाहिय वि [उदाहृत] कथित, प्रतिपादित । उदुबर देखो उंबर। दृष्टान्तित । उदुरुह सम [उद् + रुह ] ऊपर चढ़ना । उदाहिय वि [दे] उत्क्षिप्त, फेंका गया । उदूखल देखो उऊखल । उदाहु देखो उदाहर। उद्ग पुन [दे] पृथिवी-शिला । उदाहु अ [उताहो अथवा । उदूलिय वि [दे] अवनत । उदाहू देखो उदाहर। उदूहल देखो उऊहल। उदाहो देखो उदाहु = उताहो । उद्द न [दे] जल-मानुष । बैल के कंधे का उदि अक [उद्+इ] उन्नत होना। उत्पन्न कूबड़ । मत्स्य-विशेष । उसके चर्म का बना होना । हुआ वस्त्र । उदिक्खिअ वि [उदीक्षित] अवलोकित । उद्द वि [आर्द्र] गीला । उदिण्ण वि [उदीच्य] उत्तर-दिशा में उत्पन्न। उद्दअ वि [मद्यत] उद्यम-युक्त । दिण्ण वि [उदीर्ण] उदित । फलोन्मुख उदंड । वि [उद्दण्ड] प्रचण्ड, उद्धत । पुं. (कर्म) । उत्पन्न । उत्कट, प्रबल । | उदंडग । हाथ में दण्ड को ऊंचा रखकर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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