SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आल-आलि संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष आल न. दोषारोपण । | आलद्ध वि [आलब्ध] संसृष्ट । संयुक्त । °आल देखो काल। स्पृष्ट, छुआ हुआ। मारा हुआ। °आल देखो जाल। आलप्प वि [आलाप्य] कहने के योग्य, निर्वच°आल देखो ताल। नीय । आलइअ वि [आलगित] यथास्थान स्थापित, आलभ सक [आ + लभ्] प्राप्त करना । योग्य स्थान में रखा हुआ। आलभण न [आलभन] विनाशन । आलइअ वि [आलयिक गृही, आश्रयवाला । आलभिया स्त्री [आलभिका] नगरी-विशेष । आलइय वि [आलगित] पहना हुआ। आलय पुन. घर, स्थान । आलंकारिय वि [आलङ्कारिक] अलंकार- आलय पुन. बौद्धदर्शन-प्रसिद्ध विज्ञान-विशेष । शास्त्र-ज्ञाता। अलंकार-सम्बन्धी । अलंकार आलयण न [दे] शय्या-गृह । के योग्य । आलव सक [आ + लप्] कहना, बातचीत आलंकिअ वि [दे] पंगु किया हुआ। करना । थोड़ा या एक बार कहना। आलंद न [आलन्द] समय का परिमाण- आलवाल न. कियारी, थाँवला । विशेष, पानी से भीजा हुआ हाथ जितने | आलस वि. आलसी, सुस्त । °त्त न [°त्व] समय में सूख जाय उतने से लेकर पाँच अहो- आलस, सुस्ती। रात्र तक का काल । आलसिय वि [आलसित] आलसी, मन्द । आलंदिअ वि [आलन्दिक] उपर्युक्त समय का आलसुय देखो आलसिय। उल्लंघन न कर कार्य करनेवाला । आलस्स पुंन [आलस्य सुस्ती । आलंब सक [आ + लम्ब्] आश्रय करना, आलाअ देखो आलाव । सहारा लेना। आलाण देखो आणाल। आलंब न [दे] भूमि-छत्र, वनस्पति-विशेष जो | आलाणिय वि [आलानित] नियन्त्रित, मजवर्षा में होता है। बूती से बाँधा हुआ। आलंबण न [आलम्बन] आश्रय, आधार, आलाव पुं [आलाप] सम्भाषण, बातचीत । जिसका अवलम्बन किया जाय वह । कारण, अल्प भाषण । प्रथम भाषण । एक बार की हेतु, प्रयोजन । उक्ति। आलंभिय न [आलम्भिक] नगर-विशेष । आलावक देखो आलावग। भगवती सूत्र के ग्यारहवें शतक का बारहवाँ आलावग पुं [आलापक] परिच्छेद, ग्रन्थ का उद्देश। अंश-विशेष । आलंभिया स्त्री [आलम्भिका] नगरी-विशेष । आलावण न [आलापन] बाँधने का रज्जु आलक्क पुं [दे] पागल कुत्ता। आलक्ख सक [आ+लक्षय] जानना । चिह्न आदि साधन, बन्धन-विशेष । °बंध पुं से पहिचानना। [°बन्ध] बन्ध-विशेष । आलग्ग वि [आलग्न] लगा हुआ, संयुक्त । आलावणी स्त्री [आलापनी] वाद्यविशेष । आलत्त वि [आलपित] सम्भाषित, आभा आलास पुं[दे] बिच्छू । षित । आलाहि देखो अलाहि। आलत्तय देखो अलत्त। आलि पुं[अलि] भ्रमर । आलत्थ पुं[दे] मोर। | आलि देखो आली। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy