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________________ ११३ आमंडण-आमोसहि संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष आमंडण न [दे] भाण्ड । आमुक्त वि [आमुक्त] त्यक्त । उतारा हुआ । आमंत सक [ आ + मन्त्रय ] आह्वान परिहित । करना, सम्बोधन करना । अभिनन्दन करना । आमुट्ठ वि [आमृष्ट] स्पृष्ट । उलटा किया आमंतण न [आमन्त्रण] आह्वान, सम्बोधन । हुआ। °वयण न [°वचन] सम्बोधन-विभक्ति ।। आमुय सक [आ + मुच्] छोड़ना, त्यागना । आमंतणी स्त्री [आमन्त्रणी] सम्बोधन की आमुस सक [आ + मश्] थोड़ा या एक बार भाषा, आह्वान की भाषा । आठवीं सम्बोधन स्पर्श करना। विभक्ति। आमेडणा स्त्री [आमेडना] विपर्यस्त करना। आमघाय'' [अमाघात] अमारि-प्रदान, हिंसा आमेल पुं [दे] लट, जटा। निवारण । आमेल पुं [आपीड़] फूलों की माला, जो मुकुट आमज्ज सक [ आ + मृज् ] एक बार साफ | पर धारण की जाती है, शिरोभूषण । करना। आमेल्ल देखो आमेल = आपीड़ । आमद्द पुं [आमद] संघर्ष, आघात ।। आमोअ अक [आ + मुद्] खुश होना । आमय पुं. रोग, दर्द । °करणी स्त्री. विद्या- | आमोअ पुं [दे. आमोद] खुशी। विशेष । आमोअ पुं [आमोद] सुगन्ध । आमय वि [आमत] सम्मत । आमोअ पुं [आमोद] वाद्य-विशेष । आमराय पुं [आमराज] एक प्रसिद्ध राजा । आमोअअ वि [आमोदक] सुगन्ध उत्पन्न आमरिस पं आमर्ष] स्पर्श । करनेवाला । आनन्द-जनक । आमल पुंन [आमलक] आमला का फल । आमोअअ वि [आमोदद] सुगन्ध देनेवाला । आमलई स्त्री [आमलकी] आमला का पेड़ । आमोक्ख पुं [आमोक्ष] मोक्ष । आमलकप्पा स्त्री [आमलकल्पा] नगरी | आमोक्खा स्त्री [आमोक्ष ळरकार आमोक्खा स्त्री [आमोक्ष] छुटकारा। परिविशेष । त्याग । आमलग पुं [ आमरक ] चारों ओर से | आमोड पुं [दे] जूट, लट, समूह । मारना । विपाक-श्रुत का एक अध्ययन । आमोडग न [आमोटक] वाद्य-विशेष । फूलों आमलग, पॅन [आमलक] आमला का पेड़।। से बालों का एक प्रकार का बन्धन । आमलय । आमला का फल । आमोडण न [आमोटन] थोड़ा मोड़ना । आमलय न [दे] नूपुर-गृह, नूपुर रखने का | आमोडिअ वि [आमोटित] मर्दित । स्थान। आमोद । देखो आमोअ। आमसिण वि [आमसृण] थोड़ा चिकना । उल्लसित । आमोय पुं [आमोक] कूड़े का पुञ्ज । आमिल्ल सक [ आ + मुच् ] छोड़ना । आमोरअ वि [दे] विशेषज्ञ । आमिस न [आमिष] मांस, नैवेद्य । वि. | आमोस पुं [आमर्श, °र्ष] स्पर्श । मनोहर, सुन्दर । आसक्ति का कारण, आमोस पुं [आमोष] चोर । आहार, फलादि भोज्य वस्तु । आमोसग वि [आमोषक] चोर । चोरों की आमुच सक [ आ + मुच् ] छोड़ना। एक जाति । उतारना । पहनना। | आमोसहि पुं [आमीषधि] लब्धि-विशेष, १५ आमोय । www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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