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________________ १०६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष आकण्णण-आगरिसग आकण्णण न [आकर्णन] श्रवण । आगंतुग । वि. [ आगन्तुक ] आनेवाला । आकदि देखो आकिदि। आगंतुय । अतिथि । कृत्रिम, अस्वाभाविक । आकम्हिय वि आकस्मिक] अकस्मात होने- | आगंप सक [आ + कम्पय्] फँपाना, हिलाना। वाला, बिना ही कारण होनेवाला । आगच्छ सक [आ + गम्] आना, आगमन आकर पुं. खान । समूह । करना। आकस देखो आगस। आगत देखो आगय। आकार देखो आगार। आगत्ती स्त्री [दे] कूप-तुला । आकास देखो आगास। आगम सक [आ + गम्] आना, आगमन आकासिय वि [दे] पर्याप्त, काफी। करना । जानना। आकिइ स्त्री [आकृति] स्वरूप, आकार ।। आगम पुं. समागम । ज्ञान,जानकारी । आगमन। आकिंचण न [ आकिञ्चन्य ] निस्पृहता, शास्त्र, सिद्धान्त । 'कुसल वि [ कुशल] निष्परिग्रहता। सिद्धान्तों का जानकार । ज वि [ज्ञ] आकिंचणिय , देखो आकिंचण । शास्त्रों का जानकार । °णीइ स्त्री [°नीति] आकिंचण्ण आगमोक्त विधि । °ण्णु वि [°ज्ञ] शास्त्रों का आकिट्ठि स्त्री [आकृष्टि] आकर्षण । जानकार । °परतंत वि [°परतन्त्र] सिद्धान्त आकिदि देखो आकिइ । के अधीन । °वलिय वि [°बलिक] सिद्धान्तों आकुंच सक [आ + कुञ्चय] संकोच करना। का अच्छा जानकार । °ववहार पुं आकुट्ट न [आक्रुष्ट] आक्रोश । वि. जिस पर [°व्यवहार] सिद्धान्तानुमोदित व्यवहार । आक्रोश किया गया हो वह । आगम सक [आ+ गम्] प्राप्त करना । आकुल देखो आउल। आगमिय वि [आगमिक] शास्त्र-सम्बन्धी, आकूय न [आकूत] इङ्गित, इशारा । अभि- शास्त्र प्रतिपादित । शास्त्रोक्त वस्तु को ही प्राय। माननेवाला। आकेवलिय वि [आकेवलिक] असम्पूर्ण। आगमिस्स वि [आगमिष्यत्] आगामी, होनेआकोडण न [आकोटन] कूट कर घुसेड़ना। वाला । आनेवाला। आकोस देखो अक्कोस = आक्रोश । आगमिस्सा स्त्री[आगमिष्यन्ती] भविष्यकाल । आकोसाय अक [आकोशाय] विकसित होना। आगमेस ) देखो आगमिस्स । आक्कंद (मा) देखो आकंद । आगमेसि आखंच (अप) सक [आ + कृष्] पीछे खींचना। आगय वि [आगत] आया हुआ । उत्पन्न । आगर देखो आकर = आकर । आखंडल पुं [आखण्डल] इन्द्र । धणुह न [°धनुष्] इन्द्रधनुष । भूइ मुं [भूति] आगरि वि [आकरिन्] खान का मालिक, भगवान् महावीर के मुख्य शिष्य गौतम-स्वामी। खान का काम करनेवाला। आगइ स्त्री [आगति] आगमन । आगरिस पुं [आकर्ष] ग्रहण, उपादान । आगइ देखो आकिइ। खिंचाव । ग्रहण कर छोड़ देना । प्राप्ति । आगंतगार । न [आगन्त्रगार] धर्मशाला, | आगरिस सक [आ+ कृष] खींचना । आगंतार J मुसाफिरखाना । | आगरिसग वि [आकर्षक] खींचनेवाला। पुं. आगंतु वि [आगन्तु] आनेवाला । लौह-चुम्बक। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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