SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष असिण-असोग असिण न [अशन] भोजन । | असुय वि [अश्रुत न सुना हुआ । णिस्सिय असिस्थ न [असिक्थ] आटा लगे हुए हाथ या न [निश्रित] शास्त्र-श्रवण के बिना ही बर्तन का कपड़े से छना हुआ धोवन । होनेवाली बुद्धि-ज्ञान । पूव्व वि [पूर्व] असिद्ध वि. अनिष्पन्न । तर्कशास्त्र प्रसिद्ध दुष्ट | पहले कभी नहीं सुना हुआ। हेतु। असुर पुं. दैत्य, दानव । देवजाति-विशेष, असिय वि [अशित] खादि । भवनपति और व्यन्तर देवों की जाति । असिय वि [असित] कृष्ण, श्वेतरहित । दास-स्थानीय देव। कुमार पुं. भवनपति अशुभ । अबद्ध, अयन्त्रित । °क्ख पुं|क्ष] | देवों को एक अवान्तर जाति । प्राय पुं यक्ष-विशेष । [राज] असुरों का इन्द्र। °वंदि पुं असिय न [दे] दात्र, दाँती। [°बन्दिन] राक्षस। असिलेसा स्त्री [अश्लेषा नक्षत्र-विशेष। | असुरिंद पुं [असुरेन्द्र] असुरों का राजा, असिव न [अशिव] विनाश । असुख । देव शि। असुख । देव- इन्द्र-विशेष । तादि कृत उपद्रव । मारी रोग । असुह न [अशुभ] अमंगल, अनिष्ट । पापअसिविण पुं अस्वप्न] देव, देवता । कर्म । वि. खराब, असुन्दर । °णाम न असिव्व देखो असिव। [°नामन्] अशुभ फल देनेवाला कर्म-विशेष । असिसुई स्त्री [अशिश्वी] शिशुरहित स्त्री।। असूअ सक [असूय्] असूया करना । असिह वि [अशिख] शिखारहित । असूया स्त्री. [असूचा] सूचना का अभाव । असीइ स्त्री [अशीति] संख्या-विशेष, अस्सी, दूसरे के दोषों को न कह कर अपना ही दोष ८० । °म वि [°तम] असीवाँ, ८०वाँ।। कहना। असीइग वि [अशीतिक] अस्सी वर्ष की उम्र | असूया स्त्री. असूया, असहिष्णुता । वाला। असूरिय वि [असूर्य] सूर्यरहित, अन्धकारमय असीम वि असीमन्] निस्सीम । स्थान । पुं. नरक-स्थान । असील वि [अशील] असदाचारी। न. अस- | असेव्व देखो असिव । दाचार, अब्रह्मचर्य । °मंत वि वत] असेस वि [अशेष] निःशेष, सर्व । अब्रह्मचारी । असंयत । असोअ । पुं [अशोक] देव-विशेष । पुन. असु पुं. ब. प्राण । न. चित्त । ताप । असोग ) एक देवविमान । शक्र आदि इन्द्रों असु देखो अंसु। का एक आभाव्य विमान । वडिसय पुन असुइ वि [अशुचि] अपवित्र, अस्वच्छ । न [वतंसक] सौधर्म देवलोक का एक अमेध्य, विष्ठा। विमान । असुइ वि [अश्रुति शास्त्रश्रवण-रहित । असोग पुं[अशोक] सुप्रसिद्ध वृक्ष-विशेष। महाअसुईकय वि [अशुचीकृत अपवित्र किया ग्रह विशेष । हरा रंग । भगवान् मल्लिनाथ का हुआ। चैत्यवृक्ष । देव-विशेष । न. तीर्थ-विशेष । यक्षअसुग पुं [असुक देखो असु - असु। विशेष । वि. शोक रहित । °चंद पुं [°चन्द्र] असुणि वि [अश्रोतृन सुननेवाला । राजा श्रेणिक का पुत्र, राजा कोणिक । एक असुद्ध वि [अशुद्ध] मलिन । न. मैला। प्रसिद्ध जैनाचार्य । ललिय पुं [°ललित] विसोहय पुं [विशोधक] भंगी। चतुर्थ बलदेव का पूर्व-जन्मीय नाम । 'वण न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy