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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष असंघयण-असणि चश्चल । । असंवरीय वि [असंवृत] अनाच्छादित । नहीं असंघयण वि [असंहनन] संहनन से रहित । | रुका हुआ। वज्र, ऋषभ, नाराच आदि प्राथमिक तीन | असंसद वि [असंसृष्ट] दूसरे से न मिला हुआ । संघयणों से रहित । लेप-रहित । स्त्री. पिण्डैषणा का एक भेद । असंजण न [असञ्जन] अनासक्ति । असंसि वि [अस्रंसिन] अविनश्वर । असंजम वि [असंयम] हिंसा, झूठ आदि असक्क वि [अशक्य] जिसको न कर सके वह । सावद्य अनुष्ठान । हिंसा आदि पाप कार्यों | असक्कय वि [असत्कृत] सत्कार-रहित । से अनिवृत्ति । अज्ञान । असमाधि ।। असक्कणिज्ज वि [अशकनीय] अशक्य । असंजय वि [असंयत] हिंसा आदि पाप कार्यों | असगाह पुं [असद्ग्रह] कदाग्रह । से अनिवृत्त । हिंसा आदि करने वाला। पुं. | असम्गह । विशेष आग्रह । साधु-भिन्न, गृहस्थ । असग्गाह असंजल पुं [असंज्वल] ऐरवत वर्ष के एक असच्च न [असत्य] झूठ वचन । वि. झूठा । जिनदेव का नाम । °मोस न [ मृष] झूठ से मिला हुआ सत्य । असंजोगि वि [असंयोगिन्] संयोग-रहित । °वाइ वि [वादिन्] झूठ बोलने वाला । पुं मुक्त जीव । मोस न [मृष] न सत्य और न झूठ ऐसा असंत वकृ. [असत्] अविद्यमान । असत्य । वचन । °ामोसा स्त्री [मृषा] देखो अनन्तअसुन्दर। रोक्त अर्थ । 'संध वि. असत्य-प्रतिज्ञ । असत्य असंत वि असत्व सत्त्व-रहित, बल-शून्य । अभिप्राय वाला। असंथरंत वकृ. [दे. असंस्तरत्] समर्थ न असज्ज । वकृ [असजत्] संग न करता होता हुआ । खोज न करता हुआ। तृप्त न असज्जमाण । हुआ। होता हुआ। असज्झाइय पुं [अस्वाध्यायिक] पठन-पाठन का प्रतिबन्धक कारण । असंथरण न [दे. असंस्तरण] निर्वाह का असज्झाय वि [अस्वाध्याय] अनध्याय, वह अभाव । पर्याप्त लाभ का अभाव । असमर्थता, काल जिसमें पठन-पाठन का निषेध किया अशक्त अवस्था। गया है। असंथरमाण वकृ [दे. असंस्तरमाण] देखो ' असढ वि [अशठ] सरल, निष्कपट । 'करण असंथरंत । वि [°करण] निष्कपट भाव से अनुष्ठान करने असंधिम वि. संधान-रहित, अखण्ड । वाला। असंभंत पुं [असंभ्रान्त] प्रथम नरक का छठवां | असण न [अशन] भोजन । खाद्य पदार्थ । नरकेन्द्रक-नरक-स्थान विशेष । असण पुं [असन] बीजक नामक वृक्ष । न. असंभव्व वि [असंभाव्य] जिसकी संभावना फेंकना। न हो सके ऐसा। असणि पुंस्त्री [अशनि] एक प्रकार की असंभावणीय वि [असंभावनीय] ऊपर देखो। बिजली । पुं. एक नरक-स्थान । असंलप्प वि [असंलप्य] अनिर्वचनीय । असणि पुंस्त्री [अशनि] वज्र । आकाश से असंलोय पुं असंलोक] अप्रकाश । भीड़ रहित गिरता अग्नि-कण । वज्र की अग्नि । अग्नि । स्थान । अस्त्रविशेष । °प्पह पुं [प्रभ] रावण के असंवर पुं. आश्रव, संवर का अभाव । मामा का नाम । °मेह पुं [मेघ] वह वर्षा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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