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________________ पुसली] (४४७) [ पुण्ण पुसली. स्त्री० (पुंश्चली ) कुलटा, व्यभिचारिणी __ कस० स्त्री. An unchaste woman. वजा. पुडिया. स्त्री० ( पुटिका ) पुड़ी, पुड़िया. A १८, धर्मवि० १३७. ressel made of a leaf. दे०५, १२. पुसि.त्रि० (पुंसित ) पोंछा हुआ. Strept | पुढ़वी. त्रि० (पृथिवी) (१) पृथ्वीकाय का carefully. दे०१, ६६. जीव. Earthly beings. जी. २. पुक्करिय. त्रि० (पूत्कृत) पुकारा हुआ. Called (२) भगवान सुपार्श्वनाथ की माता का नाम, out. सुपा० ३८१. Mother of Lord Supparshvaपुकार. पुं० (पूत्कार ) पुकार, डांक, श्राह्वान. natha. राज. Calling सुपा० ५१७; महा० सण. | पुढीभूय. त्रि० (पृथगभृत) जो अलग हुधा हो. पुक्खरक्ख. पुं० (पुष्कराक्ष ) विष्णु, श्रीकृष्ण, ___Separated, divided. सुपा० २३६. An epithet of Vishnu, Shree पुण. श्र० ( पुनर् ) (१) भेद, विशेष. Krishna.(२) कश्मीर के एक राजाका नाम. Division. विशे० ८११. (२) अवधारण, Name of a king of Kashmira. निश्चय, Determination. (३) मुद्रा० २४२. पक्षान्तर. On the other hand. ( ४ ) पुक्ख ल. पुं० (पुष्कर) (१) एक विजय, समुच्चय, Collection, पण्इ०२,३; गउड. प्रान्त-विशेष, जिसकी मुख्य नगरी का नाम कुमा० जी० ३७; प्रासू०१५२; १६८; स्वप्न. औषधि है. A particultur region. इक० ७२: पिंग०; (५) पाद पूर्ति में भी इसका पुक्खल. त्रि० ( पुष्कल) अत्यन्त प्रभूत. प्रयोग होता है. Used also for filling Much, ubundant. कुप० ४१०. out a line. निसी० ० १; -करण पुच्छण. न० (पच्छन-प्रश्न) पृच्छा. Asking. न० (करण ) फिर से बनाना. Remaking. सूयनि० १६३; धर्मवि०८; श्रावक० ६३ टी. (२) जिसकी फिर से बनावट की जाय. पुच्छिर. त्रि० (प्रष्ट) प्रश्न-कर्ता. Questioning. Reforming. 'होइ पुणकरणं' उव. गा. ५६८. राणव. नि (नव) फिर से नया बना हुश्रा, पुजण. न० (पूजन) पूजा, अर्चा. Worship. ताजा. Re-caust, fresh उप० ७६६ टी, कुप्र० १२१. कप्पू० -पुण. अ० (पुनर्) फिर फिर, बारंबर. पुजा. स्त्री० (पूजा) पूजा, अर्चा. Worship, Again and again, repeatedly. adoration. उप० पू० २४२. पुणकरण. न० ( पुनःकरण) बारंबार बनाना, पुज्जिय. त्रि. (पूजित ) सेवित, अर्चित. बारंबार निर्माण. Making repeated. Adored, worshipped. भवि० दे० १, ३२; -भू. स्त्री० (भू) फिर से पुड. पु• न० (पुट) (१) खाल, ढोल आदि विवाहित स्त्री, जिसका पुनर्लग्न हुआ हो. A का चमड़ा. Hide. 'हुरब्भपुडसंठाणसंठिया' remarried woman. 'अस्थि पुणब्भूकप्पो उवा० १४ टी; गउड० ११६७, कुमा० । ति' कुप्र० २०८; २०६. (२) प्राच्छादन, ढक्कन. Cover, lid. पुणण. त्रि० (पवन ) पवित्र करनेवाला. Clearnउवा० गउड०; (३) कमल, पद्म. Lotus. I sing, purifying. कुमा० विक्र. २३. पुराण. पुं० (पुण्य) दो उपवास, बेला. Tro पुडभयेण. न० (पुटभदेन) नगर, शहर. City. I fasts at a time.संबोध० ५८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016017
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages897
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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