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________________ अप्पाणग ] "" भग० ६, ३१; १५, १; ‘: श्रपाणं मज्जावंद नाया० १४; " श्रप्पा" तृ० ए० नाया० १६६---र कि. त्रि० ( रक्षिन् आत्मानं रक्षति पापेभ्यः कुगतिगमनाद्वा स आत्मरक्षी) पापथी दुर्गतिथी आत्माने गयावना२. पाप से या दुर्गति से आत्मा को बचाने वाला saving the soul from sin or perdition. "श्रपाण रखी व चरेप्पम सो" उत्त० ४, १०, अप्पाराग. त्रि० ( अपानक ) तु श्रपाणय' ०६. देखा अपाराय ' शब्द Vide C 1 अप्पा मगाइ "" "3 ( ३२७ ) Jain Education International अपाणय नाया० ८ १६६ शपात्र हुन - य. न. ( अल्पबहुत्व - अल्पमत्र बहु चाल्पबहु तद्भावोऽल्पबहुत्वम् दीर्घत्वा संयुक्तात् ) मे वस्तुनी सर.भણીમાં પરપર તારતમ્ય-એસત્તા પણું કહેલું તે; મુકાબલામાં ન્યૂનતાધિકતા-થોડા पाहते. दो वस्तुओं की सहशता में परस्पर तारतम्यतापूर्वक न्यूनाधिकता बताना. Pointing out proportions of two things by comparison. " विहे अप्पा बहुए प० तं० पगइ अब हुए ठिइ० अणुभाव पएस. बहुए" ठा०४, २ पन० ३ विशे० ४०६६ • अप्पा बहुग न० ( अल्पत्रहुत्व ) यो | 'अप्पा बहुअ-य' शब्द देखो 'अप्पा बहुअ-य' शब्द. Vido'अप्पा बहुत्र - य. 'भग० २०, १०; अप्पा बहुत्त न० ( श्रल्पबहुत्व ) लुखो अप्पा बहुअ-य' श०६. देखो 'अपात्रहुआ-य' शब्द. Vide 'अप्पा बहुश्र - य. जो ० ८०; अप्पावय. त्रि० ( श्रमावृत ) डे न;ि यंत्र न उरेल. मिना ढँका हुआ; बंद न किया हुआ. Not covered; सूय० २, ६, ३; - दुवार. पुं० ( -द्वार - श्रप्रावृतमस्थगितं द्वारं गृहमुखं यस्य स तथा ) ६४ સમકિતવાળા શ્રાવક, કે જેણે ઘરનાં દ્વાર For Private ખુલ્લાં મુક્યા છે એટલા માટે કે કાઇ પણ દુ:ખી, લાચાર સ્હાય લેવાને આવે અથવા કોઇ પણ વાદી વાદ ફરવા આવે તેના उत्तर भावाने सामर्थ्य छे. दृढ सम्यक्त्व वाला श्रावक, जिसने अपने घर के द्वार इसलिये खुले रखे हैं कि, कोई दुःखी सहायता लेने को आवे तो उसे सहायता देने की सामर्थ्य है यह प्रकट हो इसी तरह कोई वादी विवाद करने आवे तो उसे भी विदित हो कि, उत्तर देने की सामर्थ्य है. an enlightened Sravaka with his doors wide open for the helpless or for religious controversialists. सूर्य० २, ६, ३; श्रप्पाविडं. सं० कृ० अ० ( अर्पयित्वा ) अर्प दर्शने. अर्पण करके Having given or presented. सु० च० ४, १२६; [ अप्पाहरण *1 'अप्पाड धा० [ ( सम्+दिश ) सभायार देवा; संदेश पाठवो बात देवी. समाचार कहना; गंदेश भेजना, बात कहना. To convey & message. श्रप्याहति वत० ५,० अप्पा श्रध० नि० २४२, अप्पादिकण. सं० कृ० प० ० ५७६; अप्पाड सं० कृ० अ० ( प्रात्मनि + माहृत्य ) यात्मामां-मनमां व्यवस्थापन हीने; मानસિક નિય रीने आत्मा में मन में निश्चय करके. Having decided in mind सूय० २ १, १२; * अप्पाहरिण. पुं० (सन्देश) संदेशी; सभायार. संदेश; समाचार Message; news. पिं० नि० ४३०; अप्पाहरण. न ० ( श्रप्राधान्य) अप्रधानप मुख्ययाशुं नहि. अप्रधानता; मुख्यता नहीं. Subordinate position; sub. sidiary position. पंचा० ६, १३, Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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