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________________ अप्पवियार] ( ३२६ ) [ अप्पाण न हुआ हो वह. Not engaged in | अप्पहिल. त्रि. ( अप्रहृष्ट ) · संपदि यस्य न activity; retired. पंचा० १४, १४, हपों ' संपत्ति भये ५सा नना२; शुभ अप्पवियार. त्रि. (अमविचार ) मैथुन वि५५- ५२तु माथी २१०१ थाना२; सुप :सेवा प्रवृत्ति विताना. विषयसंवन की भा समभार रामनार. संपत्ति मिलने पर न प्रवृत्ति बिना का. Not engaging in फूलने वाला; शुभ यस्तु मिलने से प्रसश न soxual intercourse. प्रव० १४५४; । होने वाला; मुख दुःख में समभाव रखने अपसंत. त्रि. (अप्रशान्त )शत नहि. वाला. Not transported with joy अशान्त; जो शान्त न हुआ हो वह. Not in prosperity; balanced in mind calmed. पंचा० २, २;--चित्त. त्रि. in weal and woe. “ अप्पहिडे (-चित्त ) वित्त शांत नयी ययं ते. श्रणाउले ' दस० ५, १, १३; जिसका चित्त शान्त नहीं हुआ वह. with a / अप्पा. पुं० (प्रात्मन्-प्रतति सातत्येन गच्छति mind not calmm. पंधा. २, २ ताँस्तान्पर्यायानित्यात्मा ) मात्मा; 1948 अप्पसत्थ. त्रि. (अप्रशस्त ) ५२१०५अशा- ोते. प्रात्मा; जीव; स्वयं. Soul, self; मन प्रशंसा योग्य नाहि. खराब; अशाभ- oneself. दस. १, २, ५, १, ५; ८०:६, नीय; बुरा; मनोहरता रहित; प्रशंसा न करने । ६५, ८, ७; नाया० १, ५,६; १२, १३, योग्य. Evil; not praise-worthy. १४; १६) भग. १,१६, ६; १२, २; २५, उत्त० २६, २८; ३४, १६; भग० ६, ३१; / ७ राय. २७; सू० ५० १; श्राव. १२; पिं. २४, १; प्रव० ५३; ६४८;-मणविणय. नि० ६६; सु० च० ३, ४७; पुं० (-मनोविनय) हुट मनोनि५ ४२।। अप्पाउड. पुं० ( अप्रावृत ) ५२ न. ५२२वाना ते; मन दुष्ट थिती मटते. मन અભિગ્રહ ધરનાર; વસ્ત્ર પર અભિગ્રહको दुष्ट सिंतबन विचार आदि से पराङ्मुख । विशेषधारी मुनि. वन न पहिरने का नियम करना. restraining the mind लेने वाला; वनसम्बन्धी अभिप्रहविशेष from wicked thoughts. भग० २५, धारण करने वाला मुनि. An ascetic who ७;--वइविणय. पुं० (-वाग्विनय पित has vowel mudity. सूय ० २, २, ३८; વાણીને ઉચાર ન કરે તે દુર વચને ન अप्पाउरण. पुं० (अप्रावरण ) पत्र न ५४२म ते. दूषित पाणी का उच्चार न करना; વાનો અભિગ્રહ ધરનાર; વસ્ત્ર વિને રહેવું खराब वचन न बोलना. abstaining from मेवा प्रतिज्ञा सेनार मुनि. वस्न न पहिरने का wicked speech. भग० २५, ७; अभिग्रह धारण करने वाला; वस्त्र रहित रहने अप्पसन्न. त्रि. (अप्रसन्न ) २५५सन्न; प्रसाद की प्रतिज्ञा लेने वाला मुनि. An ascetci २हित; मुशी नलि. अप्रसन्न; प्रसन्नता रहित; ना with a vow of nudity. परह. २, खुश. Not pleased; displeased. १; प्रव. २०६; पंचा० ५, १०, "पायरियपाया पुण अप्पसना” दस० ६,१,५; अप्पाण. पुं० (प्रात्मन् ) यात्मा; 894; 43; अप्पहाण. त्रि. ( अप्रधान ) प्रधान-श्रेष्ट नलि पोते. प्रात्मा; जीव; स्वयं. Soul; self; ते. जो प्रधान न हो वह.Not prominent oneself. “ अप्पाणं भावेमाणे विहरइ" or predominent. पंचा० ३,७; ६, १२; | भग• १, १; " अप्पाणं विसंजोएइ " भग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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