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________________ शलाका पुरुष ३ * २ १ २ ३ ४ ५ ६ ९ १० ११ १२ १३ १४ ३ १ २ ३ ४ ५ शलाका पुरुषोंका मोक्ष प्राप्त सम्बन्धी नियम | शलाका पुरुषोंका परस्पर मिलाप नहीं होता । शलाका पुरुषोंके शरीरकी विशेषता । ૪ ५ ६ ७ एक क्षेत्रमें एक ही तज्जातीय शलाका पुरुष होता है । - दे. विदेह / में त्रि. सा. । चरम शरीरी चौथे कालमें ही उत्पन्न होते हैं । - . जन्म / ५ 1 अचरम शरीरी पुरुषोंका अकाल मरण भी सम्भव है। - दे. मरण /४१ दे तीर्थंकर । तीर्थंकर । गणधर चौबे कालों ही उत्पन्न होते हैं। द्वादश चक्रवर्ती निर्देश चक्रवर्तीका लक्षण 1 नाम व पूर्व भत्र परिचय | वर्तमान भव नगर व माता पिता । वर्तमान भव शरीर परिचय । कुमार कालादि परिचय | वैभव परिचय | चौदह रत्न परिचय सामान्य | चौदह रत्न परिचय विशेष नवनिधि परिचय | दश प्रकार भोग परिचय | चकवतों की विभूतियोंकि नाम। दिग्विजयका स्वरूप | राजधानीका स्वरूप ढाणी चक्रवती उत्पत्ति कालमें कुछ अन्तर । चक्रवर्ती शरीरादि सम्बन्धी नियम । नव बलदेव निर्देश पूर्व मज परिचय | वर्तमान भवके नगर व माता-पिता । वर्तमान भव परिचय। देवका वैभव । बलदेवों सम्बन्धी नियम । नव नारायण निर्देश ४ १ पूर्व भव परिचय । २. वर्तमान भवके नगर व माता-पिता । ३ वर्तमान शरीर परिचय । कुमार कालादि परिचय । नारायणका वैभव नारायणोंकी दिग्विजय नारायण सम्बन्धी नियम । भा० ४-२ -दे, जन्म /५ - दे. शलाका पुरुष / १ / ४.५ । Jain Education International ያ ५ नव प्रतिनारायण निर्देश १ नाम व पूर्वभव परिचय | २ वर्तमान भव परिचय । प्रतिनारायणों सम्बन्धी नियम । ३ ६ १ १ २ १ २ ३ ४ १ २ १. शलाका पुरुष सामान्य निर्देश नव नारद निर्देश वर्तमान नारदोंका परिचय । नारद सम्बन्धी नियम । एकादश रुद्र निर्देश ९ सोलह कुछकर निर्देश १ वर्तमान कालिक कुळकर परिचय । नाम व शरीरादि परिचय। कुमार कालादि परिचय | रुद्र सम्बन्धी कुछ नियम । रुद्र चौथे कालमें ही उत्पन्न होते हैं। - दे. जन्म / ५ । चौवीस कामदेव निर्देश जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश चौबीस कामदेव का नाम निर्देश मात्र । कामदेव चौधे काल ही पत्र होते हैं। १० मावि शलाका पुरुष निर्देश कुलकर के अपरनाम व उनका सार्थक्य । पूर्वभव सम्बन्धी नियम । पूर्वभवमै संयम तप आदि सम्बन्धी नियम उत्पत्ति व संख्या आदि सम्बन्धी नियम | कुलकर, चक्रवर्ती व बलदेव निर्देश। नारावणादि परिचय १. शलाका पुरुष सामान्य निर्देश १. ३ शलाका पुरुष नाम निर्देश वि. प./२/५१०-३११ एती सहायपुरिया सही सलभवविवखाया। जायंति भरलेले परसोहाग १० तिरययरलहरिप B णाम विस्सुदा कमसो । बिउणियबारसबारस पत्थणिधिरं धसंखाए |११| अब यहाँसे आगे ( अन्तिम कुलकरके पश्चात् ) पुण्योदयसे भरत क्षेत्र में मनुष्यों में श्रेष्ठ और सम्पूर्ण लोकमे प्रसिद्ध तिरेसठ शलाका पुरुष उत्पन्न होने लगते हैं ।५१०। ये शलाका पुरुष तीर्थंकर २४, चक्रवर्ती १२, बलभद्र ६, नारायण ६ प्रतिशत्रु ६, इन नामों प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार उनकी संख्या ६३ है । ५११६ (त्रि, सा./८०३), (ज. प./२/१७६-१८४ ) ( गो, जी./जी. प्र./३६१-३६२/- ७७३/३) । सि.प./४/९६९५ १६१ डास शुरुमे काले बामणा समायपुरिया में ५८ ही शलाका पुरुष होते हैं । २. १६९ शलाका पुरुष निर्देश वि. प./४/१४०३ तिर परा म्गुर चकबल के सिरुदणारा अंगजकुरा भया सिज्यंति नियमेन । १४७३० - २४ तीर्थंकर For Private & Personal Use Only - दे. जन्म/५ .. एका १६१२२ दुस्सम९६९६१ डावसर्पिणी काल www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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