SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 479
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लोक ४७२ ५. द्वीप पर्वतोंके नाम रस आदि है कूट देवक्रम कूट देव । ६ वैश्रवण हिमवान् भरत or m30 ४४ गंगा . १ रक्तादेवी ३. विदेहके ३२ विजयाधु-(ति. प/४/२२६०, २३०२-२३०३) ८. रुक्मि पर्वत-( पूर्व से पश्चिमकी ओर ) १ सिद्धायतन | देवोके नाम ६ मणिभद्रदेवोके नाम ॥ (ति प/४/२३४१+ १२४३); ( रा वा /३/११/१०/१८३/३१); २ (दक्षिणार्ध)स्वदेश भरत विजयाई ७ तिमिस्त्रगुह्य | भरत | ( ह.पू./५/१०२-१०४ ), (त्रि. सा /७२७ ); (ज. प./३/४४ ) । विजयाध | खण्ड प्रपात |१| सिद्धायतन । जिनमन्दिर || बुद्धि ८ (उत्तरार्ध)स्वदेश | वत् जानने ४. रूप्यकूला रुक्मि (रूप्य) | रुक्मि (रूप्य)६ रूप्यकुला पूर्णभद्र ५ विजयाकुमार रम्यक ७ हैरण्यवत रम्यक हरण्यवत नरकान्ता नरकान्ता ८ मणिकाचन मणिकाचन ४. हिमवाद-(पूर्व से पश्चिमकी ओर ) (कांचन) | (काचन) (ति प./१/१६३२+१६५१), (रा वा/३/११/२/१८२/२४ ), नोट-रा. वा. व त्रि. सा में नं.४ पर नारी नामक कूट व देव (ह. पु.//५३-५५), (त्रि. सा./७२१), (ज. प./३/४०] रहता है। सिद्धायतन | जिनमन्दिर । | रोहितास्या रोहितास्या हिमवान् देवी ६ शिखरी पर्वत-(पूर्व से पश्चिमकी ओर ) भरत सिन्धु देवी ८ सिन्धु (ति. प./४/२३५३-२३५१ + १२४३); (रा.वा./३/११/१२/१८४/४), इला इलादेवी सुरा देवी सुरा गंगादेवी १० हैमवत हैमवत (ह. पु/५/१०६-१०८), (त्रि, सा./७२८), (ज, प/३/४५)। श्रीदेवी ११ वैश्रवण वैश्रवण सिद्धायतन। जिनमन्दिर ७ | काचन (सुवर्ण) काचन २ शिखरी शिखरी ८. रक्तवती रक्तवती देवी हैरण्यवत हैरण्यवत E गन्धवतीगन्धवती ५ महाहिमवान ( पूर्व से पश्चिमकी ओर ) (गान्धार) | देवी (ति. प/४/१७२४-१७२६); (रा, वा/३/११/४/१८३/४); (ह, पु/ ॥ रैवत (ऐरावत) रेवत: ७१-७२), (त्रि सा/७२४), (ज, प/३/४१)। ११ मणिकाचन मणिकांचन १ सिद्धायतन जिन मन्दिर । ५ | हरि (ह्री) लक्ष्मी देवी । हरि (ही)| २ महाहिमवान् महाहिमवान् ६ हरिकान्त हरिकान्त | * नोट-रा. वा. में नं. ६,७, ८,६,१०,११ पर क्रमसे प्लक्षणकूला, ३ | हैमवत हैमक्त हरिवर्ष हरिवर्ष लक्ष्मी, गन्धदेवी, ऐरावत, मणि व कांचन नामक कूट व देव देवी ४ | रोहित रोहित ८ | वैडूर्य ६ निषध पर्वत-(पूर्व मे पश्चिमकी ओर) (ति. प./४/१७५८-१७६० ): (रा वा./३/११/६/१८३/१७), ( ह. पू./ १० विदेहके १६ वक्षार१/८८-८६); (त्रि, सा./७२५); (ज. प./३/४२)। (ति. प./४/२३१०), ( रा बा./३/१०/१३/१७७/११), (ह. पू./१ सिद्धायतन | जिनमन्दिर ।६। विजय ५/२३४-२३५), (त्रि सा./७४३)। विजय | निषध निषध सीतोदा सीतोदा ११ सिद्धायतन । जिनमन्दिर ।३। पहले क्षेत्रका | कूट सदृश ३ हरिवर्ष हरिवर्ष८ अपर विदेह अपर विदेह | नाम | नाम ४ पूर्व विदेह पूर्व विदेह रुचक रुचक || २ स्व वक्षारका | कूट सदृश |४| पिछले क्षेत्रका | कूट सदृश ५ ' हरि (ही): हरि (ह्री): ।। नाम नाम । नाम *नोट-रा. वा. व त्रि सा मे नं ६ पर धृत या धृति नामक कूट व * नोट-ह पु मे न. ४ कूट पर दिक्कुमारी देवीका निवास बताया है। देव कहे है। तथा ज. प. मे नं ४,५.६ पर क्रमसे धृति, पूर्व विदेह और हरिविजय नामक कूटदेव कहे है। ११ सौमनस गजदन्त-( मेरुसे कुल गिरिको ओर ) (ति. ५/४/२०३१+२०४३-२०४४), (रा.वा./३/१०/१३/१७५/१३); ७ नील पर्वत-(पूर्व से पश्चिमकी ओर ) (ह पु./५/२२१,२२७), (त्रि. सा./७३६) । (ति प/४/२३२८ + २३३१); (रा.वा /३/११/८/१८३/२४), (ह.पु। ॥ (ति प., ह पु.: त्रि, सा.) (रा.वा.) १/88-१०१), (त्रि. सा /७२६), (ज. प./३/४३) । ||१| सिद्धायतन | जिनमन्दिर || सिद्धायतन |जिनमन्दिर १ सिद्धायतन | जिनमन्दिर । नारी नारी सौमनस सौमनस २ सौमनस नील ७ अपर विदेह अपर विदेह देवकुरु देवकुरु देवकुरु देवकुरु ३ पूर्व विदेह पूर्व तिदेह रम्यक रम्यक मगल मगल ४ मगलावत |४ सीता सीता अपदर्शन अपदर्शन विमल वत्समित्रा देवी ५ पूर्व विदेह पूर्वविदेह | कीति कीर्ति ६ काचन सुवत्सा ६. कनक सुवत्सा नोट-रावा, व त्रि, सा, मे नं.६ पर नरकान्ता नामक कूट व (ममित्रा देवी)|७ काचन वत्समित्रा देवी कहा है। | विशिष्ट | विशिष्ट ८. विशिष्ट | विशिष्ट नाम सौमनस मंगल जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy