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________________ लोक २. लोक सामान्य निर्देश चिन्न सं०-१० रात मा अधोलोक Ans सुमेश उदभान्त I -पल प्रभा - अबहुल भाग - mmitmMUNIIIA मोट -प्रत्येक पृथिवीरसों ओर वासयोंसे रेष्टित है। अधोलोकका विशेष परिया सकेत यो०- योजन -०नरक) दृष्टिभव -पटमोके नामोंमे बातर -2. नरक/१११) १००० यो मोटी - चित्रा 1५००० . . १००,००० योगाखर व पक भाग विशेष दे० भवन/४ सर भाग ENKEY000.. - पकभाग AIDSMSSSMDMINS पत्येक पटलका अन्तराल-1000 यो. -uuuuuuuuuuuuun १ प्रथम नरक (धम्मा) ३रौरुक २ निरय +mummmmmmmmmmmA HTTAMITA कुल बिल ३० लाख ४भान्त (विशेष दे०.रत्नप्रभा) MILITTuITTITAMAIIA भारत 41mmuT IMILLIA 6 असमान्त M LtitutimumumtituNITIA दावभान्तUिLILIAMILLuuuuuuunia तप्त -muWIT T IA - १० जसित-u uyuuuuuuuuuuuNIA Marutiniumuli - रअवकात- UlllNTUTIT TITUTITM १३ विक्रान्त EurunninIMITTTTTA वातवलय । अन्तराल पृश्वी की अपेक्षा असरण्यात गुणा है गाITHIRTAL २शर्करा प्रभावशा) कुल बिल्ल २५ लाख ५.पात Hit ६ सपात -८०००० यो २ तनक स्तनकस ४ वनकर मनको जिहिक जिला म १०लोनकलाल + III - तिनक+ वातवलय अन्तराल ३ बालुका प्रभा मेघा) कुल बिल - १५लारव तप्त ३शीत न तपन - ३२.००ये. राज़ . - २०७०॥ योर- → कुल अधोलोक : ० राज राज 12४०० यो राज- ५ निदाघ ४ तापन उज्वलित प्रज्वलित ६सम्पज्वनित सज्वलित वातवलय अन्तराल ४पकप्रभा(अजना)२ मार बिल-१० लाख ४ तत्व तार ६वाद ५तमक राज- बिल ३लाख५मिन DREALLIA .6खडखड वातवलय उन्लराल E m mmmmmmmmmmmuwwWILLINITIALINITIMIRRANTIMILEEDINAMILARILLERHILITICHYA ५धमाप्रभा २भ्रमकILLARITMANORWARWITaimummmmmmmmmmmm00770700112HIMIRMImmm (अरिष्ट) ३झषक HI M IMILARAMIN A THURATURTHIAWINIITTwwwmumRTHIHITIMIUIIA २०००० योवाविलHIMIRMIRMIRRITIRUIRHATHIMILIARITRINIUMIRMIRIHITINARIMINAIIMIRMIRRORNHINIITHUTHIMITA % 3 AMLEELAMMARMERABHAL U RUITWITTITUTORIANRITI1000RRIEDITIm वातवलय अन्तराल V व ल 4 TममाucassewSERTREASEARTICuwaSMSIMILSINANCIALAMAUSwarawai . TimesTENSATTISEMEROIZANANUNGISESHINGHASARARIES ३ ललका NिISATTA १६००० यो वातवलय अन्तराल अवभियान [6महातम प्रभा पYA कलकल पृश्वी RAATM (माधवी। -2 बिल.५ ७ राजू x६ तम प्रभा ( मघवी। कुल बिल €€€६५ रोज 15.. वायव्य चित्र स०११ - प्रत्येक पटल में इन्द्रक व श्रेणी बन्द (अतिमनरकका (अतिम पटल प्रथमनरकका प्रथम पटल अग्नेय सीमन्तक ० काल ० पट अवधि स्थान पटल ०००४६००० झ्द्रक) श्रेणीबन्द ०००४६०००० गहा० रौरव रोरव ०००४८०००० यहाँ प्रत्येक दिशा मे कैवलस्क एक श्रेणीबन्द है। विदिशाओ मे नहीं है।नही प्रकीर्णक है। पकीर्णक ००० ०००४८०००। (+)०००४८०००० अवधि-इन्द्रक स्थान महाकाल ००० [प्रसनाली मे ऊपरकी ओर से देखने पर जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भा०३-५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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