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________________ मंत्र २४६ प्रवेश करते हैं। जेसे कोई अपनी माताको वेश्या बनाकर उससे धनोपार्जन करते है, तैसे ही जो मुनि होकर उस मुनिदीक्षाको जीवनका उपाय बनाते है और उसके द्वारा धनोपार्जन करते है वे अतिशय निर्दय तथा निर्लन हैं ६-५ ५. परिस्थिति वश मंत्र प्रयोगकी आज्ञा भ.आ./वि / ३०६/५२०/१७ स्तेनैरुपद्रूयमाणानां तथा श्वापदे, दुष्टैर्वा भूमिपाले नदीरोधकै मार्या च तदुपद्रवनिरासः विद्यादिभि वैयावृत्यमुक्तम्। जिन मुनियोंको चोरसे उपद्रव हुआ हो, दृष्ट पशुओंसे पीड़ा हुई हो, दुष्ट राजासे कष्ट पहुँचा हो, नदीके द्वारा रुक गये हों, भारी रोगसे पीडित हो गये हो, तो उनका उपद्रव विद्यादिकोंसे नष्ट करना उनकी वृति है। , ६. पूजाविधानादिके लिए सामान्य मन्त्रोंका निर्देश म.पू. /४०/ श्लो. नं. का भावार्थ- निम्नलिखित मन्त्र सामान्य है क्योंकि सभी क्रियाओं में काम आते हैं- १११११. भूमिशुद्धिके लिए 'नीरजसे नम || विघ्नशान्तिके लिए 'दर्पमथनाय नम" |६| और तदनन्तर गन्ध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य द्वारा भूमिका संस्कार करनेके लिए क्रमसे-शीलगन्धाय नमः, विमलाय नमः अक्षताय नमः, श्रुतधूपाय नमः ज्ञानोद्योताय नमः परमसिद्धाय नम ये मन्त्र बोल बोल वह वह पदार्थ चढावे ॥७-१०। २. तदनन्तर पीठिकामन्त्र पढे-सत्यजाताय नमः, अर्हज्जाताय नमः |११| परमजाताय नमः, अनुपमजाताय नमः | १२| स्वप्रधानाय नमः, अचलाय नमः, अक्षयाय नम, ११३। अव्याबाधाय नमः, अनन्तज्ञानाय नम अनन्तवीर्याय नम, अनन्तसुखाय नमः, नीरजसे नमः, निर्मलाय नम अच्छेद्याय नम, अभेद्याय नमः, अजराय नमः, अप्रमेयाय नमः, अगर्भवासाय नमः, अक्षोभ्याय नमः, अविलोनाय नम परमघनाय नम 1१४-१७। परमकाठयोगाय नमो नमः | १८ | लोकाग्रवासिने नमो नमः, परम सिचेभ्यो नमो नमः अर्हसिधेभ्यो नमो नमः ॥ १६॥ केवलसि नमो नमः अन्त कृतिसम्यो नमो नमः, परम्पर सिम्यो नमः, अनादिपरम्परसिद्धेभ्यो नमः अनाद्यनुपम सिधेभ्यो नमो नम', सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे आसन्नभव्य आसन्नभव्य निर्वाणपूजार्ह, निर्वाणपूजार्ह अग्नीन्द्र स्वाहा ।२०- २३ | ३. ( इसके पश्चात् काम्यमंत्र बोलना चाहिए ) सेवाफर्त पट्परमस्थानं भवतु अपमृत्यु विनाशन भवतु, समाधिमरणं भवतु । २४-२५।४. तत्पश्चात् क्रमसे जातिमन्त्र, निस्तारकमंत्र ऋषिमन्त्र, सुरेन्द्रमन्त्र, परमराजादि मन्त्र, परमेष्ठी मन्त्र, इन छ प्रकारके मन्त्रोका उच्चारण करना चाहिए । ४. जातिमन्त्र - सत्यजन्मन शरण प्रपद्यामि, अर्हज्जन्मन' शरणं प्रपद्यामि अर्हम्मातु शरणं प्रपद्यामि अमृतत्व शरणं प्रपद्यामि, अनादिगमनस्य शरणं प्रपद्यामि अनुपमजन्मन शरणं प्रपद्यामि, रत्नत्रयस्य शरण प्रपद्यानि सम्यष्टे सम्यम्ष्टे ज्ञानमूर्ते ज्ञानमूर्ते सरस्वति सरस्वति स्वाहा, सेवाफल परमस्थानं भवतु अपमृत्युदिनाशन भवतु, समाधिमरण भवतु । २७-३०।५ निस्तारकमन्त्रसत्यजाताय स्वाहा, अर्ह ज्जाताय स्वाहा, षट्कर्मणे स्वाहा, ग्रामयतये स्वाहा, अनादिश्रोत्रियाय स्वाहा, स्नातकाय स्वाहा, श्रावकाय स्वाहा, देवब्राह्मणाय स्वाहा, सुब्राह्मणाय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यदृष्टे सम्यन्दष्टे निधिनिधि मण व स्वाहा, सेवाफले पट् परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु विनाशन भवतु समाधिमरणं भवतु । ( ३१-३७ ) ६. ऋषि मन्त्र - सत्यजाताय नम अर्हज्जाताय नम निर्ग्रन्थाय नम, वीतरागाय नम महाव्रताय नम त्रिगुप्ताय नम महायोगाय नमः, विविध योगाय नम, विविधर्द्धये नम, अङ्गधराय नम', पूर्वधराय नमः, गणधराय नमः, परमर्षिभ्यो नमो नम: अनुपमजाताय नमो नमः, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते नगरपते नगरपते • " Jain Education International १. मंत्र सामान्य निर्देश कालश्रमण कालभ्रमण स्वाहा, सेवा फलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशन भवतु समाधिमरणं भवतु ॥१८-४६ । ७. सुरेन्द्रमन्त्रसत्यजाताय स्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, दिव्यजाताय स्वाहा, दिव्याचिताय स्वाहा नेमिनाथाय स्वाहा, सौधर्माय स्वाहा कल्पाधि पतये स्वाहा, अनुचराय स्वाहा, परम्परेन्द्राय स्वाहा. अहमिन्द्राय स्वाहा, परमार्हताय स्वाहा. अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे कम्पपते कल्पपते दिव्यमूर्ते दिव्यमूर्ते मचनागत वज्रनाम स्वाहा. सेवाफत पर परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशन भवतु समाधिमरणं भवतु ॥४०-५५ परमराजादिमन्त्रयजाताय स्वाहा. ज्याताय स्वाहा, अनुपमेन्द्राय स्वाहा, विजयार्थाय स्वाहा नेमिनाथाय स्वाहा, परमजाताय स्वाहा, परमार्हताय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे उग्रतेज उग्रतेजः दिशांजय दिशाजय नेमिविजय नैमिविजय स्वाहा, सेवाफल पट्परमस्थानं भवतु अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भव ॥६-६२६. परमेष्ठी मन्त्रसत्यजाताय नमः, अर्हज्जाताय नम, परमजाताय नमः, परमार्हताय नम, परमरूपाय नमः परमतेजसे नमः परमगुणाय नम परमयोगिने नमः, परमभाग्याय नमः, परमर्द्धये नम, परमप्रसादाय नमः, परमकांक्षिताय नम', परमविजयाय नम', परमविज्ञाय नम', परमदर्शनाय नमः परमवीर्याय नमः परमसुखाय नम', सर्वज्ञाय नमः, अर्हते नमः, परमेष्ठिने नमो नमः, परमनेत्रे नमो नम सम्यग्दृष्टे सष्टेनोविजय त्रिलोकविजय धर्ममूर्ते धर्मधर्मनेमे धर्मनेने स्वाहा, सेमाफलं षट्परमस्थान भवतु अपमृत्युविनाशनं भवतु समाधिमरणं भवतु ॥३-०६ १० पीठिका मन्त्रसे परमेष्ठीमन्त्र तकके ये उपरोक्त सात प्रकारके मन्त्र गर्भाधानादि क्रियाएँ करते समय क्रियामन्त्र, गणधर कथित सूत्र में साधनमन्त्र, और देव पूजनादि नित्य कर्म करते समय आहुति मन्त्र कहलाते है | ७८-७ १ ०. गर्भाधानादि क्रियाओंके लिए विशेष मन्त्रोंका निर्देश म.पू. /४०/ श्लोक नं. का भावार्थ- गर्भाधानादि क्रियायो (दे संस्कार) में से प्रत्येक में काम आनेवाले अपने अपने जो विशेष मन्त्र है वे निम्न प्रकार है । ६१ । १. गर्भाधान क्रियाके मन्त्र - सज्जातिभागी भव, सद्गृहिभागी भव, मुनीन्द्रभागी भव, सुरेन्द्रभागी भव, परमराज्यभागी भय, आईस्यभागी भय, परम निर्वाणभागी भव २२२-६५२ पीति क्रियाके मन्त्र-लोक्यनाथ भग, काव्यज्ञानी भव, त्रिरत्नस्वामी भव । ६६ । ३, सुप्रीति क्रियाके मन्त्र - अवतारकव्यभागी शव मन्दरेन्द्राभिषेक कल्याणभागी भय, निष्क्रान्तिकल्याणभागी भव, आर्हन्त्यकल्याणभागी भव, परमनिर्वाणकल्याणभागी भव । १७-१००१ ४. धृति क्रियाके मन्त्र-सज्जातिदातृभागीभव. सद्गृहिदातृभागी भव, मुनीन्द्रदातृभागी भव, सुरेन्द्रदातृभागी भव, परमराज्यदातृभागी भव, आर्हन्त्यदातृभागी भय परमनिवदिमागी भव १९१०१२ मोदक्रिया के मन्त्रसज्जाति कल्याणभागी भव, सद्गृहिकल्याणभागी भव. वैवाहकल्याणभागी भव, मुनोन्द्र कल्याणभागी भव, सुरेन्द्रकन्याणभागी भव, मन्दराभिषेककल्याणभागी भय यौवराज्यभागी भ महाराज्यकल्याणभागी भव, परमराज्य कल्याणभागी भव, आर्हन्त्यकल्याणभागी भव । १०२-१०७१ ६. प्रियोद्भव क्रियाके मन्त्र- दिव्यनेमिविजयाय स्वाहा, परमनेमिविजयाय स्वाहा, आर्हन्त्यनेमिविजयाय स्वाहा ।१०८ १०६ । ७ जन्म सस्कार क्रियाके मन्त्र - योग्य आशीर्वाद आदि देनेके पश्चात् निम्न प्रकार मन्त्र प्रयोग करेनाभिनाल काटते समय - घातिजयो भव' उबटन लगाते समय'हे जात, श्रीदेव्य ते जातिक्रियां कुर्वन्तु' स्नान कराते समय - त्वं मन्दराभिषेकार्हो भव' सिरपर अक्षत क्षेपण करते समय 'चिर जीव्या " जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only — www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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