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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश www.jainelibrary.org प्रमाण नं. १ नं. २ पृ. पू. ३५६ १२८ ~ : : १२६ १३० १३३ 14 # "" "" १३४ पद्म शुक्ल ११. भव्यत्व मार्गेणा गुफ्त कृष्णनील कापोत तेज १३१ १३२ १२. सम्यक्त्व मार्गणा ३६१ === मार्गणा पद्म भव्य अभव्य भव्य अभव्य सम्यक्त्व सामान्य क्षायिक ३६२ वेदक उपशम सासादन ३६४ सम्यग्मिथ्यात्व मिथ्यात्व सम्यक्त्व सामान्य क्षाचिक वेदक गुण स्थान १ २-७ १ २-७ १ २-१३ १-१४ १ १ २-४ असं मर्स ४-१४ ४ ५. ६-१४ स्वस्थान स्वस्थान 61-8 च/असं अस ( तियंच प्रधान) त्रि/ असं ति / सं, मअसं त्रि/असं ति / सं प / असं नय म x असं सर्व | | | | | 1 I 1 असं मा "1 च/असं, मxअसं विहारवत् स्वस्थान :।।।।।। च/ असं मx असं - च/अर्स अ ।।' च/असं म II असं असं वेदना व कषाय समुद्रात असं म | 11 | 11 च/ असं, मxअसं स्व ओघ वद च/असं म स्व ओघ वद मूस ओघ वद स्व ओध बद लोद स्व ओष वत् मूलोध वद मूलोव वद सर्व मूलोध वत् स्व ओघ वद च/ असं, म असं 11 19 वैकियक समुदात मारणान्तिक समुद्धात "1 नपुंसक वेद वद सोच बद मुलाबद मनुष्य पर्याप्त नय मूलोघ वत सनत्कुमार माहेन्द्र प्रधान) जसम सं I ।।।।।। |||||| च/असं मध्यसं ।। त्रिअस अस मारणान्तिक ब मxअसं सं च/ असं, मxअसं मारणान्तिक व | | | | | | । । । सर्व उपपाद 19 1: | | | | | │ | | | | | | मारणान्तिक बत उपशम सम्यग्दृष्टि संख्या में वेदकसे कुछ कम है अतः वेदक मद अर्थात उससे किचित उन उनका क्षेत्र है च/ असं मxअर्स च/अर्स म च/असं मXअसं मारणान्तिक वत् [I च/ असं मxअसं च/असे मअसं मारणान्तिकलो द " 99 सेज आहारक केवली समुदघात 1 1 1 1 1 1 मूलोघ वत् | | | | 'केवल तैजस व आहा (एक यूलोष नव ।।।।। क्षेत्र २०६ ४. क्षेत्र प्ररूपणाएं
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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