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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश प्रमाण नं. १ नं. २ पृ. पृ. ८. संयम मार्गणा १२१ १२२ १२३ १२४ 13 19 १२६ १२७ ३५४ 99 כל ३५२ "3 २५५ ३५५ ९. दर्शन मागेणा ३५७ : संयम सामान्य सामायिक छेदोप० परिहार विशुद्धि मार्गणा सूक्ष्मसाम्पराय यथाख्यात ३५८ संयतासंयत असंयत संयत सामान्य सामायिक छेदोप० परिहार विशुद्धि सूक्ष्म साम्पराय ३५६ चक्षुदर्शन यथाख्यात संयमासंयम असंयम दर्शन अवधिदर्शन केवल दर्शन चक्षुर्दर्शन 11 १०. लेश्या मार्गणा ३५७ अचक्षुदर्शन अनधिदर्शन केवलदर्शन कृष्णनील कापोत रोज देवप्रधान) गुण स्थान ६×१४ ६-६ 4-0 १० ११-१४ ५ १-४ १ २-१२ १-१४ ४-१२ स्वस्थान स्वस्थान १३-१४१ च/असं म/सं " "3 29 चप्रसंग/सं त्रि/असं, मxअसं सर्व │││││| | | विहारवत् स्वस्थान ।।।।।।।। च/ असं म/सं 53 33 च/ असं म/सं त्रि/असं म ||||||| जि/अर्स, सि/सं. मबसं त्रि/अर्स, ति / म त्रि/असं ति/सं. मxअसं | | | | | | | वेदना व कषाय समुद्धात त्रि/अर्स, ति/सम च/ असम/सं च/असं म त्रि/असं मध्य नपुंसक वेद ग शोषवत् 33 नपुंसक वेद वद अवधि ज्ञान व केवल ज्ञान वस स्व ओघ वत् सोद अवधि ज्ञान वद केवल ज्ञान वत् त्रि/असं ति/सं. असं त्रि/अ/ति/सं मध्य त्रि/असं ति/सं. नवसं वैक्रियक समुद्धात मारणान्तिक समुद्धात चर्स म/सं R असम/सं ||||| त्रि / असं मxअसं त्रि / असं मxअसं मx असं चमसं | | | | | | | | 32 त्रि./असं ति/सं मजर्स त्रि/अर्स, ति/सं मजर्स च/अर्स मध्य च/असं म fa/sret, falet. त्रि/अर्स, तियर्स मxअसं | | | | | | | | 1 1 1 1 1 1 1 14 त्रि/असं तिजसं म असं उपपाद ।।।।। 1-1 मारणान्तिक 'वत् केवल लयपेक्षा | | | | | | | | मारणान्तिक मद तैजस आहारक ब [केसी समुद्रात लोष बद केवल तै. आ. मूलोघवत् केवल केवली समु मूलोष व ०न० ओ केवली समुद्धात नहीं ।।। 1 1 1 1 क्षेत्र २०५ ४. क्षेत्र प्ररूपणाएँ
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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