SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 396
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उदय ३८१ ६. कर्म प्रकृतियोकी उ दय व उदयस्थान प्ररूपणाएँ मार्गणा गुण स्थान व्युच्छिन्न प्रकृतियाँ अनुदय पुन उदय योग्य / उदय अनदया पुन, कुल | ब्यु उदय। उदय च्छित्ति com आहारक मिश्र | - | उदय योग्य-- सुस्वर, परघात, उच्छ्वास, प्रशस्त विहा. इन ४ रहित आहारक काय योगकी ६१-५७ । आहारक द्विक कार्माण काय योग उदय योग्य-सुस्वर, दु'स्वर, प्रशस्ताप्रशस्त बिहायो., प्रत्येक, साधारण, आहारक द्वि., औदा, द्वि, वैक्रि.द्वि , मिश्र, उपघात, परषात, आतप, उद्योत, उच्छवास, स्त्यान त्रिक, छह सस्थान, छह सहनन इन ३३ के बिना सर्व १२२-३३-८४ मिथ्यात्व, सूक्ष्म, अपर्याप्त -३ सम्य , तीर्थ -२) ६ । २ अनन्ता. चतु, १-४ इन्द्रिय, स्थावर, सीवेद-१० नरक त्रिक-३॥ गुणस्थान सम्भव नहीं ४ | वैक्रि. द्वि. बिना मूलोधके ४थे वाली सम्य , नरकत्रिका ७१ १५+(उद्योत,आहा.द्वि.,स्त्यान.त्रिक स्त्री वेद प्रथम रहित ५ महनन इन १२ के बिना ओघकी ५-१२ गुणस्थान वाली ४८-१२-३६) ३६+ १५८५१ १-१२ गुणस्थान सम्भव नहीं (समुद्धात केवलीको) वज्रवृषभनाराच, तीर्थकर । । १ । २५ । २५ स्वरद्विक विहायो, विक, औ.द्वि , ६ सस्थान, उपधात परघात प्रत्येक उच्छ. वास इन १७के बिना ओधके १३,१४वे गुणस्थानोकी ४२-१७-२५ ५. वेद मार्गणा--(गो क /जी.प्र. ३२०-३२१/४५४-४५८) पुरुष वेद । उदय योग्य---स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, नारक त्रिक, १-४ इन्द्रिय, स्त्री वेद, नपुंसक वेद, तीर्थकर, आतप इन १५ रहित सर्व-१२२-१५=१०७ मिथ्यात्व = आ द्वि., १०७४ । सभ्य, मिश्र १०२ । ५-८ १०-१४ स्त्री वेद अनन्तानुबन्धी चतु. -४ मिश्र मोह =१ देव, मनु.व मिश्र -१ तिर्य गत्या नुपूर्वी-३ अप्रत्या चतु , वैक्रि. द्वि , देवत्रिक, देव, मनु.व मनु व तिर्य. आनु, दुर्भग, अनादेय, तिर्य, आनु. अयश सम्य. -४ भूलोघवत् आहा,द्वि -२ पुरुषवेद, क्रोध, मान, माया गुणस्थान सम्भव नहीं उदय योग्य--पुरुष वेदकी १०७-(आहा, नि, पुरुष वेद)+ स्त्री वैद -१०५ मिथ्यात्व ___-१ | सम्य मिश्र -२, अनन्ता चतु, देव मनुष्य तिर्य आनु मिश्र मोह मिश्रमोह -१ अप्रत्या ४, देवगति व आयु, वैक्रि सम्य. -१ द्वि., दुर्भग, अनादेय, अयश =११ मूलोघवत् स्त्यानगृद्धि त्रिक सम्य, मोह, ३ अशुभ सहनन मूलोघवत् स्त्री वेद, क्रोध, मान, माया -४ गुणस्थान सम्भव नहीं Green - cmoc जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy