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________________ उदय मार्गणा दारिक काम योग औदारिक मिश्र वैक्रियक काय योग वैक्रियक मिश्रकाय आहारक काय योग गुण स्थान Jain Education International १ २ ३ ४ ५ ७-१२ १३ १ ३ ४ ५-१२ १३ समुद्धात | केवली १ २ ३ — ६ उदय व्युचिन्न प्रकृतियों अनुदय पुन उदय अनुदय योग्य उदय योग्य आहा द्वि., वैक्रि.द्वि देव व नारक त्रिक, मनु. व तिर्य आनु, अपर्याप्त इन १३ के बिना सर्व = १०६ मिथ्यात्व आतप, सूक्ष्म साधारण तीर्थ, मिश्र, , ४ १०६ ३ १०६ ४ सम्य -३ नानुबन्ध मिश्र मोह अपत्या चतु दुर्भग, अनादेव 1 १४ इन्द्रिय यो नोच गोत्र तिथे गति आयु, प्रत्या चतु सत्यान त्रिक मिथ्यात्व स्थावर ह माछ १ अयश= ७ नानुबन्धी चतुष्क मिश्र मोह अप्रत्या. चतु. + आद्वि.स्त्यान त्रिक, स्त्री नपुं. वेद, उद्योत इन प्रहित ५- १२ तक की ४८ अर्थात् ४० ) = ४४ ८ मिथ्यात्व अनन्तानुबन्ध चतु खी - ३ ૮૦ अप्रत्या चतु, वैक्रि, द्वि., देव नरक गति व आयु, दुभंग, अनादेय १ =४ ६. कर्म प्रकृतियोंकी उदय व उदयस्थान प्ररूपणाएँ कुल व्युउदयच्छति =१ मिश्र मोह = १ सम्य. १ मूलोघर । तीर्थ ७६ ओष - १ । ४१ । १ । ४२ । ४२ . १४ की मकर-४२ उदय योग्य आहा. द्विक, वैक्रि. द्विक, देवत्रिक, नारक त्रिक, मनु ति, आनु, स्त्यान. त्रिक, सुस्वर, दुस्बर, प्रशस्ताप्रशस्त विहायो, परघात, आतप उद्योत, उच्छ्वास, मिश्र इन २४ के बिना सर्व १२२-२४मिथ्यात्व सूक्ष्म, अपर्याप्त. साधारण ४ | तीर्थ सम्य = १ | अनन्तानुबन्धी चतु, १४ इन्द्रिय, स्थावर, अनादेय, दुर्भग, अयश, स्त्री नपुंसक वेद ह = १४ गुणस्थान सम्भव नहीं सम्य. सम्य. हुडक नपुंसक, दुभंग, अनादेय दु स्वर, नरक गति व आयु. नीच गोत्र = ८ गुणस्थान सम्भव नही तीर्थंकर = १ ३५ " १०२ ६३ १३ ८७ गुणस्थान सम्भव नहीं 20 ८६ ८३ ७ह मिथमोह-१ सम्य - १ ७६ १ २ ३ ४ अप्रस्था. चतु, देवगति आयु, नरकगति. आयु.. वैक्रि. द्विक, दुर्भग, दुस्वर, अनादेय १३ उदय योग्य - मिश्रमोह, परघात, उच्छ्वास, सुस्वर, दुस्वर, प्रशस्ताप्रशस्त विहा. इन ७ रहित वैक्रियक काय योगवत् ६६-७ = ७६ | सम्य, सासादन के अनुदय वाली -२ | जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only पुन उदय ७ह ७७ १ १ सुस्वर, दुस्वर, प्रशस्ताप्रशस्त विहा परवात, उच्छवास इन ६के बिना १] १४वे की सर्व ४२-६-२ उदय योग्य - स्थावर, सूक्ष्म, तिर्य. त्रिक, मनु, त्रिक, आतप, उद्योत, १-४ इन्द्रिय, साधारण, स्त्थान त्रिक, तीर्थंकर अपर्याप्त छहीं संहनन, समचतुरस्र व हुण्डक बिना ४ संस्थान, आहा. द्वि, औ द्वि, नारक व देव आनु, इन २६ के बिना सर्व १२२-३६६। मिश्र, सम्य = २, १ ८ ६४ १०२ ६४ हम | '" ८७ ७६ ६६ ह२ ७६ ३६ ८४ ८३ ८० Co 6 x 3 ७८ ६६ १. ७ ७३ ३ ४ १४ ४४ R ८६ दु स्वर १३ उदयोग त्रिक, खो न वेद, अस्त विहाय दुस्वर, ६ संहनन, ओदा हि समचतुरस्रके बिना संस्थान इन २० रहित ओधके ६ ठे गुणस्थानकी ८१-२०६१ | ६१ | | ६१ | २ आहारक द्विक ३६ १ ४ ༢ १३ १ ५ १३ www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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