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________________ उदय ३७७ ६.कर्म प्रकृतियोकी उदय व उदयस्थान प्ररूपणाएं । पुन उदय योग्य / अनुदय मार्गणा | गुण | उदय व्युच्छिन्न प्रकृतियाँ अनुदय स्थान उदय । उदय छित्ति तिर्य, अप. । उदय योग्य-खो व पुरुष वेद, स्त्यान त्रिक, परधात, उच्छ्वास, पर्याप्त, उद्योत, सुस्वर, दुःस्वर, प्रशस्त-अप्रशस्त बिहायो., यश, आदेय, आदिके । मस्थान व सहनन, सुभग, सम्या, मिश्र इन २८ के बिना पंचे. सा. वत्-७१ मिथ्यात्व भोग भूमिज तियं - उदय योग्य-भोगभूमिज मनुष्योंकी ७८-मनुष्य त्रिक व उच्चगोत्र+तिर्य. त्रिक, नीच गोत्र व उद्योत=७६ प्रमाण '-(गो.क./भाषा ३०१/४३१/१) मिथ्यात्व -१ सम्य.,मिश्र =२ ७६ । ७६ ७७ । १ अनन्तानुबन्धी चतुष्क मिश्र मोह -१ तिर्यगानुपूर्वी-१ मिश्र. -१ अप्रत्या चतुष्क, तिर्यगानुपूर्वी -५ सम्य, । तिर्यगानु..२ । ३. मनुष्य गति-(गो.क/जी. प्र. २१८-३०३/४२३-४३१) मनुष्य सामान्य उदय योग्य-स्थावर, सूक्ष्म, तिर्य. त्रिक, नरक त्रिक, देव त्रिक, वैक्रि. द्विक, १-४ इन्द्रिय, आतप, उद्योत, साधारण इन २० के बिना सर्व १२२-२०-१०२ मिथ्यात्व, अपर्याप्त -२ | मिश्र सम्य. द्वितीर्थ-५ अनन्तानुबन्धी चतुष्क -४ मिश्र मोह *१ मनुष्यानुपूर्वी-१ मिश्र मोह-१) अप्रत्या. चतु.. मनु. आनु, दुभंग, सम्य मनु. अनादेय, अयश, आनु,-२ प्रत्या चतु., नीच गोत्र - - मूलोघवत् मनुष्य पर्याप्त उदय योग्य-खी वेद व अपर्याप्तके बिना मनुष्य सामान्यवत १०२-२-१०० मिथ्यात्व -१ मनु सा. बत-/ ६-१४ । २-६ मनुष्य सामान्यवद क्रोध, मान, माया, पुरुष व नपुंसक । क्रोध, मान, माया, पुरुष व नपुंसक । ५ । ६५ । । मूलोघवत मनष्यणी पर्याप्त । - । उदय योग्य--- अपर्याप्त, पुरुष व नपुंसक वेद, आहारक द्विक, तीर्थकर इन ६ के बिना मनुष्य सामान्यवतमिथ्यात्व -१ | सम्य., मिश्र . अनन्तानुबन्धी चतु., मनुष्यापूर्वी ५ मिश्र मोह मिश्र मोह -१ अप्रत्या चतु., दुर्भग, अनादेय, अयश सम्य.-१| | प्रत्या चतु, नीच गोत्र स्त्यानगृद्धि. निद्रानिद्रा, प्रचला. प्रचला मूलोघवद् ६/१-५ (सवेद भाग) स्त्री वेद -१ ६-१२ मूलोधवत १३/१४ तीशंकर बिना मूलोधवत् -→ मनुष्य अप. उदय योग्य :-तिर्यञ्च अप. वत ७१-तिर्यक् त्रिक+ मनुष्य त्रिक ७६ मिथ्यात्व भोगभूमिजमनु.. उदय योग्य '-दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय, अयश, नीच गोत्र, नपुंसक, स्त्यान-त्रिक, अप्रशस्तविहा., तीर्थ., अपर्याप्त, वज्र वृषभ नाराच बिना ५ सहनन, समचतुरस्त्र बिना ५ संस्थान, आहारकद्विक, इन २४ के बिना मनु. सा. वत्-७८ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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