SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ झापु २६९ ७. आयु विषयक प्ररूपणाएँ आयू सामान्य __ नाम जघन्य । बद्भायष्क की अपेक्षा उत्कृष्ट घातायुष्क सामान्य उत्कृष्ट उत्कृष्ट (१०) नव अनुदिश सम्बन्धी स्वर्ग सामान्य ३१ सागर ३२ सागर धातायष्क - उत्पत्तिका अभाष (त्रि.सा. ५३३) प्रत्येक पटन:आदित्य के सर्व विमान । ३१सागर ३२ सागर (११) पंच अनुत्तर सम्बंधी स्वर्ग सामान्य ३२ सागर | ३३ सागर घातायुष्क - उत्पत्तिका अभाव (त्रि.सा. ५३३) प्रत्येक विमान :विजय ३२ सागर ३ भागर वैजयन्त जयन्त अपराजित सर्वार्थ सिद्धि ३३सागर उत्पत्ति का अभाव १ १०. वैमानिक देवोंमें इन्द्रों व उनके परिवार देवों सम्बन्धी प्रमाण-(ति. प.१५१३-५२६) संकेत-ऊन किश्चिदून। इन्द्र त्रिक-इन्द्र सम्बन्धी प्रतीन्द्र, सामानिक, व त्रायस्त्रिंश यह तीन सामन्त लो. चतु-लोकपालों सम्बन्धी प्रतीन्द्र, सामानिक, प्रायत्रिंश, पारिषद तथा अन्य सामन्त प्रकी, त्रिक-इन्द्र सम्बन्धी प्रकीर्णक, आभियोग्य व किल्विधक यह तीन प्रकार देव नोट-उस्कृष्ट आयु दी गयी है। पहले-पहले स्वर्गकी उत्कृष्ट अगले-अगले स्वर्ग में जघन्य आयु है। नाम स्वर्ग इन्द्रादिक । प्रकी. _ लोकपालादिक इन्द्र ।इंद्रत्रिक यम-सोम| कुवेर । वरुण । पत्य | पाय पारिषद -आत्मरक्ष --अनीक लो./चतु. | अभ्यन्तर मध्यम | बाह्य पत्य । पत्य | पल्य | पन्य त्रिका पक्ष्य ऊन ४ सौधर्म ईशान सनस्कुमार माहेन्द्र ब्रह्म ब्रह्मोत्तर लान्तव कापिष्ठ साधिक ३ ऊन ४ साधिक ४ ऊन साधिक "::.:- ऊन स्वस्व स्वर्गकी उत्कृष्ट आयु स्व स्व इन्द्रवव स्वस्व प्वामिवत कथन नष्ट हो गया है 9 : साधिक ऊन ७ साधिक ७ ऊन साधिक८ ऊन साधिक ऊन १० साधिक १० महाशुक्र शतार सहसार आनत प्राणत आरण १६, अच्युत : : ऊन १० : - जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy