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________________ अल्पबहुत्वं स्वामी २०१ ५ समय योग्य २१० ४ "" २११ उपरिम भाग ३ समय योग्य २ सूत्र २१२/ १४८ १४६ १५० १५१ १५२ १५३ १५४ १५५ ₹4 १५७ १५८ सात ल अप एकेन्द्रिय तोन विकलत्रय सू. बा. पचेन्द्रिय सज्ञी असज्ञी २. योग स्वानोके स्वामित्व सामान्यकी अपेक्षा (घ. १०/२.१.४.१०३ /२०३) यही सात नि अप यही सात नि प १४५ | एकेन्द्रिय सू. ल. १४६ बा. 11 १४७ द्वीन्द्रिय ल. अप. श्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय * पंचेन्द्रिय असो ल. अप. संशो सातो नि. सातो नि. प. पररपर तुल्य परस्पर तुल्य असं गुणे अस गुणे ३. योग स्थान सामान्य मे परस्पर अल्पबहुत्व ( ध १० / ४,२, ४, १७३ / ४०४) सातो ल. अप (दे. ऊपर) अप. " 94 द्वन्द्रिय श्रीन्द्रिय (च.नं.१०/४,२,४/सू.१४५-१०२/२६६-४०१ ) ज. उप. १५६ १६० चतुरिन्द्रिय १६१ १४२ "1 99 एकेन्द्रिय सू. बा. ११ " सू. नि. अप. बा. Jain Education International सृ बा. नोट - यह स्व-स्थान प्ररूपणा जानना । ४. १४ जीव समासोमे जघन्योत्कृष्ट योग स्थानोंकी अपेक्षा नि 11 11 19 अप. 19 " 11 " योग 14 ३ व २ समग्र योग्य स्थान ऊपर ही होते 'है नीचे नहीं प. 11 अप. पंचेन्द्रिय असंज्ञी नि. अप संज्ञी ३ स्थान ऊप एकी. परि २ स्थान ऊप एका १ स्थान प.रे. པཽ ཝཱ ཡཱ ླ ལྤ ཡཱ परि. " उ. परि 11 ज. परि उ. परि उ. एकां 11 अल्पबहुत्य सूत्र असं गुणे १६+ इन्द्रिय १६४ त्रीन्द्रिय १६५ चतुरिन्द्रिय JEE स्तोक परस्पर तुल्य स्तोक " स्लोक असं गुणे स्तोक असं गुणे एक ही पद मे अल्पबहुत्व नहीं स्तोक असं गुणे :::::::::::: 11 १६२ " १६७ ९६८ १६६ / | १७० १७१ १७२ । १४०४ ४०५ पचेन्द्रिय असंज्ञी सही १४०६ द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय स्वामी १४०५ एकेन्द्रिय सू. नि. प. एकेन्द्रिय बा विकलत्रय 17 . 11 एकेन्द्रिय बा. ल. अप तीनो विकलत्रय ल. अप. पचे, सज्ञी असज्ञी एकेन्द्रिय नि. अप. भू 91 39 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only एकेन्द्रिय बा नि अप विक्लत्रय नि. 39 99 पंचे ज्ञ असंज्ञ इति षट् निवृत्ति अपर्याप्त " (१०/४.२.४.१०२ / ४०४-४२०) नोट- गुगकार सर्वत्र पश्य / असं जानना स्वस्थान अल्पबहुत्वएकेन्द्रिय सु. ल. अप. 19 चतुरिन्द्रिय पचेन्द्रिय अशी संत्री 19 29 ५. प्रत्येक योगके अविभाग प्रतिच्छेदोकी अपेक्षा प. नि. ल. नि नि. 11 पं सज्ञी असंज्ञी इति पर निवृत्ति पर्या परस्थान अल्पबहुत्व - मन. साधारण या निगोदएकेन्द्रिय सू. ल. अप. उपरोक्त नि. अप. ल. अप. नि. नि. प. " 12 19 " 19 11 39 ३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ योग ज. परि. 19 उ 11 परि ज. उप. उ. उप. ज. एकी. उ. एकी. ज परि परि. 3. ज. उप 3. ज उ उपरोक्त चारो स्थान ज. परि उ. परि. उपरोक्त दोनों स्थान उपरोक्त ग्रहो उपरोसत् स्थान एकी. ज उप. * उ. 25 उ. to = = = = = = 11 ज एकां 97 ज. परि. ज उ. अन्यमहुल अस. गुणे 19 19 19 19 स्तोक असं गुणे ::: स्तोक असं गुणे . 11 उपरोक्तवत स्तोक असं गुणे उपरोक्तवत् स्तोक असं गुणे :::::::::: " www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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