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________________ अल्पबहुत्व १५६ ३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ अल्पबहुत्व गुणकार 'म नाना श्रेणी F_ कुलद्रव्य कुलप्रदेश | अल्पबहुत्व गुणकार अनन्तगुणे स्वअन्योन्याभ्यस्तराशि असं. गुणे अनन्त गुणे । सर्व जीवxअनन्त १ असं. गुणे असं गुणे ध्रु व शून्य वर्गणाका कथन नही किया क्योकि वह पुद्गल रूप नहीं है आक्रोश रूप है। ४. एक श्रेणी द्रव्य, नाना श्रेणी द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा स्व व परस्थान प्ररूपणा-- (ध १४/पृ २१५-२२३) अभव्य अनन्त निचला स्थान-स्व अन्योन्याभ्यस्त राशि अभव्य अनन्त पीछे नं.१३ वद एक अधिक अधस्तनअध्वार पीछे नं. १३ वत १२ xxxxxxxxxxxxxxxxx एक श्रेणी या नाना श्रेणी अल्पबहुत्व गुणकार स्तोक एक संख्या ही है १) एक श्रेणी द्रव्य , २३ नाना , २) एक , १६ नाना , " स गुणो असं गुणी एक कम उत्कृष्ट संख्या अस लोक द्रव्य १२ . अभव्य अनन्त ऊपर समान सं. गुणा एक कम उत्कृष्ट संख्या संख्यात असं.लोक अस गुणे नाना श्रेणी में इनका कथन नही होता क्यों कि ये आकाश रूप है,पुद्गल रूप नहीं। सर्व जीवxअनन्त असं.गुणी ४.पंच शरीर बद्ध वर्गणाओंकी प्ररूपणा १.पंच वर्गणाओं के द्रव्य प्रमाण की अपेक्षा(ध ६/४,१,२/३७) अनन्त गुणी असं. गुणे पत्य/असं. असं. लोक अनन्त लोक पल्य/असं. अंगु/अस. आ./असं. ज प्र./असं. पत्य/असं. वर्गणा का नाम अल्पबहुत्व गुणकार स्तोक अनन्त गुणे नाना श्रेणियो में कुल द्रव्य कुल प्रदेश आहारक वर्गणा तै जस भाषा वर्गणा मनो , कार्माण , २३॥ x विशेषाधिक जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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