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________________ अल्पबहुत्व सूत्र २०६ २१० २११ २१२ २१३ २१४ २१५ १५३ १५४ १५ मार्गणा उपशमकों में सम्यक्व चारित्र १५० मन पर्यय ज्ञानी १५१ अवधि १५२ मतिश्रुत מ क्षप. अकषायी - (ष. ख. ५/१.८ / सू. २१२ - २१५ ) अायी ११ स्तोक 59 22 २२८ २२६ २१८ २१६ २२० क्षपक २३० २३१ २३२ २३३ ११. ज्ञान मार्गणा १. अधान २१६ । मतिश्रुत अज्ञान २१७ २१५ विभंग ज्ञान २१७ १. सामान्य प्ररूपणा २२१ २२२ अक्षपक व अनुपशमक २२३ २२४ क्षपक " ע २२५ २२६ उपरोक्तमें सम्यक्त्व गुण स्थान " उप क्षा उप 21 (ब.ख.७/२.११/ सू.१५०-९५५) स्तोक निर्भय हानी केवलज्ञानी मतिभुत अज्ञानी २. ओघ व आदेश प्ररूपणा १२ १४ १३ Jain Education International अल्पबहुत्व स्तोक सगुणे स्तोक सं. गुणे R दुगुने ऊपर तुल्य सं. गुणे १५/१०/२१६-२१७) स्तोक अनन्तगुणे २ सर्वत स्तोक 5-20 ११ ८-१० १२ ७ ६ ५ ४ उप M असं गुणे विशेषाधिक २. मतिभुत अनभिज्ञान (१७/१८/सू.२१०-२२१) उपशमक क्षप. ८ - १० ११ ९-१० १२ असं गुणे अनन्तगुणे स्तोक ऊपर तुल्य दुपुणे उप. क्षा, अर्थ व संगु वे. उप क्षा. ऊपर तुल्य सं. गुणे दुगुने प / असं गुणे + आ. / अस. / गु स्तीक कारण व विशेष मूलोघवत 91 स्तोक कुल ५४ जीव ( प्रवेश २२७ उपशमकों में सम्य. गुणे स्तोक • चारित्र सं. गुणे २. मनपर्यव ज्ञानख५/१०/२३०-२४१) उपशमक स्तोक ऊपर तुल्य गुणे ऊपर तुक्य 99 १०८ प्रवेश की अपेक्षा संचय की अपेक्षा संख्यात मात्र गुणकार पल्य / असं. उपरोक्त + वह / अस परस्पर तुल्य गुणकार = ज प्र . / असं == गुणकार-पव्य/ असं. १६० 11 = सर्व जीव / असं. पल्य / असं १६१ असं गुणे गुण - अगु/अस + ज प्र १६२ मूलोधवत् तिथंच भी, देव भी लोषमय व संचय) २३६ उपशमको में सभ्य, चारित्र 19 १५० " 11 सूत्र २३४ अक्षपक व अनुपशमक १२३५ २३६ उपरोक्त में सम्य, २३७ २३८ २४० २४१ 39 प्रवेश अपेक्षा / तुल्य १६४ संचय भी प्रवेशाधीन १६५ १६६ 11 २४२ २४३ १९५६ मार्गमा १६७ | १५६ संयत सामान्य १५७सयतासंयत १९५८ न संयत न असंयत (सिद्ध) २४४ २४५ २४६ २४७ 91 तुल्य प्रवेश व संचय २५१ | सूक्ष्म साम्पराय परिहार विशुद्धि यथाख्यात १६३सामायिक छेदोपस्थापना संयत सामान्य सयतासंयत न संयत न असंयत (सिद्ध) स्तोक सं. गुणे स्तोक सं गुणे ४. केवल न. ५/१८/२४२-२४३) स्तोक अयोगी योगी ऊपर तुल्य सं. गुणे क्षपक २४८ अयोगी सयोगी गुण स्थान अल्पव हुत्व ७ ६ १२. संयम मार्गणा २४६ २५० अक्षपक व अनुपशमक उप " क्षा. बे जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only उप. क्षा, उप. क्षप, १४ १३ १३ १. सामान्यकी अपेक्षा सामान्य प्ररूपणा -- .०२.१९/१५६-९५६) २. ओष आदेश प्ररूपणाएँ असंयत अनन्तगुणे २. विशेषकी अपेक्षा सामान्य प्ररूपणा -- (0.5,0/2,82/41.860-180) ८-१० ११ ८-१० १२ १४ सं गुणे डुगुने स्तोक से. गुणे १३ १३ ७ २५२ उपरोक्त में सम्यक्त्व उप. २५३ सा वे. | २५४ स्तोक असं गुणे अनन्तगुणे असंयते अनन्त गुणे ३. ओम व आदेश प्ररूपणा -- १. संयम सामान्य - (ष ख ५/१/सू. २४४-२५७) उपशमक स्तोक सं. गुणे कारण व विशेष क्षायिक सम्यक्त्वके साथ अधिक मन पर्मज्ञानी होते है। स्लोक ऊपर तुल्य दुगुने ऊपर तुल्य मूलोघवत 99 सं. गुणे दुगुने स्तोक सगुणे सं. गुणे प्रवेश व संचय प्रवेशापेक्षया संचयापेक्षया 93 ऊपर तुल्य विशेषाधिक उपरोक्त सर्वका योग अस गुणे गुणकार - पल्य / असं. अनन्तगुणे सख्यात मात्र गुणकार=पत्य / असं. प्रवेश व संचय दोनों कुल ५४ जीव कुरा १०० जीव प्रवेशापेक्षया सचयापेक्षया www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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