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________________ अत्पबहुद २ ओघ व आदेश प्ररूपणाएँ मागणा गुण अपमहत्त्व स्थान |" कारण व विशेष मार्गणा स्थान | अस्पम हुत्व गुण । कारण व विशेष विको | स्तोक स्तोक १२/ देवी ३२ गुणी ५. मनुष्य गतिसिद्ध अनन्त गुणे || १. मनुष्य गतिकी सामान्य प्ररूपणा१५ तिर्यच (ति १.४/२६३१-३३) (मू.आ.१२१२-१२१५) (ध ३/१,२.१४/६/२) ३. नरक गति१. नरकगतिकी सामान्य प्ररूपणा अन्तीपज प स्तोक (मू आ १२०६) उत्तम भोगभूमिप स गुणे देवकुरु व उत्तरकुरु सप्तम पृ स्तोक | असख्यात बहुभाग क्रम मध्य भोगभूमि प हरिव रम्यक ठी , असं. गुणे से पहिलोसे सप्त पृथिवी जधन्यभोगभूमि प. हैमत्रत हैरण्यवत तक हानि समझना अनकस्थितकर्मभूप भरत ऐरावत (ध ३/पृ २०७) अवस्थित ,, प विदेह क्षेत्र लमध्यपर्याप्त अस गुणे | सर्व मनुष्य सामान्य । विशेषाधिक पर्याप्त+अपर्याप्त श्ली , २. मनुष्य गतिकी ओघ व आदेश प्ररूपणा२. नरकगतिकी ओघ व आदेश प्ररूपणा (ष खं ५/१,८/सू ५३-८०) (प.व.४१.८/सू २७-४०) मनुष्य सामान्य, मनुष्य प, मनुष्यणी नारकी सामान्य । २ उपशमक -१० स्तोक । प्रवेश व सचय दोनो स गुणे अधिक उपक्रमण काल १९ । ऊपर तुल्य तीनोपरस्परतुल्य(५४जो) | असं गुणे | गुणकार आ /असं. क्षपक दुगुने | (१०८ जीव) असं. गुणे | ., म अगुल/असं,-ज प्र.१६ १२ | ऊपर तुल्य सम्यक्त्व अमं गुणे । गुणकार-पत्य/असं प्रवेशापेक्षया अधिक संचय काल | सं गुणे संचयापेक्षया गुणकार-आ/असं अक्षपक व अनुपश मूलोधवत् नारकी सामान्यवत प्रथम पृ दुगुने स्तोक सं गुणे २-७ पृथक् पथक सं गुणे अस गुणे । गुगकार-आ/असं ..-अगु/असं.+जप्र क्रमेण २ ३, ४, ५, ६, ७ मनुष्य प व मनुष्यणी में अमं गुणे | मनुष्य मा व अप असंयतोमे ___ स्तोक स्तोक सम्यक्त्व क्षा. | स गुणे सम्यक्त्व वे. असं, गुणे गुणकार-पल्य/अस... आ/असं संयतासंयतोंमें- क्षा, स्तोक | क्षायिक्सम्यक्त्वी प्राय क्षा, | ... क्षायिकका अभाव सम्यक्त्व सयमास यम नही धरते ४ तिर्यच गति या असंयमी रहते है या १. तिथंच गतिकी सामान्य प्ररूपणा सयम ही धरते है। (ष रख ४१०८ सू ४१-५०) नोट-दे इन्द्रिय व काय मार्गणा उप - स.गुणे बह उपलब्धि २.तियं च गतिकी ओष व आदेश प्ररूपणा अधिक आय (ष त्र.५/१,८/सू.४१-५०) गुण स्थान ६.७ में स्तोक मूलोधवत् तियं च सा , पंचे ति सा,पंचे प, योनिमति सम्यक्त्व स गुणे सामान्य १ स्तोक | दुर्लभता २ असं. गुणे गुणकार- आ./असं | उपशमको में स्तोक सं. गुणे सम्यक्त्व | स गुणे असं • गुणे | गुणकार-आ./असं. चारित्र उप स्तोक अनन्तगुणे क्षप / सं गुणे । असंयतोमेंस्तोक ३. केवल मनुष्यणीकी विशेषतासम्यक्त्व अस. गुणे गुणकार-आ./असं. (ष खं ५/१८/सू.७५-७८) भोगभूमि मे संचय गुण स्थान ४-७ मे । क्षा | स्तोक अप्रशस्त वेदमें क्षायिक संयतासयतो मेंस्तोक सम्यक्त्व सम्यक्त्व दुर्लभ है। सम्यक्त्व अस गुणे गुणकार-आ/असं. |७६ | उप स गुणे क्षा. अभाव ७७/ मूलोधवत जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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