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________________ हिन्दी - गुजराती धातुकेाश फलस्वरूप, उनमें हुए परिवर्तन 2.4 भारोपीय परिवार की भाषाओं के पिछले देढ सौ वर्ष के अध्ययन के के द्वारा विद्वानों ने उनका इतिहास निर्धारित किया है, उनके पारस्परिक सम्बन्धों को समझाया है । हिन्दी - गुजराती एक ही परिवार की भाषाएँ होने के साथ साथ कुछ विदेशी भाषाओं से विशेष कालखण्डों में लगभग एकसाथ प्रभावित हुई हैं । इन दोनों भाषाओं के विशेष अध्यनन की सामग्री के रूप में इनकी धातुओं के शब्दकोशीय सामग्री - संरक्षणशास्त्रीय 'लेक्सिको स्टेटस्टिकल' निष्कर्ष निम्नलिखित हैं : २०६ [ इस पद्धति के अंतर्गत सामान्यतया कुछ चुने हुए शब्दों को लेकर विविध भाषाओं में उन के सुलभ रूपका अध्ययन लरके निष्कर्ष निकाले जाते हैं ।] 3. निष्कर्ष : 3.1 विलियम ड्वाइट व्हिटनी ने 'रूट्स, वर्बफेार्ल्स एण्ड प्राइमरी डेरिवेटिव्स आफ ध संस्कृत लेंग्वेज' के अंत में धातुसूची दी है। जिसमें कुल मिलाकर 1014 संस्कृत धातुओं का समावेश है । परन्तु उनमें 85 धातुएँ दा से लेकर पाँच की संख्या में ध्वनिसाम्य रखती हैं । कुल जोड में से इन 85 धातुओं का कम करने पर 829 धातुएँ बचेंगी । डा. गजानन पळसुले ने 'ए कान्कोर्डन्स आफ संस्कृत धातुपाठाज' में कुल मिलाकर 3706 संस्कृत धातुओं का ससावेश किया है । इनमें 920 धातुएँ ध्वनिसाम्य के आधार से कम करने पर 2786 संस्कृत धातृएँ बचेंगी। ये धातुएँ वास्तव में 'पुस्तकीय' हैं और निःशेष गणना के प्रयत्न में इनमें संख्यामेद आ गया है। व्हिटनी द्ववारा निर्दिष्ट धातुओं में से 200 धातुएँ संस्कृत के प्रारंभिक काल में पाई जाती है; लगभग 500 धातुएँ दोनों काल- विभागों में तथा 150 से कम परवर्ती काल में पाई जाती हैं । डा. पळसुले ने संस्कृत की गणव्यवस्था के आधार से सभी सुलभ धातुपाठों में प्राप्त धातुओं में कितनी क्षति - वृद्धि हुई इसका गणित दिया है । वृद्धि का प्रमाण उनको क्षति से ज्यादा लगा है । इनके द्वारा निर्दिष्ट सभी धातुएँ किसी भी काल की संस्कृत में एक साथ व्यवहृत नहीं होती होंगी यह तो स्वयंस्पष्ट है, परन्तु जब लिखित सामग्री के उपयोग से ही निष्कर्ष तक पहुँचना अनिवार्य हो तब यह मानकर चलेंगे कि संस्कृत में अधिक से अधिक 2786 धातुएँ प्रयुक्त हुई हैं और एक धातुः एक अर्थ के हिसाब से इनकी संख्या 3706 होती है । धातुसंख्या की गणना डा. पळसुले ने नहीं की, इस शोधकर्ता ने की है। 3.2 प्रस्तुत प्रबन्ध के द्वितीय खण्ड के धातुकोश में 877 तद्भव हिन्दी भ्रातुओं का समावेश हुआ 1 इनमें से 476 धातुओं के गुजराती रूप मिलते हैं। धातुकोश में तो तुलना के लिए संझा, विशेषण आदि का भी निर्देश किया है। इस गणना में केवल धातुओं का ही समावेश है । इन 476 गुजराती धातुओं में 78 धातुएँ ऐसी हैं जिनमें से किसी की एकाध अर्थच्छाया भिन्न है या किसी में पूरे अर्थ की भिन्नता है । बालियों तथा प्रयोगों के कारण आए रूप - वैविध्य से बढे संख्याभेद को दूर करने के बाद 2981 हिन्दी धातुएँ शेष रहीं। इनमें तद्भव धातुओं का प्रतिशत 29.4 है । तद्भव विभाग में हिन्दी के साथ दी गई गुजराती धातुएँ 54.2 प्रतिशत हैं । 3.3 हिन्दी की देशज धातुओं की संख्या 1160 है । इस संख्या के सामने 308 मिलती हैं। इनमें से अधिकांश समानस्रोतीय हैं । यहाँ दी गई 308 गुजराती देशज धातुओं में अर्थच्छाया या अर्थ की भिन्नता लक्षित होती है । हिन्दी में देशज धातुओं का Jain Education International गुजराती की देशज धातुएँ धातुओं में से 56 प्रतिशत 39 है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016001
Book TitleHindi Gujarati Dhatukosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuvir Chaudhari, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary, Dictionary, & Grammar
File Size15 MB
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