SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 6086033 संदेश __ जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर विश्व क्षितिज पर चमकने वाले महापुरुषों में से एक हैं। लाखों-करोड़ों श्रद्धालु लोगों की आस्था के के एक मात्र केन्द्र हैं। उनके बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, कहा गया है और पढ़ा गया है। प्रति वर्ष उनका जन्म-दिन और निर्वाण-दिन मनाया जाता है। उनकी स्मृति में प्रति वर्ष स्मारिकाए प्रकाशित होती हैं। पर ये सब उपक्रम उनकी उपासना के लिए पर्याप्त हैं. ऐसा मैं नहीं मानता। मेरे अभिमत से भगवान महावीर को मनाने या उनकी उपासना करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उनकी साधना पद्धति को प्रायोगिक रूप देकर उसे जन-जन तक पहुचाया जाए। . इस ओर किसी का ध्यान आकर्षित हुआ या नहीं, मैं नहीं कह सकता। हमने एक प्रयास शुरू किया है। प्रेक्षा ध्यान साधना के माध्यम से भगवान महावीर की साधना पद्धति को उजागर किया जा रहा है । उसके उन्नीस शिविर सफलता पूर्वक सम्पन्न हो चुके हैं और बीसवां इस समय जयपुर में चल रहा है। इस अभिक्रम के द्वारा हम भगवान महावीर के प्रति सच्ची श्रद्धा समर्पित कर सकते हैं, ऐसा मेरा विश्वास है। राजस्थान जैन सभा (जयपुर) महावीर जयन्ती के अवसर पर एक स्मारिका प्रकाशित कर रही है। यह स्मारिका इस रूप का कोई सृजनात्मक पक्ष प्रस्तुत कर भगवान महावीर की साधना के रहस्यों को उजागर करने में थोड़ा भी निमित्त बन सकी तो बहुत बड़ा काम हो सकेगा। प्राचार्य तुलसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy