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________________ इन चीजों के उपयोग से परे हटकर हम प्राणियों के परफ्यम व इत्र-समुद्र में रहने वाली व्हेल प्रति बहुत दयावान बन सकते हैं । फैशन और शौक मछली से प्राप्त होने वाली चर्बी से ऐवरगिस के नाम पर घर-घर में ऐसी चीजें घुस गई हैं। और ऐवरथिस नामक पदार्थ बनता है, जो मोम इनमें से कई का शरीर पर उपयोग कर हम स्वतः जैसा होता है। इससे ही सुगंधित परफ्यूम व इत्र भयानक बीमारियों को प्रामन्त्रित कर रहें हैं। बनाया जाता है। यह प्रश्न अहिंसा प्रेमियों के लिए विशेष विचारगीय हैं। क्रीम व टानिक--इसी मछली से निकलने वाले तेल जैसे पदार्थ से ये पदार्थ बनाये जाते हैं। इन आज के खुबसूरत बैग, पर्स व जूते जिन्हें वस्तुओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया भी बड़ी दर्ददेखकर आम व्यक्ति का मन मचलता है, इनके नाक है। पहले नुकिले भालों से मछली पर खूब निर्माण की कहानी बड़ी दर्दनाक है। ये मगरमच्छ वार किया जाता है फिर रस्सियों द्वारा बड़े की खाल से बनते हैं। मगरमच्छ की आदत है जहाजों से उसे बांध दिया जाता हैं। जैसे-जैसे कि वह जिस रास्ते से जाता है ठीक उसी रास्ते वह पानी में भागती दौड़ती है भालों की नोंक से वापस लौटता है। उसके लौटने के मार्ग पर से की जाने वाली मार से तड़प तड़प कर वह तेज धार वाले चाक रोप दिये जाते हैं, जिनसे पांच-छः घंटे में मरण प्राप्त करती है। तब ये लौटते वक्त उसका पेट चिर जाता हैं। और उसी पदार्थ प्राप्त होता हैं। वेदना से वह प्राण त्याग देता है। उसकी उधेडी फरवाले कोट-समुद्र के सील नामक जीव खाल से ये चीजे बनती है। के बच्चों को लाठियों से मार-मार कर फर प्राप्त किये जाते हैं, जो बड़े खबसरत होते हैं। मरने इसी प्रकार सांप को मारकर उसकी खाल से पहले ही बेहोसी की हालत में उसकी खाल प्राप्त करने का तरीका भी अत्यधिक क्रूरता पूर्ण उतार ली जाती है। छ:-सात बच्चों की खाल है। एक व्यक्ति जीवित सांप को सर से पकड कर . से मुश्किल से एक कोट तैयार हो पाता हैं । इस ऐड के तने से सटा कर रखता है. दसरा उसके सर . जीव को गोली से मारने से खाल व फर खराब पर कील ठोकता है, तीसरा पूछ पर पैर रख कर होने का डर है। ऊदबिलाव, भालू, खरगोश की लम्बा चीरा देता है और इस प्रक्रिया से उसकी " चमड़ी से भी फर तैयार किये जाते हैं । खाल शरीर से छिलके की तरह अलग हो जाती है। सांप के मांस का लोथड़ा लटकता रहता है। शेम्पू-सर धोने का तरल साबुन का प्रयोग वह चींटियों का भोजन बनता है। इस स्थिति पहले चूहों और खरगोशों की आंखों पर किया में तीन चार दिन तक तड़पते रहने बाद कहीं जाता है, जिससे वे अंधे हो जाते हैं। बाद में उसका जीव निकलता है। उनकी खाल को काम में लिया जाता है। का है। __फर वाली टोपियां, घुघरालू सुन्दर बालों कस्तूरी-मृग को गोली से मारकर यह प्राप्त की ये टोपियां भेड़ के बच्चों को पैदा होने के एक- की जाती है । सिवेट जानवर को पिंजरे में डालदो दिन बाद मार कर उसकी खाल से बनाई कर लकड़ियों से उसे खूब तंग किया जाता है, जाती है । दिखने में ये बड़ी चमकीली व खूबसूरत अधिक चिड़चिड़ा होने पर वह अधिक कस्तूरी होती है। देता है। कस्तूरी वाली ग्रन्थी चीर कर निकाली 1/36 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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